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RTI report: उत्तराखंड में 23 साल में 37 हजार से ज्यादा लोग हुए गुमशुदा, महिलाओं से ज्यादा पुरुष हुए लापता

Uttarakhand missing people उत्तराखंड राज्य को बने 23 साल हो चुके हैं. राज्य बनने के बाद बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की गुमशुदगी के आंकड़े डरावने हैं. इन 23 सालों में राज्य के 37 हजार से ज्यादा लोग गुम हो गए. उत्तराखंड के डीजीपी का दावा है कि 23 साल में गुमशुदा हुए 90 फीसदी लोगों को ढूंढ लिया गया. दरअसल एक आरटीआई की रिपोर्ट के बाद उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने समीक्षा करते हुए ये बात कही. Missing people of Uttarakhand

Uttarakhand missing people
उत्तराखंड पुलिस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 20, 2023, 11:06 AM IST

Updated : Sep 20, 2023, 12:38 PM IST

23 साल में उत्तराखंड में गुमशुदा हुए लोगों की रिपोर्ट

देहरादून (उत्तराखंड): डीजीपी के निर्देश पर प्रदेश भर में गुमशुदा लोगों की तलाश किये जाने के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर प्रत्येक माह समीक्षा की जाती है. इन दिनों गुमशुदा बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की तलाश और पुनर्वास के लिए प्रदेश में 01 सितंबर से 31 अक्टूबर तक 02 महीने का ऑपरेशन स्माइल अभियान चलाया जा रहा है.

missing people of uttarakhand
23 साल में 37,043 लोग गुमशुदा हुए

23 साल में 37 हजार से ज्यादा लोग हुए गुमशुदा: डीजीपी द्वारा ऑपरेशन स्माइल अभियान तथा प्रदेश में गुमशुदा बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की समीक्षा की गयी. समीक्षा में पाया गया कि प्रदेश में पिछले 23 सालों (साल 2000 से 31 अगस्त 2023 तक) में कुल 37,043 लोग गुमशुदा हुए. इनमें 5,662 बालक, 4,896 बालिकाएं, 12,701 महिलाएं और 13,784 पुरुष गुमशुदा हुए.

पुलिस ने सॉल्व किए 90 फीसदी केस: पुलिस के अनुसार इनमें से 5437 बालक (96%), 4705 बालिकाएं (96%), 11399 महिलाएं (90%) और 11174 पुरुष (81%) को बरामद किया गया. साथ ही अभियान में गुमशुदाओं को तलाश करने के लिए जनपद देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल में चार टीमें, शेष जनपदों और रेलवे में एक टीम (कुल 26 टीम) का गठन किया गया. प्रत्येक टीम में 1 उपनिरीक्षक, 4 कांस्टेबल-4 को नियुक्त किया गया.

missing people of uttarakhand
पुलिस का दावा है कि उसने 90 फीसदी केस सॉल्व किए

इन स्थानों पर ढूंढती है पुलिस: अभियान जनपद के ऐसे स्थानों जहां गुमशुदाओं के मिलने की संभावना अधिक है, जैसे शेल्टर होम्स, ढाबे, कारखाने, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थानों और आश्रमों आदि में चलाया जा रहा है. यदि गुमशुदा के किसी अन्य राज्य में मिलने की सूचना प्राप्त होती है, तो तत्काल टीम भेजकर गुमशुदा को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही गुमशुदाओं का मिलान प्रदेश और सीमावर्ती राज्यों में बरामद लावारिस शवों से भी किया जा रहा है.
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ऑपरेशन स्माइल निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका: वहीं डीजीपी अशोक कुमार के अनुसार प्रदेश भर में चलाए जा रहे ऑपरेशन स्माइल में 01 सितंबर 2023 से 15 सितंबर 2023 तक कुल 568 गुमशुदाओं को ढूंढा जा चुका है. ढूंढे गए गुमशुदाओं में से उत्तराखंड राज्य के पंजीकृत बालक-07, बालिका-27, पुरुष-213 व महिला-283 और 38 अपंजीकृत गुमशुदाओं को ढूंढा गया है. इस अभियान में साल 2015 से साल 2021 तक बालक-1578, बालिकाएं-643, महिलाएं-604 और पुरुष-430 (कुल-3255 गुमशुदा) को ढूंढा गया है. इस प्रकार ऑपरेशन स्माइल में अब तक कुल 3,823 गुमशुदाओं को ढूंढा गया है.

