कोलकाता: एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के 40 विधायकों के संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेता कुछ और इशारा कर रहे हैं. हाल ही में टीएमसी का दामन छोड़ भाजपा खेमे में आने वाले अनुपम हाजरा कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं.
अनुपम हाजरा बोलपुर से सांसद हैं. 12 मार्च को उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली. लेकिन अब दोबारा उन्हें टीएमसी के नेता अनुब्रत मंडल के घर पर देखा गया. इस खबर से भाजपा में बेचैनी आ गई है.
वैसे, हाजरा ने साफ कर दिया है कि राजनीतिक अटकल लगाने की जरूरत नहीं है. हमारा अनुब्रत मंडल से निजी रिश्ता है. वे हमारे चाचा की तरह हैं. मंडल की ओर से भी बयान आया है कि हाजरा उनके भतीजे हैं.
अनुब्रत मंडल ने कहा कि उन्होंने उच्च स्तर तक पार्टी से बात कर ली थी. टिकट हाजरा को ही मिलने वाला था. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ, कि वह पलट गया. यह उसकी नासमझी है. उसे विश्वास बनाए रखना चाहिए था. हम टिकट के दावेदार नहीं थे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हाजरा ने कहा कि अनुब्रंत मंडल से उनके संबंध अच्छे हैं. लेकिन निजी रिश्ते और राजनीतिक रिश्तों में फर्क होता है. उनके अनुसार मंडल उनके रास्ते में आ गए थे. लिहाजा, उन्होंने नया राजनीतिक निर्णय लिया.
प्रेस वार्ता के दौरान अनुपम ने कहा 'मेरा रिश्ता खराब हो रहा था. किसी ने ध्यान नहीं दिया. निजी रिश्ते अच्छे हैं.' अनुपम ने कहा कि राजनीति अपनी जगह है और निजी रिश्ते अपनी जगह हैं.
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आपको ये भी बता दें कि हाजरा को टीएमसी ने पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण निकाल दिया था. हकीकत चाहे जो भी हो, लेकिन जब कोई इतना बड़ा नेता दोबारा से टीएमसी नेता के पास जाए, तो चुनाव के समय इसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले ही जाएंगे.
अनुपम हाजरा एक सामाजिक कार्य शिक्षक और विकासात्मक पेशेवर हैं. उन्होंने असम विश्वविद्यालय से ग्रामीण स्वच्छता पर डॉक्टरेट अनुसंधान पूरा किया है.