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असम समझौते की धारा 6 पर चर्चा के लिए हाई लेवल कमेटी गठित - clause-6

असम समझौते के खंड 6 से जुड़ी हाई लेवल कमेटी की बैठक हुई. यह पहली ऐसी बैठक है जिसे खूब सराहा गया. साथ ही इसमें कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों पर भी विचार किए गए. जानें बैठक में शामिल सलाहकारों ने इस पर क्या कुछ कहा....

धारा 6 पर विचार के लिए कमेटी गठित
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Published : Jul 24, 2019, 9:05 PM IST

नई दिल्लीः पिछले तीन दशकों से असम समझौते का मामला खिंच रहा है. इस मुद्दे का हल निकालने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया, जिसमें धारा 6 से जुड़े मु़द्दों पर चर्चा की गई. कमेटी की पहली बैठक शुक्रवार को हुई.

वीडियो

गौरतलब है कि कई सालों तक विदेशियों के खिलाफ असम में आंदोलन चला, जिसके बाद असम समझौते की धारा 6 पर 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे.

बता दें यह समझौता राज्य के लोगों के लिए संवैधानिक सुरक्षा को सुनिश्चित करता है.

क्या है असम समझौते की धारा 6-
असम आंदोलन 1979-1985 तक चला था, जिसके बाद 15 अगस्त 1958 को असम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

समझौते की धारा 6 के मुताबिक, असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और प्रशासनिक सुरक्षा के उपाय प्रदान किए जाएंगे.

असम समझौते पर हस्ताक्षर होने के 35 साल बाद तक भी इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.

गृह मंत्रालय में सभी 13 सदस्यों की पहली बैठक थी. इस दौरान बैठक में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी भी बैठक में मौजूद रहे.

AASU ऑल असम स्टू़डेंट्स यूनियन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा, यह बैठक पहली होने के साथ-साथ सफल भी रही.

पढ़ेंः असम एनआरसी : सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त तक बढ़ाई समय सीमा

समुज्जल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि, असम ने 70 के दशक में असम आंदोलन ने शुरू किया था.

समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि जीके पिल्लई समिति की सिफारिशों और असम विधानसभा में पूर्व स्पीकर द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट पर विचार किया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि, जीके पिल्लई कमेटी की सिफारिशों और असम विधानसभा में पूर्व स्पीकर द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट पर विचार होना चाहिए.

भट्टाचार्य ने कहा, हमने रेखांकित किया है कि इस क्लॉज 6 में असेंबली, स्थानीय निकायों और संसद में अकुशल लोगों के लिए सीटें आरक्षित होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि, सरकारी नौकरियों में आरक्षण होना चाहिए, और साथ ही साथ असम में उन लोगों के लिए एक्सक्लूसिव लैंड राइट होना चाहिए, जो विभाजित नहीं हुए हैं.

भट्टाचार्य ने आगे कहा कि, असम के जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को कमेटी में शामिल करने पर भी जोर दिया गया है.

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 15 जुलाई को मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी सत्येंद्र गर्ग समेत 13 सदस्यों की हाई पावर कमेटी का गठन किया है.

गर्ग ने कहा, बैठक में सभी सदस्य उपस्थित थे. आज की बैठक में खासतौर पर संदर्भ की शर्तों पर चर्चा की गई. हमारे पास अगले छह महीनों में सरकार को रिपोर्ट सौंपने का जनादेश है.

आपको बता दें इस हाई लेवल कमेटी को 15 जनवरी 2020 तक अपनी रिपोर्ट देनी होगी.

कमेटी में सामाजिक, कानूनी, संवैधानिक विशेषज्ञों, कला, संस्कृति और साहित्य, संरक्षणवादी, अर्थशास्त्रियों, भाषाविदों और समाजशास्त्रियों के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा होगी.

पढ़ें: चारधाम यात्रा : श्रद्धालुओं ने तोड़े सभी रिकॉर्ड, ढाई महीने में संख्या 8 लाख के पार

यह कमेटी असमी और असम की अन्य स्वदेशी भाषाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले उपायों का भी सुझाव देगी.

नई दिल्लीः पिछले तीन दशकों से असम समझौते का मामला खिंच रहा है. इस मुद्दे का हल निकालने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया, जिसमें धारा 6 से जुड़े मु़द्दों पर चर्चा की गई. कमेटी की पहली बैठक शुक्रवार को हुई.

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गौरतलब है कि कई सालों तक विदेशियों के खिलाफ असम में आंदोलन चला, जिसके बाद असम समझौते की धारा 6 पर 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे.

बता दें यह समझौता राज्य के लोगों के लिए संवैधानिक सुरक्षा को सुनिश्चित करता है.

