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केदारनाथ धाम के चोराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलॉन्च, किसी नुकसान की सूचना नहीं

केदारनाथ धाम में बीती शाम करीब साढ़े 6 बजे चोराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलॉन्च आया है. हालांकि, इससे कोई नुकसान होने की खबर नहीं है.

Kedarnath Dham
चोराबाड़ी ग्लेशियर में एवलॉन्च
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Published : Sep 23, 2022, 12:35 PM IST

केदारनाथ: विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में बीती शाम करीब साढ़े 6 बजे चोराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलॉन्च आया है. हालांकि, इससे कोई नुकसान होने की खबर नहीं है लेकिन शासन प्रशासन इस पर नजर बनाए हुए है. केदारनाथ मंदिर के पीछे करीब 5 किमी. की दूरी पर चोराबाड़ी ग्लेशियर स्थित है.

2013 में यहीं से मची थी तबाही: चोराबारी ग्लेशियर वही ग्लेशियर है जिसने साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में भारी तबाही मचाई थी. जब यह एवलॉन्च हो रहा था तब वहां मौजूद लोग इसे मामूली घटना ही समझ रहे थे. लेकिन जैसे-जैसे बर्फ का यह पूरा का पूरा पहाड़ नीचे आता हुआ दिखाई दिया, तब सबको समझ में आया. एक बार फिर से केदारनाथ के पीछे हलचल हुई है. फिलहाल प्रशासन इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है. प्रशासन यह जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिरकार इतनी भारी संख्या में एवलॉन्च कैसे हुआ है.

केदारनाथ धाम के चोराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलॉन्च

अभी भी डराती हैं 2013 आपदा की तस्वीरें: साल 2013 में केदारनाथ आपदा की खौफनाक तस्वीरें अब भी रोंगटे खड़े कर देती हैं. यह घटना दुनिया में सदी की सबसे बड़ी जल प्रलय से जुड़ी घटनाओं में से एक थी. 16 जून 2013 की उस रात केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे 13 हजार फीट ऊंचाई पर चौराबाड़ी झील ने ऐसी तबाही मचाई थी, जिसके कारण हजारों लोगों की जिंदगियां तबाह हो गईं. अंदाजा लगाइए कि झील फटने के कई किलोमीटर दूर तक भी लोगों को कुछ सेकंड संभलने का मौका भी नहीं मिल सका था. पानी का वेग इतना तेज था कि कई क्विंटल भारी पत्थर इस जल प्रलय के साथ बहते हुए सब कुछ नेस्तनाबूद कर रहे थे.

दर्दनाक तरीके से अनगिनत लोगों की मौत हुई: 16 जून 2013 की शाम करीब 6:30 बजे केदारनाथ त्रासदी में देश-विदेश के हजारों लोग दर्दनाक तरीके से काल के गाल में समा गये, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. सबसे ज्यादा लोग घाटी के ऊपर से आये भीषण बालू-कंक्रीट वाली बाढ़ की चपेट में आकर धरती में समाते गए. कुछ लोग प्रलयंकारी आपदा से इतने हताहत हुए कि वह लोग अनजान पहाड़ियों में चले गए जहां उनको किसी भी तरह से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला. जिसके चलते वह दिन रात हाड़ कंपा देने वाली ठंड और खौफ से तड़प-तड़प कर अपनी जांन गंवाते रहे.
पढ़ें- विधानसभा भर्ती घोटाला: 228 नियुक्तियां रद्द करने का प्रस्ताव शासन को भेजा, विधानसभा सचिव तत्काल प्रभाव से निलंबित

रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा: 16 जून 2013 की काली रात इतनी भयानक गुजरी कि केदारनाथ धाम से लेकर श्रीनगर तक अनगिनत भवन, होटल व रेस्त्रां में सिर छुपाने की हर जगह पानी में डूबती रही. मोबाइल नेटवर्क, बिजली, पानी जैसी तमाम व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी थी. केदारघाटी में मंदाकिनी नदी ने ऐसी गदर मचाई है कि केदारनाथ मंदिर को छोड़कर सब कुछ खत्म हो गया. रामबाड़ा नाम का रियासी इलाका जहां होटल गेस्टहाउस जैसे भवन थे. उसका नामोनिशान घाटी के नक्शे से पूरी तरह से मिट चुका था. खौफनाक त्रासदी के चलते लोग जहां-तहां भागते रहे और मौत की कोख में समाते रहे.

