नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने शनिवार को कर्नाटक में 21 अक्टूबर को उपचुनावों की घोषणा कर दी है. इससे कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) के अयोग्य घोषित किए गए बागी विधायकों को बड़ा झटका मिला है. ये उपचुनाव हाल ही में बनीं बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार का अस्तित्व बनाए रखने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण हैं. सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा को कम से कम छह विधानसभा सीटें जीतने की जरूरत है.
आयोग ने 21 अक्टूबर को 15 विधानसभा सीटों के लिए मतदान की तारीखों की घोषणा की. मतों की गिनती 24 अक्टूबर को होगी. उपचुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर रखी गई है.
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जद-एस सरकार के 15 बागी विधायक अपना इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे. इसके बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार गिर गई थी.
उपचुनाव की घोषणा का मतलब है कि अयोग्य विधायक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. कर्नाटक के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने विधानसभा में विश्वास मत से एक दिन पहले 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था.
चुनाव में शामिल होने वाले निर्वाचन क्षेत्रों में गोकक, अथानी, रानीबेनूर, कागवाड़, हिरेकर, येलापुर, यशवंतपुरा, विजयनगर, शिवाजीनगर, होसाकोट, हुनसुर, कृष्णराजपेट, महालक्ष्मी लेआउट, केआर पुरा और चिकबल्लापुरा शामिल हैं.
चुनाव आयोग ने हालांकि आर.आर. नगर और मस्की विधानसभा क्षेत्र के लिए कोई चुनावी घोषणा नहीं की.
बागी विधायकों ने अपनी अयोग्यता को समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था. न्यायमूर्ति एम.एम. शांतनगौदर ने इस सप्ताह की शुरुआत में खुद को कर्नाटक से होने का हवाला देते हुए कहा कि कहा था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें इस मामले की सुनवाई की अनुमति नहीं दे रही है.
15 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतगणना के बाद कर्नाटक विधानसभा की ताकत 222 हो जाएगी. सत्तारूढ़ भाजपा के पास वर्तमान में 106 विधायकों का समर्थन है, जिसमें निर्दलीय विधायक एच. नागेश भी शामिल हैं.