नई दिल्ली : दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान संसद (Kishan Sansad) के चौथे दिन मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा पारित आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 को किसानों द्वारा खारिज कर दिया गया. किसान चाहते हैं कि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 (Essential Commodities Act, 1955) के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाए. इसलिए किसान संसद ने अपनी मांग के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित कर दिया.
किसान संसद की कार्रवाई के दौरान बतौर ऑब्ज़र्वर मौजूद रहे किसान नेता युद्धवीर सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि किसनों ने पूरी बारिकी से अपनी बात यहां रख कर बताया है. आम लोगों की यह राय है कि तीन कृषि कानूनों में से आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 ज्यादा खतरनाक है. इसमें उत्पादक के साथ-साथ उपभोगता भी बर्बाद होने वाला है, क्योंकि जब पूरे स्टॉक पर पूंजीपतियों का नियंत्रण हो जाएगा तो जैसा कि नेता राकेश टिकैत भी कहते हैं कि अनाज तिजोरियों में बंद हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि जब किसानों की फसल आएगी तब कंपनियां उनसे सस्ते में खरीदेंगी और अपने गोदामों में भरकर वह उपभोक्ता का शोषण करेंगे. यह आज भी हो रहा है और आने वाले समय में और भी बढ़ जाएगा.
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युद्धवीर सिंह मानते हैं कि संसद के करीब आकर किसानों द्वारा संसद के आयोजन और उसमें कृषि कानूनों पर चर्चा करने से सरकार पर दबाव बढ़ा है. अब लोगों में जागरुकता आ चुकी है और यह आंदोलन अब जन आंदोलन का रूप ले चुका है. तीन कृषि कानूनों के विरोध और MSP पर खरीद गारंटी करने वाले कानून बनाने की मांग के साथ चल रहे किसान आंदोलन को अब तक जिन विपक्षी पार्टियों का साथ मिलता रहा है, उसमें तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress-TMC) भी प्रमुख है.
बता दें कि, TMC सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी दिल्ली दौरे पर हैं. चर्चा है कि इस दौरान किसान नेता ममता बनर्जी से मिल सकते हैं. इस पर युद्धवीर सिंह ने कहा कि मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, अभी कुछ तय नहीं हुआ है. किसानों का मंच आज तक राजनीति से जुड़े लोगों के साथ साझा नहीं किया गया है, लेकिन किसान नेताओं को अनौपचारिक मुलाकात से कोई गुरेज नहीं है.
किसानों और पेगासस के मुद्दे पर देश की संसद में लगातार विपक्ष का हंगामा जारी है. अब तक एक दिन भी कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल सकी है. ऐसे में क्या सरकार कुछ लचीलापन दिखाते हुए किसानों की बात मान सकती है?
इस पर किसान नेता का कहना है कि उन्हें सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. किसान अनिश्चितकाल तक आंदोलन चलाने के लिए तैयार हैं, लेकिन कृषि कानूनों को बगैर रद्द कराए वह पीछे नहीं हटेंगे.