क्या है असम समझौते की धारा 6-
असम आंदोलन 1979-1985 तक चला था, जिसके बाद 15 अगस्त 1958 को असम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

समझौते की धारा 6 के मुताबिक, असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान और विरासत की रक्षा और प्रशासनिक सुरक्षा के उपाय प्रदान किए जाएंगे.

असम समझौते पर हस्ताक्षर होने के 35 साल बाद तक भी इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.

गृह मंत्रालय में सभी 13 सदस्यों की पहली बैठक थी. इस दौरान बैठक में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी भी बैठक में मौजूद रहे.

AASU ऑल असम स्टू़डेंट्स यूनियन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा, यह बैठक पहली होने के साथ-साथ सफल भी रही.

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समुज्जल भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि, असम ने 70 के दशक में असम आंदोलन ने शुरू किया था.

समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि जीके पिल्लई समिति की सिफारिशों और असम विधानसभा में पूर्व स्पीकर द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट पर विचार किया जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि, जीके पिल्लई कमेटी की सिफारिशों और असम विधानसभा में पूर्व स्पीकर द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट पर विचार होना चाहिए.

भट्टाचार्य ने कहा, हमने रेखांकित किया है कि इस क्लॉज 6 में असेंबली, स्थानीय निकायों और संसद में अकुशल लोगों के लिए सीटें आरक्षित होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि, सरकारी नौकरियों में आरक्षण होना चाहिए, और साथ ही साथ असम में उन लोगों के लिए एक्सक्लूसिव लैंड राइट होना चाहिए, जो विभाजित नहीं हुए हैं.

भट्टाचार्य ने आगे कहा कि, असम के जनजातीय समुदाय के एक सदस्य को कमेटी में शामिल करने पर भी जोर दिया गया है.

गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 15 जुलाई को मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी सत्येंद्र गर्ग समेत 13 सदस्यों की हाई पावर कमेटी का गठन किया है.

गर्ग ने कहा, बैठक में सभी सदस्य उपस्थित थे. आज की बैठक में खासतौर पर संदर्भ की शर्तों पर चर्चा की गई. हमारे पास अगले छह महीनों में सरकार को रिपोर्ट सौंपने का जनादेश है.

आपको बता दें इस हाई लेवल कमेटी को 15 जनवरी 2020 तक अपनी रिपोर्ट देनी होगी.

कमेटी में सामाजिक, कानूनी, संवैधानिक विशेषज्ञों, कला, संस्कृति और साहित्य, संरक्षणवादी, अर्थशास्त्रियों, भाषाविदों और समाजशास्त्रियों के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा होगी.

पढ़ें: चारधाम यात्रा : श्रद्धालुओं ने तोड़े सभी रिकॉर्ड, ढाई महीने में संख्या 8 लाख के पार

यह कमेटी असमी और असम की अन्य स्वदेशी भाषाओं की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले उपायों का भी सुझाव देगी.

Intro:New Delhi: After more than three decades, terms of reference for a high level committee over Clause 6 of historic Assam Accord has been framed on Wednesday.


Body:Clause 6 of the Accord that was signed in 1985, after years long Assam agitation against foreigners, ensures constitutional safeguards to the indeginious people of the state.

All the 13 members had its first meeting at Home Ministry. Minister of State for Home G Kishan Reddy was also present in the meeting.

"It was a prelimenary and fruitful meeting. The foundation has been laid. We have told in the meeting that the clause of Assam Accord sould not be diluted or violated while initiating the talks," said Samujjal Bhattacharya, chief advisor of All Assam Students Union (AASU) to ETV Bharat. Assam had initiated the Assam agitation in late 70s and it was the major signatory of the Assam Accord in 1985.

Bhattacharya said that the recommendations of the GK Pillai committee and a report presented in the Assam Assembly by a former speaker should be considered.

"We have outlined that in this Caluse 6 there should be seats reservation for indeginious people in Assembly, local bodies and Parliament. There should be reservation in government jobs and at the same time there should be exclusuve land right for the indeginious people of Assam," said Bhattacharya.

He said that inclusion of a member from tribal community of Assam in the high powered committee has also been emphasised.

The Union Home Ministry in a notification on July 15 has constituted the high powered committee with 13 members including Satyendra Garg, joint secretary (NE) in the Home Ministry.

"All the members were present in the meeting. Today's meeti g mainly discussed the terms of reference. We have a mandate to submit report to the Government in next six months," said Garg.


Conclusion:The high level committee which has intellectuals, academia, writers from Assam will have to submit its report by January 15, 2020.

The committee will have discussion with various stakeholders including social organisations, legal and constitutional experts, eminent persons from the field of art, culture and literature, conservationist, economists, linguists and sociologists.

The committee will also suggest measures to be taken to protect Assamese and other indeginious languages of Assam.

end.
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