प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) : इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने पत्नी के रहते एक दूसरी महिला के साथ लिव इन संबंध (live-in relationship) में रहने के कारण बर्खास्त हुए एक सरकारी कर्मचारी (Government Employee) की बर्खास्तगी रद्द कर दी है. इसके साथ ही उस कर्मचारी को मामूली दंड के साथ बहाल करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस पंकज भाटिया (Justice Pankaj Bhatia) ने पिछले बुधवार को यह आदेश पारित किया और राज्य सरकार के अधिकारियों को मामूली दंड लगाते हुए नए सिरे से आदेश पारित करने को कहा.
याचिकाकर्ता गोरे लाल वर्मा के खिलाफ बर्खास्तगी का आदेश इस आधार पर पारित किया गया था कि लक्ष्मी देवी के साथ शादीशुदा होने के बावजूद याचिकाकर्ता हेमलता वर्मा के साथ पति-पत्नी की तरह रह रहा है. इस संबंध से उसके तीन बच्चे भी हैं.
बर्खास्तगी का आदेश पारित करते हुए यह कहा गया था कि यह आचरण उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियम, 1956 (Uttar Pradesh Government Servant Conduct Rules, 1956) के प्रावधानों के खिलाफ है और यह हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) के प्रावधानों के भी खिलाफ है.
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याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि इसी तरह के अनीता यादव के एक मामले में इस अदालत ने बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया था. हालांकि, प्रतिवादियों को उनकी इच्छा के मुताबिक हल्का दंड लगाने का अवसर दिया गया था. याचिकाकर्ता के वकील ने आगे अपनी दलील में कहा कि इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी और इस अपील को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में खारिज कर दिया गया था.
संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने बर्खास्तगी का आदेश दरकिनार कर दिया और कहा कि तथ्यों पर विचार करते हुए और अनीता यादव के मामले में इस अदालत के निर्णय को देखते हुए यह याचिकाकर्ता भी समान लाभ पाने का पात्र है.
अदालत ने कहा कि इस रिट याचिका को स्वीकार किया जाता है और प्रतिवादी अधिकारियों को याचिकाकर्ता को बहाल करने का निर्देश दिया जाता है. हालांकि, याचिकाकर्ता को बर्खास्तगी की तिथि से आज की तिथि तक बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा. यह प्रतिवादियों पर छोड़ा जाता है कि वे मामूली दंड लगाने के लिए कानून के मुताबिक नए सिरे से आदेश पारित करें.
(पीटीआई-भाषा)