गुवाहाटी : देश के अलावा दुनियाभर में प्लास्टिक कचरे के उपयोग को लेकर लगातार कोशिश की जा रही है. ऐसे में असम में बच्चों की देखभाल के लिए बनाया जा रहा आंगनबाड़ी केंद्र प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने की राह दिखा रहा है. असम के माजुली जिले में बन रहा यह आंगनबाड़ी केंद्र इस मुहिम का नेतृत्व भी कर सकता है.
असम के जिलाधिकारी बिक्रम कैरी ने प्रोजेक्ट 'किसलय' की शुरुआत की है. इसी के तहत जिला प्रशासन ने 100 आंगनबाड़ी केंद्रों का चयन किया है. इन केंद्रों का निर्माण ईंटों की बजाय सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलों से किया जाएगा.
डीएम बिक्रम कैरी ने कहा, 'यह असम में पहली ऐसी निर्माण परियोजना लगती है, लेकिन इससे पहले हमने मार्घेरिटा में इसी तकनीक का उपयोग करके जेनेरेटरों को रखने के लिए एक शेड बनाया था, जो अब भी बरकरार है.
उन्होंने बताया, 'हमने इस तरह के निर्माण फिलीपींस, अफ्रीकी देशों और यहां तक कि दक्षिण अमेरिकी देशों में भी होते देखे हैं.' उन्होंने कहा कि भारत में कर्नाटक और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों ने एक ही तकनीक का उपयोग किया है.
जिलाधिकारी ने बताया, 'हम सोच रहे थे कि क्या असम में भी वही पहल की जा सकती है? इसलिए हमने माजुली में आंगनबाड़ी सेंटर्स पर काम शुरू किया, हम 20,000 बोतलों का उपयोग करेंगे.'
बता दें कि इस अनूठी परियोजना के तहत बनाए जाने वाले पहले आंगनबाड़ी केंद्र की लागत करीब 80 हजार रुपये है. इस केंद्र का निर्माण सिलकला ग्राम पंचायत के तहत आने वाले काकोरिकोटा पबाना गांव में किया जा रहा है. इस केंद्र के निर्माण के लिए जिलाधिकारी कैरी ने 25 दिसंबर, 2019 को आधारशिला रखी थी.
प्रोजेक्ट किसलय के पहले चरण में 45 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कराया जाएगा. इनमें से चार केंद्रों का काम शुरू हो चुका है. ब्रह्मपुत्र द्वीप के स्थानीय निवासी भी इस पहल की प्रशंसा करते हुए इस परियोजना में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं.
एक स्थानीय निवासी ने कहा कि प्लास्टिक को फेंकने की बजाय, यदि आप इसे इकट्ठा कर अच्छे उपयोग में लगाते हैं, तो इससे न केवल प्रदूषण कम होता है, बल्कि कुछ निर्माण करने में भी मदद मिल सकती है.
प्रोजेक्ट किसलय की व्यापकता को देखते हुए निर्माण कार्य में लाखों एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक बोतलों की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए प्लास्टिक की बोतलें जमा करने का कार्य पश्चिम काकोरिकोटा इंदिरा महिला समाज और गांव के स्वयं-सहायता समूह को दिया गया है. इस काम के लिए उन्हें वित्तीय सहायता भी दी जाएगी.
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