नई दिल्ली : स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के बीच बढ़ती वैक्सीन की झिझक के बीच वैश्विक संचार कंपनी एडेलमैन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में बताया गया है कि 80 प्रतिशत भारतीय टीका लगाने के लिए तैयार हैं. 19 अक्टूबर से 18 नवंबर के बीच 28 देशों में किए गए सर्वेक्षण में 33,000 प्रतिभागियों के उत्तरदाताओं को लिया गया. 2021 एडेलमैन ट्रस्ट बैरोमीटर नाम के सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत ने कोरोना वायरस टीकाकरण में विश्वास का उच्चतम स्तर दिखाया है, जबकि रूस ने सबसे अधिक हिचकिचाहट दिखाई है.
सर्वेक्षण के निष्कर्षों को मानते हुए एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोले ने ईटीवी भारत को बताया कि यह देखने के लिए बहुत ही उत्साहजनक है कि साथी भारतीय विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम में भाग लेकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. ऐसा करने से हम न केवल अपने, बल्कि अपने प्रियजनों और अपने समुदाय की भी रक्षा कर रहे हैं. डॉ. कोले ने कहा कि सर्वेक्षण में पाया गया है कि 51 प्रतिशत उत्तरदाता उपलब्ध होने के साथ ही टीकाकरण के लिए तैयार है. जबकि 29 प्रतिशत इसे एक साल के भीतर ले लेंगे.
वैक्सीन पर संदेह बड़ी बाधा
सर्वेक्षण में कहा गया कि कोविड-19 वैक्सीन पर संदेह एक बड़ी बाधा बना हुआ है. सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि जहां तक स्वास्थ्य क्षेत्र का संबंध है. सरकार पर 2020 के मध्य से विश्वास तेजी से गिर रहा है. सरकार ने मई 2020 में सबसे भरोसेमंद संस्थान के रूप में उभरने के साथ ही उंचा स्थान प्राप्त किया था. जब लोगों ने इसे कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने और आर्थिक स्वास्थ्य को बहाल करने का काम सौंपा. लेकिन सरकार के सुस्त परीक्षण की वजह ने भरोसे के बुलबुले को फोड़ दिया. इस वजह से विश्वास की जमीन खिसक गई. सर्वेक्षण ने बताया कि वैश्विक स्तर पर यह 8 अंक नीचे चला गया. भारत में सरकार ने जिस गति से रिकॉर्ड समय में वैक्सीन विकसित की और कोरोना के दौरान प्रतिबंधों के तरीके खोजे उससे सरकार का भरोसा मई 2020 तक दो प्रतिशत घटकर 79 प्रतिशत हो गया. जबकि व्यापार ने कोई भरोसा नहीं खोया, बल्कि व्यवसाय सबसे भरोसेमंद संस्थान के रूप में उभरा है.
दुनियाभर में बढ़ी अविश्वास की खाई
दुनियाभर में बढ़ती अविश्वास की खाई और विश्वास में गिरावट की वजह से लोग लीडरशिप के साथ ही समाधान की तलाश कर रहे हैं. क्योंकि वे उन मुखिया को अस्वीकार कर रहे हैं, जिन्हें वे विश्वसनीय नहीं मानते. वास्तव में कोई भी सामाजिक नेता, सरकार के नेता, सीईओ, पत्रकार और यहां तक कि धार्मिक नेता भी इस अविश्वास के दायरे में हैं. सभी के लिए विश्वास के स्कोर में गिरावट के साथ जो सही है उसी पर भरोसा किया जा रहा है. सर्वेक्षण ने कहा कि गलत सूचना और अविश्वास का बढ़ता ज्वार कोविड-19 वैक्सीन के बारे में गहराई से संदेह कर रहा है और झिझक पैदा कर रहा है.
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वास्तव में उन लोगों के बीच जो गरीब, सूचना व स्वच्छता के बारे में सोचते हैं कि वे अपने स्रोत की जांच नहीं करते हैं. या सुनिश्चित करते हैं कि विश्वसनीय और तथ्यात्मक जानकारी ही साझा की जाती है. इसलिए वर्ष भर के भीतर टीके की उपलब्धता के बावजूद टीका प्राप्त करने की इच्छा कम हुई है.