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'संविधान पीठ के गठन का प्रस्ताव दर्शाता है CAA मुद्दे की गंभीरता' - सीएए के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई की और आदेश जारी किया वह केंद्र सरकार का पक्ष सुने बिना सीएए पर रोक नहीं लगा सकती. कोर्ट ने इस मामले को पांच न्यायाधीशों की पीठ को सौंपने की बात कही है. ईटीवी भारत ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ सत्य प्रकाश सिंह से बात की. जानें, एस.पी. सिंह ने क्या कुछ कहा...

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एसपी सिंह
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Published : Jan 22, 2020, 8:10 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 12:57 AM IST

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि केंद्र का पक्ष सुने बगैर सीएए और एनपीआर प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई जा सकती. कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है और उसके बाद इस मसले पर फिर सुनवाई होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि आगे इस मामले की सुनवाई के लिए इसे संविधान पीठ के पास भी भेजा जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ सत्य प्रकाश सिंह ने इस मसले पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि शीर्ष अदालत का यह फैसल बहुत ही महत्व रखता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने त्रिपुरा और असम की समान प्रकृति वाले मामले और अन्य मामलों की अलग-अलग सुनवाई करने को कहा है.

सीएए के लिए संविधान पीठ पर संविधान विशेषज्ञ एस.पी. सिंह की प्रतिक्रिया.

एसपी सिंह ने कहा कि कोर्ट में इस मामले में 144 से अधिक याचिकाएं दायर हुई हैं. संविधान पीठ का गठन के प्रस्ताव का मतलब है कि यह मुद्दा बहुत ही गंभीर है.

उन्होंने कहा कि इस मामले पर आगे की सुनवाई के लिए पांच जजों की पीठ की नियुक्ति की बात कही गई है और यह पीठ आगे चलकर संविधान पीठ भी बन सकती है. यहां यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि संविधान पीठ नियमित घटना नहीं है.

हालांकि किसी मामले में कानून का महत्वपूर्ण पूर्ण मुद्दा यदि संविधान की व्याख्या से संबंधित हो तो ऐसे मामले में पांच जजों की पीठ का गठन होता है. इसे ही संविधान पीठ कहते हैं.

ये भी पढ़ें- फिलहाल सीएए पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई

ज्ञातव्य है कि अधिकतर मामलों की सुनवाई दो न्यायाधीशों की बेंच करती है तो कभी-कभी तीन न्यायाधीशों की बेंच सुनवाई करती है.

गौरतलब है कि सीएए के खिलाफ विभिन्न पक्षों की ओर से जो याचिकाएं दायर की गई हैं, वे सभी सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती हैं.

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि केंद्र का पक्ष सुने बगैर सीएए और एनपीआर प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई जा सकती. कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है और उसके बाद इस मसले पर फिर सुनवाई होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि आगे इस मामले की सुनवाई के लिए इसे संविधान पीठ के पास भी भेजा जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ सत्य प्रकाश सिंह ने इस मसले पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि शीर्ष अदालत का यह फैसल बहुत ही महत्व रखता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने त्रिपुरा और असम की समान प्रकृति वाले मामले और अन्य मामलों की अलग-अलग सुनवाई करने को कहा है.

सीएए के लिए संविधान पीठ पर संविधान विशेषज्ञ एस.पी. सिंह की प्रतिक्रिया.

एसपी सिंह ने कहा कि कोर्ट में इस मामले में 144 से अधिक याचिकाएं दायर हुई हैं. संविधान पीठ का गठन के प्रस्ताव का मतलब है कि यह मुद्दा बहुत ही गंभीर है.

उन्होंने कहा कि इस मामले पर आगे की सुनवाई के लिए पांच जजों की पीठ की नियुक्ति की बात कही गई है और यह पीठ आगे चलकर संविधान पीठ भी बन सकती है. यहां यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि संविधान पीठ नियमित घटना नहीं है.

हालांकि किसी मामले में कानून का महत्वपूर्ण पूर्ण मुद्दा यदि संविधान की व्याख्या से संबंधित हो तो ऐसे मामले में पांच जजों की पीठ का गठन होता है. इसे ही संविधान पीठ कहते हैं.

ये भी पढ़ें- फिलहाल सीएए पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई

ज्ञातव्य है कि अधिकतर मामलों की सुनवाई दो न्यायाधीशों की बेंच करती है तो कभी-कभी तीन न्यायाधीशों की बेंच सुनवाई करती है.

गौरतलब है कि सीएए के खिलाफ विभिन्न पक्षों की ओर से जो याचिकाएं दायर की गई हैं, वे सभी सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती हैं.

Intro:New Delhi: Hours after the Suprme Court (SC) proposed to setup a Constitution Bench to look in to Citizenship Amendment Act (CAA), senior lawyer and a constitutional expert Satya Prakash Singh on Wednesday said that the apex court's decision assumes much more significance.


Body:"More than 144 petitions filled over the matter. The Supreme Court has decided to segregate the cases of a similar nature together (CAA case in Tripura and Assam) and other cases separately," said SP Singh to ETV Bharat.

He said that the Constitution Bench will now look into the pros and cons of the legislation. "It will also see whether the legislation is ultra virus," said Singh.

The Supreme Court on Wednesday heard more than 144 petitions clubbed together challenging the constitutional validity of CAA.

"The proposal to set up Constitution Bench means that the matter (CAA) is very serious...and obviously if there are five Judges it is become a Constitution Bench," said Singh.


Conclusion:It may be mentioned here that Constitution Bench are not routine phenomenon.

A vast majority of cases before the Supreme Court are heard and decided by a bench of two judges (known as Division Bench), and sometimes of three.

Constitution Benches, however, set up only if the case involves a substantial question of law pertaining to the interpretation of the Constitution.

The 144-odd petitions which have been filled by different petitioners challenges the constitutional validity of CAA.

end.
Last Updated : Feb 18, 2020, 12:57 AM IST
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