कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि मुख्य सचिव एच के द्विवेदी (Chief Secretary Hari Krishna Dwivedi) और पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय (WB DGP Manoj Malviya) का तीन दिनों में हुई दो निर्धारित बैठकों में शामिल नहीं होना एक 'संवैधानिक चूक' है. धनखड़ का बयान तब आया जब राज्य के दो शीर्ष अधिकारी उनके द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए. उन्होंने यह जानने के लिए बैठक बुलाई थी कि भाजपा के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी (BJP MLA Suvendu Adhikari) को 7 जनवरी को झारग्राम जिले के नेताई जाने (WB LOP Suvendu adhikari Netai visit) से पुलिस ने कथित रूप से क्यों रोका था ? राज्यपाल ने पूछा था कि कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश है कि शुभेंदु की आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए, इसके बावजूद पुलिस ने क्यों रोका ?
राज्यपाल ने मांगी लिखित रिपोर्ट
धनखड़ ने इसके पहले आठ जनवरी को शुभेंदु अधिकारी को नेताई में (BJP MLA Suvendu Adhikari in Netai WB) कथित तौर पर रोके जाने को लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी को फोन किया था. राज्यपाल ने यह कदम अधिकारी द्वारा घटना के संबंध में राजभवन में शिकायत के बाद उठाया था और दोनों अधिकारियों से एक लिखित रिपोर्ट मांगी थी.
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CS @MamataOfficial DGP @WBPolice “boycott” WB Guv meeting (Re:LOP @SuvenduWB Netai visit) for second time in 3 days -actionable incondonable constitutional lapse by top officials @IASassociation @IPS_Association bearing out observation @India_NHRC in WB “Law of Ruler not of Law.” pic.twitter.com/gk765ihi9o
— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) January 12, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Governor West Bengal Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) January 12, 2022
कोरोना के कारण क्वारंटाइन, तो जूनियर अफसर को भेजें
जब मुख्य सचिव और डीजीपी ने राज्यपाल को बताया कि वह कोविड-19 के कारण पृथकवास में हैं, तो धनखड़ ने 9 जनवरी को एक अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजीपी से छोटे रैंक के एक अधिकारी को घटना के विवरण के साथ बैठक में आने का आग्रह किया था.
निर्देशों की अवहेलना का आरोप
इससे पहले घटना पर झारग्राम के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद राज्यपाल ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें पूरी तरह से अद्यतन और लिखित रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके निर्देशों की अवहेलना की गई.
दोनों अधिकारियों ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को लिखे पत्र में कहा है कि एक निर्देशानुसार कोरोना की स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. ऐसे में राज्यपाल ने इस बार मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी और डीजीपी मनोज मालवीय से पूछा कि उन्हें आखिर ऐसा निर्देश किससे मिला है?
मुख्य सचिव और डीजीपी को किससे मिल रहा निर्देश
राज्यपाल धनखड़ ने सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा, मुख्य सचिव और बंगाल पुलिस के डीजीपी द्वारा राज्यपाल के साथ बैठक के बहिष्कार (wb dgp skipping meeting with dhankhar) को लेकर भेजे गए समान संदेशों को देखकर दंग रह गया हूं. आखिर मुख्य सचिव/डीजीपी ने किसके दिशानिर्देश के तहत संदेश भेजे गए हैं.
डीजीपी ने कहा- गंगासागर मेले की जिम्मेदारी
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी की ओर से राज्यपाल को एक पत्र भेजा गया, जिसमें कहा गया कि कई नौकरशाह संक्रमित होने की वजह से वे लोग अलग रह रहे हैं. इसके अलावा दूसरा कारण बताया गया कि स्थिति को नियंत्रित करने और गंगासागर मेला आयोजित करने की भी उन पर जिम्मेदारी है. इसलिए वे निर्देश के अनुसार, राजभवन में नहीं गए. उन्होंने कहा कि स्थिति कुछ सामान्य हो जाएगी तो नेताई को लेकर राज्यपाल को रिपोर्ट भेजी जाएगी.
नेता प्रतिपक्ष के साथ दुर्व्यवहार !
राज्य के दोनों शीर्ष अधिकारियों के जवाब से असंतुष्ट राज्यपाल ने सोमवार शाम पांच बजे तक राज्य के दो शीर्ष अधिकारियों को तलब किया था. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि विपक्षी नेता शुभेंदु के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है. राज्यपाल ने दो शीर्ष अधिकारियों के कथित ढीले रवैये पर कहा कि राज्यपाल के कार्यालय का अपमान किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि उनकी ओर से यह कदम प्रथम दृष्टया अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 की घोर अवहेलना (blatant disregard All India Services Conduct Rules 1968) है. यह मुख्य सचिव - राज्य में नौकरशाही का आधार - और डीजीपी - दोनों के संदेशों से देखा जा सकता है.
शुभेंदु अधिकारी का आरोप
बता दें कि नंदीग्राम से विधायक शुभेंदु अधिकारी (Nandigram MLA Suvendu Adhikari) का आरोप है कि उनकी आवाजाही पर कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा रोक से इनकार किए जाने के बावजूद पुलिस ने उन्हें रोका. अधिकारी ने शिकायत की थी कि नेताई के रास्ते में, पश्चिम बंगाल पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी ने पूरी सड़क पर बैरिकेडिंग कर उनका रास्ता रोका. उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता (एजी) उच्च न्यायालय को आश्वासन दे चुके हैं कि विपक्ष के नेता राज्य में कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं.
पढ़ें :- शुभेंदु अधिकारी को नेताई जाने से रोकने की घटना पर राज्यपाल ने मुख्य सचिव, डीजीपी से ब्यौरा तलब किया
वर्ष 2011 में नेताई में कथित तौर पर माकपा कार्यकर्ताओं द्वारा की गई गोलीबारी में नौ लोगों की मौत (Netai Martyr's Day programme) हो गई थी. शुभेंदु अधिकारी नौ लोगों को श्रद्धांजलि देने नेताई जा रहे थे. बता दें कि 7 जनवरी, 2011 को वाम मोर्चा शासन के दौरान, हथियारबंद गुंडों ने नेताई के निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलियां चलाईं थीं, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.
(एजेंसी इनपुट)