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महाराष्ट्र : ASI ने दौलताबाद किले में खाई से हजार से अधिक प्लास्टिक की बोतलें बरामद कीं

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद के दौलताबाद किले में खाई से 1,000 से अधिक प्लास्टिक की बोतलें बरामद की हैं. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 25, 2021, 1:12 AM IST

दौलताबाद किला
दौलताबाद किला

औरंगाबाद : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India - ASI) ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद के दौलताबाद (देवगिरि) किले में खाई से 1,000 से अधिक प्लास्टिक की बोतलें बरामद की हैं. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

औरंगाबाद शहर से लगभग 12 किमी दूर स्थित यह किला अपने चारों ओर मानव निर्मित खाई के लिए प्रसिद्ध है, जिसने इसे आक्रमणकारियों के लिए अभेद्य बना दिया था.

अधिकारी ने बताया कि पर्यटक किले के परिसर में प्लास्टिक की बोतलें छोड़ जाते हैं और हवा और पानी के बहाव के कारण ये बोतलें खाई में गिर जाती हैं.

किले के संरक्षण सहायक संजय रोहनकर ने कहा, किले पर ढलान के कारण हवा और बहते पानी के साथ खाली बोतलें नीचे आती हैं. हमने हाल ही में खाई से लगभग 1,500 बोतलें निकालीं, जिससे यह प्लास्टिक मुक्त हो गई.

उन्होंने कहा कि ASI अब पर्यटकों को किले में प्लास्टिक की बोतलें फेंकने से रोकने के लिए एक नया उपाय करने की कोशिश कर रहा है.

पढ़ें : महाराष्ट्र में जीजामाता समाधि का रासायनिक सरंक्षण किया जाएगा : ASI अधिकारी

अधिकारी ने कहा, हम प्लास्टिक की बोतलों पर स्टिकर लगा रहे हैं और आगंतुकों से प्रति बोतल 20 रुपये जमा करवा रहे हैं. परिसर से बाहर निकलते समय पर्यटकों को अपनी बोतल दिखाने पर जमा राशि वापस मिल जाती है. जनवरी में यह उपाय लागू होने के बाद से कम से कम 17,200 पर्यटकों ने जमा राशि का भुगतान किया है. इस कदम से परिसर के अंदर कचरे को कम करने में मदद मिलेगी.

(पीटीआई-भाषा)

औरंगाबाद : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India - ASI) ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद के दौलताबाद (देवगिरि) किले में खाई से 1,000 से अधिक प्लास्टिक की बोतलें बरामद की हैं. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

औरंगाबाद शहर से लगभग 12 किमी दूर स्थित यह किला अपने चारों ओर मानव निर्मित खाई के लिए प्रसिद्ध है, जिसने इसे आक्रमणकारियों के लिए अभेद्य बना दिया था.

अधिकारी ने बताया कि पर्यटक किले के परिसर में प्लास्टिक की बोतलें छोड़ जाते हैं और हवा और पानी के बहाव के कारण ये बोतलें खाई में गिर जाती हैं.

किले के संरक्षण सहायक संजय रोहनकर ने कहा, किले पर ढलान के कारण हवा और बहते पानी के साथ खाली बोतलें नीचे आती हैं. हमने हाल ही में खाई से लगभग 1,500 बोतलें निकालीं, जिससे यह प्लास्टिक मुक्त हो गई.

उन्होंने कहा कि ASI अब पर्यटकों को किले में प्लास्टिक की बोतलें फेंकने से रोकने के लिए एक नया उपाय करने की कोशिश कर रहा है.

पढ़ें : महाराष्ट्र में जीजामाता समाधि का रासायनिक सरंक्षण किया जाएगा : ASI अधिकारी

अधिकारी ने कहा, हम प्लास्टिक की बोतलों पर स्टिकर लगा रहे हैं और आगंतुकों से प्रति बोतल 20 रुपये जमा करवा रहे हैं. परिसर से बाहर निकलते समय पर्यटकों को अपनी बोतल दिखाने पर जमा राशि वापस मिल जाती है. जनवरी में यह उपाय लागू होने के बाद से कम से कम 17,200 पर्यटकों ने जमा राशि का भुगतान किया है. इस कदम से परिसर के अंदर कचरे को कम करने में मदद मिलेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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