नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की शुरुआत में जब महंत नृत्यगोपाल दास का नाम नहीं था तो लोग चौंक उठे थे. सवाल इसलिए भी उठ रहे थे कि ट्रस्ट में उसी शख्स का नाम नहीं था, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश में आंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी.
अयोध्या के संतों में नाराजगी की खबर सुनकर गृहमंत्री अमित शाह ने नृत्यगोपाल दास से फोन पर बातचीत कर कहा था कि उन्हें ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया जाएगा. आखिरकार वह जिम्मेदारी महंत नृत्यगोपाल दास को मिल गई. इस प्रकार अमित शाह अपने वादे के पक्के निकले.
महंत नृत्यगोपाल को राम मंदिर आंदोलन का पर्याय माना जाता है. वह श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष के तौर पर मंदिर निर्माण की मुहिम से जुड़े रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते पांच फरवरी को राम मंदिर ट्रस्ट की घोषणा की थी. उस वक्त सरकार की ओर से जारी ट्रस्टियों की सूची में महंत नृत्यगोपाल दास का नाम नहीं था. अगले दिन इसको लेकर अयोध्या में हंगामा खड़ा हो गया.
स्थानीय संतों ने केंद्र सरकार पर महंत नृत्यगोपाल दास की उपेक्षा करने का आरोप लगाया. मनाने पहुंचे स्थानीय भाजपा विधायक और महापौर को मंदिर परिसर में घुसने ही नहीं दिया गया. इसके बाद भाजपा नेताओं ने महंत नृत्यगोपाल दास की नाराजगी की खबर दिल्ली तक पहुंचा दी थी.
महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी कमलनयन दास के शिष्य अजय शास्त्री ने बीते सात फरवरी को बताया था कि गृहमंत्री अमित शाह ने छह फरवरी की दोपहर महंत से बात की थी. कहा था कि कुछ कानूनी पेचीदगियों के कारण उनका नाम ट्रस्टियों की लिस्ट में नहीं डाला गया था. अमित शाह ने फोन पर कहा था कि मंहत नृत्य गोपाल दास को बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी. इस प्रकार अमित शाह नाराजगी दूर करने में सफल हुए थे.
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आखिरकार अब जाकर महंत नृत्यगोपाल दास का नाम न केवल ट्रस्टी के तौर पर शामिल हुआ, बल्कि ट्रस्ट की कमान भी उन्हें मिल गई है. माना जा रहा है कि यह गृहमंत्री अमित शाह के वादे के तहत हुआ.