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राज्य की जमीनें कार्यपालिका की ‘पैतृक संपत्ति’ है? अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा

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Published : Jul 7, 2021, 2:15 PM IST

बंबई उच्च न्यायालय ने शहर में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार और मुंबई नगरपालिका को फटकार लगाते हुए सरकार से पूछा कि क्या राज्य की जमीनें कार्यपालिका की पैतृक संपत्ति है.

बंबई उच्च न्यायालय
बंबई उच्च न्यायालय

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने शहर में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) और मुंबई नगरपालिका को फटकार लगाते हुए कहा है कि ऐसा मालूम होता है कि राज्य की संपत्ति कार्यपालिका की पैतृक संपत्ति है.

मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Dutta) और जस्टिस जी एस कुलकर्णी (Justice GS Kulkarni) की पीठ ने पिछले साल पड़ोस के ठाणे जिले के भिवंडी नगर में एक इमारत के ढह जाने के बाद पूरे मुंबई नगरपालिका क्षेत्र (Mumbai Municipal Area-MMR) में अवैध निर्माणों पर स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को ये टिप्पणियां कीं.

वरिष्ठ वकील अस्पी चिनॉय (Senior Advocate Aspi Chinoy) ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BrihanMumbai Municipal Corporation-BMC) के साथ यह दलील दी कि राज्य की झुग्गी पुनर्वास नीति (Slum Rehabilitation Policy) ने अतिक्रमणकारियों को संरक्षण दिया है. इसलिए, नगर निकाय नगपालिका कानून के प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि बाहरी प्राधिकरण के तौर पर BMC की भूमिका सीमित है.

पढ़ें : बंबई हाई काेर्ट ने ट्राई का आदेश बरकरार रखा

महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार की झुग्गी पुनर्वास नीतियों ने एक जनवरी 2000 से पहले बने और 14 फुट से कम उंचे ढांचों के विध्वंस के खिलाफ वैधानिक संरक्षण दिया हुआ है. उन्होंने बताया कि वैध फोटो पासधारक झुग्गी निवासियों के ढांचे को संरक्षित किया गया था और उन्हें झुग्गी पुनर्वास नीतियों के तहत ध्वस्त नहीं किया जा सकता था.

कुंभकोणी ने कहा कि एक के बाद एक आने वाली सरकारों ने अधिसूचित झुग्गी क्षेत्रों में बने घरों की सुरक्षा के लिए अंतिम तिथि को वर्ष 2000 तक के लिए बढ़ा दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने शहर में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) और मुंबई नगरपालिका को फटकार लगाते हुए कहा है कि ऐसा मालूम होता है कि राज्य की संपत्ति कार्यपालिका की पैतृक संपत्ति है.

मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Dutta) और जस्टिस जी एस कुलकर्णी (Justice GS Kulkarni) की पीठ ने पिछले साल पड़ोस के ठाणे जिले के भिवंडी नगर में एक इमारत के ढह जाने के बाद पूरे मुंबई नगरपालिका क्षेत्र (Mumbai Municipal Area-MMR) में अवैध निर्माणों पर स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को ये टिप्पणियां कीं.

वरिष्ठ वकील अस्पी चिनॉय (Senior Advocate Aspi Chinoy) ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BrihanMumbai Municipal Corporation-BMC) के साथ यह दलील दी कि राज्य की झुग्गी पुनर्वास नीति (Slum Rehabilitation Policy) ने अतिक्रमणकारियों को संरक्षण दिया है. इसलिए, नगर निकाय नगपालिका कानून के प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि बाहरी प्राधिकरण के तौर पर BMC की भूमिका सीमित है.

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महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने उच्च न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार की झुग्गी पुनर्वास नीतियों ने एक जनवरी 2000 से पहले बने और 14 फुट से कम उंचे ढांचों के विध्वंस के खिलाफ वैधानिक संरक्षण दिया हुआ है. उन्होंने बताया कि वैध फोटो पासधारक झुग्गी निवासियों के ढांचे को संरक्षित किया गया था और उन्हें झुग्गी पुनर्वास नीतियों के तहत ध्वस्त नहीं किया जा सकता था.

कुंभकोणी ने कहा कि एक के बाद एक आने वाली सरकारों ने अधिसूचित झुग्गी क्षेत्रों में बने घरों की सुरक्षा के लिए अंतिम तिथि को वर्ष 2000 तक के लिए बढ़ा दिया था.

(पीटीआई-भाषा)

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