नई दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों की मूल मांग मान ली गई है और अब कुलपति एम जगदीश कुमार को हटाने की मांग उचित नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को युद्ध का मैदान नहीं बनने दिया जाएगा.
पोखरियाल ने एक साक्षात्कार में कहा कि विश्वविद्यालय में स्थिति अब सामान्य हो रही है.
बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में जेएनयू प्रशासन ने छात्रावास की फीस बढ़ोतरी, सेवा और उपयोगिता शुल्क लगाने का ऐलान किया था. इसके बाद छात्रों ने इस फीस बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया.
एचआरडी मंत्रालय ने परिसर में सामान्य स्थिति बहाल करने के मकसद से आंदोलनकारी छात्रों और प्रशासन के बीच मध्यस्थता करने के लिए तीन सदस्यों का एक पैनल बनाया.
पोखरियाल ने बताया, 'छात्रावास फीस बढ़ोतरी के बारे में छात्रों की मूल मांग मान ली गई है. जेएनयू के वीसी को हटाने की मांग अब उचित नहीं है.'
उन्होंने कहा, ' जेएनयू के करीब 80 प्रतिशत छात्रों ने अगले सेमेस्टर के लिए पंजीकरण करा लिया है. किसी को भी उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए, जो पढ़ना चाहते हैं. अगर हमारे विश्वविद्यालय को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में उत्कृष्टता हासिल करनी है तो इन मुद्दों से ऊपर उठना होगा.'
फीस बढ़ोतरी सहित हॉस्टल मैनुअल में संशोधन के खिलाफ जेएनयू छात्र संघ के अदालत में जाने और सेमेस्टर पंजीकरण प्रक्रिया के बहिष्कार के सवाल पर उन्होंने कहा, 'इस पर आगे क्या कदम उठाना है, यह विश्वविद्यालय को तय करना है.'
जेएनयू छात्र संघ ने इंटर हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन (आईएचए) के हॉस्टल मैनुअल में संशोधन करने के फैसले को मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी. इस संशोधन में फीस में बढ़ोतरी का प्रावधान है.
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पोखरियाल ने कहा कि अकादमिक मसले को सुलझा दिया गया है, और विश्वविद्यालय में स्थिति सामान्य हो रही है, और जहां तक हिंसा की बात है तो पुलिस मामले की जांच कर रही है.
उन्होंने कहा कि छात्रों को अब पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए और समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जेएनयू एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है और 'हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि छात्रों के लिए उत्कृष्ट वातावरण बना रहे.'
मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय को युद्ध का मैदान नहीं बनने दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, 'हम विश्वविद्यालयों में अराजकता नहीं चाहते हैं, हम शिक्षण के लिए अनुकूल वातावरण चाहते हैं. हम अपने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को वैश्विक स्तर पर शीर्ष पर ले जाने के लिए अनुसंधान में अधिक से अधिक निवेश कर रहे हैं.'
पोखरियाल ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का उद्देश्य किसी की नागरिकता छीनना नहीं है. साथ ही उन्होंने छात्रों से ' उन लोगों को यह बात समझाने की अपील की, जो इस मामले पर जनता को गुमराह कर रहे हैं और तुच्छ राजनीति में लिप्त हैं.'
उन्होंने कहा, 'चूंकि इस कानून को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है, इसलिए देश की छवि खराब हुई और साथ ही सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा. इस बारे में स्थिति साफ करने में छात्र भूमिका निभा सकते हैं.'
(पीटीआई-भाषा इनपुट)