गुवाहाटी: असम में विपक्षी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने राज्य विधानसभा और लोकसभा के निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित प्रस्ताव के मसौदे का विरोध करते हुए रविवार को कहा कि उसने इस कवायद के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है.
एआईयूडीएफ के संगठन महासचिव और विधायक अमीनुल इस्लाम (Aminul Islam) ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 2008 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान संबद्ध अधिनियमों में संशोधनों के कारण परिसीमन आयोग के बजाय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को इस कवायद की जिम्मेदारी दी गई.
उन्होंने कहा, 'हमने आयोग को यह शक्ति प्रदान करने से संबंधित संशोधनों को चुनौती दी है. इन संशोधनों की वजह से वह अब खुद दिशा-निर्देश बनाकर किसी की कोई जवाबदेही के बिना परिसीमन कर सकता है.'
एआईयूडीएफ विधायक ने कहा कि आजादी के बाद से परिसीमन आयोग ने परिसीमन किया, आयोग ने नहीं और इसे जारी रखा जाना चाहिए. उच्चतम न्यायालय की ई-कोर्ट सेवाओं पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, एआईयूडीएफ ने शनिवार को भारत सरकार के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की.
अमीनुल इस्लाम ने कहा, 'चुनाव आयोग को निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने का अधिकार देना असंवैधानिक है.' इस्लाम ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने के लिए मसौदा प्रस्ताव तैयार किया गया है ताकि भाजपा असम में आगामी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में जीत हासिल कर सके.'
वहीं, 'मिया' राजनीति पर टिप्पणी करते हुए विधायक ने कहा कि 'मुख्यमंत्री (हिमंत बिस्वा सरमा) या बीजेपी की हमेशा से नीति रही है कि वे कभी भाषा तो कभी धर्म के आधार पर भेदभाव पैदा करना चाहते हैं. यूसीसी को लेकर नागालैंड और मिजोरम से मिल रही चुनौती से बीजेपी आशंकित है. इसलिए भाजपा ने सांप्रदायिक विभाजन लाने के लिए मियां मुद्दे को घसीटा है.'
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(एक्स्ट्रा इनपुट भाषा)