केदारनाथ: विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में बीती शाम करीब साढ़े 6 बजे चोराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलॉन्च आया है. हालांकि, इससे कोई नुकसान होने की खबर नहीं है लेकिन शासन प्रशासन इस पर नजर बनाए हुए है. केदारनाथ मंदिर के पीछे करीब 5 किमी. की दूरी पर चोराबाड़ी ग्लेशियर स्थित है.

2013 में यहीं से मची थी तबाही: चोराबारी ग्लेशियर वही ग्लेशियर है जिसने साल 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में भारी तबाही मचाई थी. जब यह एवलॉन्च हो रहा था तब वहां मौजूद लोग इसे मामूली घटना ही समझ रहे थे. लेकिन जैसे-जैसे बर्फ का यह पूरा का पूरा पहाड़ नीचे आता हुआ दिखाई दिया, तब सबको समझ में आया. एक बार फिर से केदारनाथ के पीछे हलचल हुई है. फिलहाल प्रशासन इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है. प्रशासन यह जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिरकार इतनी भारी संख्या में एवलॉन्च कैसे हुआ है.

केदारनाथ धाम के चोराबाड़ी ग्लेशियर के कैचमेंट में एवलॉन्च

अभी भी डराती हैं 2013 आपदा की तस्वीरें: साल 2013 में केदारनाथ आपदा की खौफनाक तस्वीरें अब भी रोंगटे खड़े कर देती हैं. यह घटना दुनिया में सदी की सबसे बड़ी जल प्रलय से जुड़ी घटनाओं में से एक थी. 16 जून 2013 की उस रात केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे 13 हजार फीट ऊंचाई पर चौराबाड़ी झील ने ऐसी तबाही मचाई थी, जिसके कारण हजारों लोगों की जिंदगियां तबाह हो गईं. अंदाजा लगाइए कि झील फटने के कई किलोमीटर दूर तक भी लोगों को कुछ सेकंड संभलने का मौका भी नहीं मिल सका था. पानी का वेग इतना तेज था कि कई क्विंटल भारी पत्थर इस जल प्रलय के साथ बहते हुए सब कुछ नेस्तनाबूद कर रहे थे.

दर्दनाक तरीके से अनगिनत लोगों की मौत हुई: 16 जून 2013 की शाम करीब 6:30 बजे केदारनाथ त्रासदी में देश-विदेश के हजारों लोग दर्दनाक तरीके से काल के गाल में समा गये, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. सबसे ज्यादा लोग घाटी के ऊपर से आये भीषण बालू-कंक्रीट वाली बाढ़ की चपेट में आकर धरती में समाते गए. कुछ लोग प्रलयंकारी आपदा से इतने हताहत हुए कि वह लोग अनजान पहाड़ियों में चले गए जहां उनको किसी भी तरह से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला. जिसके चलते वह दिन रात हाड़ कंपा देने वाली ठंड और खौफ से तड़प-तड़प कर अपनी जांन गंवाते रहे.
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रामबाड़ा का नामोनिशान मिटा: 16 जून 2013 की काली रात इतनी भयानक गुजरी कि केदारनाथ धाम से लेकर श्रीनगर तक अनगिनत भवन, होटल व रेस्त्रां में सिर छुपाने की हर जगह पानी में डूबती रही. मोबाइल नेटवर्क, बिजली, पानी जैसी तमाम व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी थी. केदारघाटी में मंदाकिनी नदी ने ऐसी गदर मचाई है कि केदारनाथ मंदिर को छोड़कर सब कुछ खत्म हो गया. रामबाड़ा नाम का रियासी इलाका जहां होटल गेस्टहाउस जैसे भवन थे. उसका नामोनिशान घाटी के नक्शे से पूरी तरह से मिट चुका था. खौफनाक त्रासदी के चलते लोग जहां-तहां भागते रहे और मौत की कोख में समाते रहे.

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