जयपुर : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलकात की थी. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि किसी वक्त संवैधानिक नियुक्तियों को हरी झंडी मिल सकती है. वहीं, मंगलवार को पायलट समेत 19 विधायकों की सदस्यता निलंबित हुई तो बुधवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है.
राजस्थान में चल रहे सियासी महासंग्राम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की शनिवार रात को हुई राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. आइए, आपको बताते हैं कि राज्यपाल से मुख्यमंत्री की मुलाकात के क्या मायने हो सकते हैं...
1. संवैधानिक पदों के अलावा विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की जल्द हो सकती है नियुक्ति
कहा जा रहा है कि राज्यपाल से मुलाकात कर मुख्यमंत्री गहलोत ने संवैधानिक पदों पर नियुक्ति के लिए हरी झंडी ले ली है. अब किसी भी समय राजस्थान में महिला आयोग मानवाधिकार आयोग समेत एक दर्जन से ज्यादा संवैधानिक पदों पर राजनीतिक नियुक्ति दी जा सकती है. वहीं, मुख्यमंत्री ने कुछ विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर भी राज्यपाल से चर्चा कर ली है. मुख्यमंत्री ने कोरोना से बचाव के लिए प्रदेश सरकार के किए गए कामों के बारे में भी राज्यपाल को अवगत करवाया है.
संवैधानिक पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां करने का एक कारण यह भी है कि अगर सरकार पर कोई संकट आता है तो भी संवैधानिक पदों पर मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्त किए गए नेता काबिज रहेंगे. सरकार को पॉलिटिकल माइलेज मिलता रहेगा. जिस तरह से राजस्थान में पूरे संगठन को अब दोबारा खड़ा करने की जरूरत है. ऐसे में कुछ संगठन के नेताओं को संवैधानिक पदों पर नियुक्ति देकर कांग्रेस संगठन की राजस्थान में नकारात्मकता को भी समाप्त करने का प्रयास इस बहाने मुख्यमंत्री करेंगे.
2. मंगलवार को 19 विधायकों की सदस्यता गई तो बुधवार को हो सकता है स्पेशल सेशन
एक ओर राज्यपाल से मुख्यमंत्री की मुलाकात को राजनीतिक नियुक्तियों और कुलपति की नियुक्तियों के लिए ग्रीन सिग्नल लेने की बात कही जा रही है तो दूसरी तरफ राजस्थान में चल रहे सियासी महासंग्राम के बीच यह भी कहा जा रहा है कि गहलोत बुधवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकते हैं. यह विशेष सत्र तभी बुलाया जा सकेगा, जब सचिन पायलट समेत 19 बागी कांग्रेस विधायकों की सदस्यता विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी समाप्त कर देंगे या फिर उनकी वोटिंग राइट पर रोक लगा दी जाएगी. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि स्पेशल सत्र में मुख्यमंत्री गहलोत खुद ही फ्लोर टेस्ट करवा देंगे. जिससे अगले 6 महीने तक उन्हें किसी तरीके की दिक्कत का सामना न करना पड़े. लेकिन विशेष सत्र के बारे में अंतिम निर्णय मंगलवार को मुख्यमंत्री तब ही लेंगे, जबकि सभी बगावत करने वाले विधायकों की या तो सदस्यता समाप्त होगी या फिर उनके वोटिंग राइट पर रोक लगेगी.
3. अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो कांग्रेस के पास हैं पूरे नंबर...
कांग्रेस की जयपुर के फेयर माउंट होटल में चल रही बाड़ेबंदी में सरकार के पास पूरे नंबर हैं. दरअसल, सरकार बनाने के लिए राजस्थान में हाउस में मेजॉरिटी का नंबर 101 है और बीटीपी के दोनों विधायकों के आने के बाद कांग्रेस का यह नंबर गेम पूरा हो गया है. ऐसे में पहले तो कांग्रेस की प्राथमिकता यह होगी कि वह 19 बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दे. अगर ऐसा होता है तो फिर विधानसभा में कांग्रेस को 91 विधायक चाहिए और उसके पास यह नंबर पूरा है. अगर इक्का-दुक्का विधायक सचिन पायलट कैंप से मिले हुए हैं और वह गलत वोटिंग कर देंगे तो भी सरकार पर कोई संकट नहीं आएगा.
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वहीं, अगर बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त नहीं होती तो भी कांग्रेस के पास 101 का आंकड़ा पूरा है, लेकिन ताजा राजनीतिक हालातों में मुख्यमंत्री 19 विधायकों की सदस्यता समाप्त हुए बगैर फ्लोर टेस्ट का रिस्क नहीं लेंगे. अगर वह 19 विधायक वोट देने नहीं आए और उनके संपर्क में कोई अन्य विधायक हुआ तो फिर सरकार ऐसी स्थिति में नहीं होगी कि वह बहुमत साबित कर सके, क्योंकि अगर बिना सदस्यता करवाए उन्होंने फ्लोर टेस्ट दिया तो फिर 19 विधायक तो एब्सेंट रह जाएंगे. यदि कोई एक दो विधायक भी बागी विधायकों के संपर्क में हुए तो सरकार मुसीबत में आ जाएगी. ऐसे में मंगलवार को विधायकों पर आने वाले निर्णय के बाद ही तय होगा कि सरकार विशेष सत्र बुलाती है या नहीं.
यह है कांग्रेस का नंबर गेम...
- 87 कांग्रेस के विधायक
- 10 निर्दलीय विधायक
- 2 बीटीपी के विधायक
- 1 माकपा विधायक
- 1 आरएलडी
- 88 में से एक विधायक सीपी जोशी भी हैं, जो स्पीकर भी हैं, लेकिन अगर मुकाबला बराबर होता है, तभी सीपी जोशी वोट करेंगे.