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तमिलनाडु में पुरात्वविदों ने नौवीं शताब्दी का जांता खोजा

तमिलनाडु में नौवीं शताब्दी का जांता मिला है. ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में जल निकायों के पास राहगीरों के लिए अक्सर गांव के बाहर जांता स्थापित किया जाता था. इन जगहों पर पथिक जांतों का इस्तेमाल करके अपने पेट भरने का उपक्रम करते थे. तमिलनाडु में जांता को चेक्कू नाम से जाना जाता है.

नौवीं शताब्दी का जांता
नौवीं शताब्दी का जांता
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Published : Oct 29, 2020, 9:39 PM IST

Updated : Oct 29, 2020, 9:47 PM IST

चेन्नई : पुरात्वविदों ने तमिलनाडु के अंधिपट्टी में नौवीं शताब्दी का एक जांता (पिसाई करने का उपकरण) खोजा है. जांते की लंबाई 15 फीट, चौड़ाई तीन फीट है. जांते में एक शिलालेख भी पाया गया है. पुरात्वविदों का कहना है कि यह शिलालेख नौवीं शताब्दी के पांड्य काल का हो सकता है.

पुरातत्वविद पावेल भारती ने बताया कि प्राचीन काल में अक्सर गांवों के बाहर ऐसे जांतों को निर्माण किया जाता है. ऐसी जगह पर जांतों का निर्माण होता था, जहां पर जलाशय होता था.

इससे यात्रा करने वाले राहगीर जैसे भिक्षुओं, व्यापारियों और कलाकारों को जो विभिन्न स्थानों की यात्रा करते थे. वह इस जांते का इस्तेमाल करते थे, क्योंकि यात्रा के दौरान इन लोगों का रात में रुकना पड़ता था. ऐसें में वे सभी इन जांतों का इस्तेमाल खाने की चीजें पीसने के लिए करते थे.

उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में सेवड़ी नामक समूह धार्मिक स्थानों में पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करती थी. इन मंदिरों में सद्गिरि महालिंगम मंदिर, मावूट्रू वेलप्पार मंदिर, पेरियाकुलम बालासुब्रमण्यम मंदिर और चिन्नामनुर शिवगामीमन मंदिर शामिल हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य तौर पर राजा या लोगों द्वारा ऐसे जांतो को दान में दिया जाता था, इन जांतों पर जिसमें दानकर्ताओं के नाम का भी उल्लेख किया जाता था.

जिन लोगों ने इस जांता को बनाया है वे थेमुत्तताडु के हो सकते हैं, लेकिन यह एंडिपट्टी में पाया गया था, इसलिए कुछ लोग दावा करते हैं कि एंडिपट्टी थेनमुट्ट नाडु हो सकता है.

हाल के दिनों में तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में बहुत सारी कलाकृतियां, स्मारक और शिलालेख पाए जा रहे हैं. ये हमारे पूर्वजों के अवशेष हैं, जिन्हें संरक्षित किया जाना है. पुरातत्वविदों का अनुरोध है कि यह ऐतिहासिक जांता, जो एक खुली जगह में पाया गया है, इसे संरक्षित किया जाना चाहिए.

चेन्नई : पुरात्वविदों ने तमिलनाडु के अंधिपट्टी में नौवीं शताब्दी का एक जांता (पिसाई करने का उपकरण) खोजा है. जांते की लंबाई 15 फीट, चौड़ाई तीन फीट है. जांते में एक शिलालेख भी पाया गया है. पुरात्वविदों का कहना है कि यह शिलालेख नौवीं शताब्दी के पांड्य काल का हो सकता है.

पुरातत्वविद पावेल भारती ने बताया कि प्राचीन काल में अक्सर गांवों के बाहर ऐसे जांतों को निर्माण किया जाता है. ऐसी जगह पर जांतों का निर्माण होता था, जहां पर जलाशय होता था.

इससे यात्रा करने वाले राहगीर जैसे भिक्षुओं, व्यापारियों और कलाकारों को जो विभिन्न स्थानों की यात्रा करते थे. वह इस जांते का इस्तेमाल करते थे, क्योंकि यात्रा के दौरान इन लोगों का रात में रुकना पड़ता था. ऐसें में वे सभी इन जांतों का इस्तेमाल खाने की चीजें पीसने के लिए करते थे.

उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में सेवड़ी नामक समूह धार्मिक स्थानों में पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करती थी. इन मंदिरों में सद्गिरि महालिंगम मंदिर, मावूट्रू वेलप्पार मंदिर, पेरियाकुलम बालासुब्रमण्यम मंदिर और चिन्नामनुर शिवगामीमन मंदिर शामिल हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि सामान्य तौर पर राजा या लोगों द्वारा ऐसे जांतो को दान में दिया जाता था, इन जांतों पर जिसमें दानकर्ताओं के नाम का भी उल्लेख किया जाता था.

जिन लोगों ने इस जांता को बनाया है वे थेमुत्तताडु के हो सकते हैं, लेकिन यह एंडिपट्टी में पाया गया था, इसलिए कुछ लोग दावा करते हैं कि एंडिपट्टी थेनमुट्ट नाडु हो सकता है.

हाल के दिनों में तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में बहुत सारी कलाकृतियां, स्मारक और शिलालेख पाए जा रहे हैं. ये हमारे पूर्वजों के अवशेष हैं, जिन्हें संरक्षित किया जाना है. पुरातत्वविदों का अनुरोध है कि यह ऐतिहासिक जांता, जो एक खुली जगह में पाया गया है, इसे संरक्षित किया जाना चाहिए.

Last Updated : Oct 29, 2020, 9:47 PM IST
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