अयोध्या : अयोध्या के संतों ने रामलीला में पात्रों को निभा रहे बॉलीवुड स्टार्स के रामायण ज्ञान पर सवाल उठाया है. उनका कहना है कि इनका वस्त्र चयन सही नहीं है. इससे हमारी रामलीला का उपहास हो रहा है. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.
आगामी 6 अक्टूबर से रामनगरी अयोध्या के सरयू तट के किनारे शुरू होने वाली बॉलीवुड स्टार्स की रामलीला विवादों में घिर गई है. बीते वर्ष रामलीला आयोजन के दौरान रामलीला के मंचन पर सवाल उठाते हुए अयोध्या के संतों ने कहा है कि रामलीला में हमारी संस्कृति का हमारे धर्म का अपमान हुआ है. रामलीला में पात्र निभा रहे बॉलीवुड स्टार्स को रामायण का ज्ञान नहीं है. उनका वस्त्र चयन सही नहीं है. उनका संवाद सही नहीं है. इससे हमारी रामलीला का उपहास हो रहा है. इस मामले को लेकर संतों ने बीते 10 अगस्त को एक बड़ी बैठक भी की थी. उन्होंने पत्र के माध्यम से प्रदेश सरकार को अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. मंगलवार को भी संतों ने बड़ा भक्तमाल मंदिर परिसर में एक बैठक कर अपना विरोध दर्ज कराया है.
संत समाज करेगा सीएम योगी से शिकायत
बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास ने कहा कि रामलीला हमारी उपासना सेवा में आती है. इसमें यदि किसी तरीके का हास-परिहास होता है, तो उसको स्वीकार नहीं करते हैं. फिल्म जगत के लोगों को शास्त्र और अध्यात्म की कितनी जानकारी है, ये मैं नहीं जानता. पिछले वर्ष वर्चुअल रामलीला के नाम पर जो अभद्र प्रदर्शन हुआ है. उस प्रदर्शन को देखते हुए हम इसका विरोध करते हैं. रामलीला में काम करने वाले कलाकारों का रहन-सहन खानपान कैसा है, यह ध्यान में रखा जाता है. अवधेश दास ने कहा मांस मदिरा खाने वाले लोग मंच पर अभद्र प्रदर्शन करेंगे. यह संत समाज के समझ से बाहर है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि अयोध्या में ऐसी-ऐसी रामलीला मंडली आई हैं, जो विदेशों तक अपना प्रदर्शन और परचम लहराया है. ऐसी रामलीला को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. फिल्म जगत की रामलीला करने का कोई मतलब नहीं है. संत समाज 17 तारीख को गोरखपुर जाएगा. जहां पर मुख्यमंत्री को अपनी शिकायत दर्ज कराया जाएगा.
संदेश देने वाली रामलीला उसी रूप में होनी चाहिए
अयोध्या के वरिष्ठ संत दिलीप दास ने कहा कि अयोध्या राम की जन्मभूमि रही है. रावण जैसे दुष्चरित्र शख्स ने भी कहा था कि जब मैं राम जी का मुखौटा लगा लेता हूं तो संपूर्ण विश्व सारी संपदा मुझे तुच्छ नजर आती है. इस तरह का संदेश देने वाली जो रामलीला है, उसको उसी रूप में होना चाहिए. संपूर्ण विश्व इस वर्चुअल रामलीला को देखता है. हमारे अयोध्या की रामलीला की परंपरा रही है. जिसका अनुसरण संपूर्ण देश करता रहा है. संत समाज के लोग 10 अगस्त को 80 फीसदी अयोध्या के संतों ने भागवत आचार्य स्मारक सदन पर निर्णय किया था और सरकार को अवगत कराया था. हम लोगों ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री और सभी विभागों को अवगत कराया है. बावजूद इसके सरकार हमारे धर्म और नीति की हमारे इष्ट और आराध्य के चरित्र की परिभाषा तय करने लगेंगे, तो ये बात उचित नहीं है.
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आपको बता दें कि 6 अक्टूबर से शुरू होने वाली रामलीला के लिए मंगलवार को कानून मंत्री बृजेश पाठक ने सरयू तट के किनारे भूमि पूजन किया है. इस रामलीला में बीजेपी के बड़े नेता मनोज तिवारी, रवि किशन, शहबाज खान, रजा मुराद, असरानी जैसे कई बड़े चेहरे अदाकारी करेंगे. वर्चुअल रूप से ये रामलीला बीते वर्ष भी आयोजित की गई थी और बड़े पैमाने पर लोगों ने इसे देखा था.