RTI एक्टिविस्ट नदीमउद्दीन ने मांगी थी रिपोर्ट: बता दें कि पुलिस मुख्यालय की लोक सूचना अधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक (कार्मिक) शाहजहां जावेद खान की ओर से आरटीआई कार्यकर्ता नदीमउद्दीन को जवाब उपलब्ध कराया गया था. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी 2021 से मई 2023 तक कुल 3,854 महिलाओं की प्रदेश में गुमशुदगी दर्ज की गईं. इनमें 2021 में 1,494, साल 2022 में 1,632 और साल 2023 में मई माह तक 728 महिलाएं गुम हुई हैं.
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उत्तराखंड पुलिस ने गुमशुदाओं का 23 साल का आंकड़ा जारी किया: इसी अवधि में कुल 1,132 बालिकाओं के गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया. इसमें साल 2021 में 404, साल 2022 में 425 और साल 2023 में मई तक 305 बालिकाएं गुम हुई हैं. आरटीआई के जवाब में पिछले करीब ढाई साल में करीब 4,988 लड़कियां और महिलाएं गायब हुईं. इस अवधि में ढूंढी गई लड़कियों और महिलाओं की संख्या 4,003 रही. इस प्रकार 985 महिलाओं और लड़कियों का पता नहीं लग पाया. इस आरटीआई के संज्ञान में आने के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने इस मामले में समीक्षा करने के बाद 23 सालों का आंकड़ा जारी किया है.

देश भर में अभियान चलाती है उत्तराखंड पुलिस: डीजीपी अशोक कुमार ने बताया है कि उत्तराखंड पुलिस इस मामले में काफ़ी संवेदनशील है. पिछले 23 सालों में जितने बालक और बालिकाएं गुमशुदा हुए हैं उनमें से पुलिस ने 96 प्रतिशत को ढूंढ लिया. साथ ही पिछले 08 सालों में हर साल दो महीने के लिए ऑपरेशन स्माइल चलाया जा रहा है. इसमें देश के कोने-कोने से गुमशुदाओं को ढूंढ कर लाते हैं.
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इन केसों में असफल रहती है पुलिस: अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस की कोशिश रहती है की कोई भी बच्चा या फिर लड़की गुमशुदा है तो तत्काल टीम काम करती है. साथ ही बताया की कई बार बच्चे नाराज होकर घर से चले जाते हैं. कुछ लड़कियां शादी के लिए अपनी मर्जी से चली जाती हैं. ऐसे कुछ कारण रहते है जिनमें पुलिस उन लोगों को नहीं ढूंढ पाती है. इसके बावजूद पुलिस का सफलता प्रतिशत बहुत हाई है. साथ ही ऑपरेशन स्माइल में अधिक से अधिक गुमशुदाओं को तलाश किये जाने के लिए सभी जनपदों को निर्देशित किया गया है. गुमशुदाओं को तलाश किये जाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं.
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23 साल में उत्तराखंड में गुमशुदा हुए लोगों की रिपोर्ट

देहरादून (उत्तराखंड): डीजीपी के निर्देश पर प्रदेश भर में गुमशुदा लोगों की तलाश किये जाने के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर प्रत्येक माह समीक्षा की जाती है. इन दिनों गुमशुदा बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की तलाश और पुनर्वास के लिए प्रदेश में 01 सितंबर से 31 अक्टूबर तक 02 महीने का ऑपरेशन स्माइल अभियान चलाया जा रहा है.

missing people of uttarakhand
23 साल में 37,043 लोग गुमशुदा हुए

23 साल में 37 हजार से ज्यादा लोग हुए गुमशुदा: डीजीपी द्वारा ऑपरेशन स्माइल अभियान तथा प्रदेश में गुमशुदा बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की समीक्षा की गयी. समीक्षा में पाया गया कि प्रदेश में पिछले 23 सालों (साल 2000 से 31 अगस्त 2023 तक) में कुल 37,043 लोग गुमशुदा हुए. इनमें 5,662 बालक, 4,896 बालिकाएं, 12,701 महिलाएं और 13,784 पुरुष गुमशुदा हुए.

पुलिस ने सॉल्व किए 90 फीसदी केस: पुलिस के अनुसार इनमें से 5437 बालक (96%), 4705 बालिकाएं (96%), 11399 महिलाएं (90%) और 11174 पुरुष (81%) को बरामद किया गया. साथ ही अभियान में गुमशुदाओं को तलाश करने के लिए जनपद देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल में चार टीमें, शेष जनपदों और रेलवे में एक टीम (कुल 26 टीम) का गठन किया गया. प्रत्येक टीम में 1 उपनिरीक्षक, 4 कांस्टेबल-4 को नियुक्त किया गया.

missing people of uttarakhand
पुलिस का दावा है कि उसने 90 फीसदी केस सॉल्व किए

इन स्थानों पर ढूंढती है पुलिस: अभियान जनपद के ऐसे स्थानों जहां गुमशुदाओं के मिलने की संभावना अधिक है, जैसे शेल्टर होम्स, ढाबे, कारखाने, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, धार्मिक स्थानों और आश्रमों आदि में चलाया जा रहा है. यदि गुमशुदा के किसी अन्य राज्य में मिलने की सूचना प्राप्त होती है, तो तत्काल टीम भेजकर गुमशुदा को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही गुमशुदाओं का मिलान प्रदेश और सीमावर्ती राज्यों में बरामद लावारिस शवों से भी किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: पौड़ी में संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुई महिला, पति ने दर्ज कराई शिकायत

ऑपरेशन स्माइल निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका: वहीं डीजीपी अशोक कुमार के अनुसार प्रदेश भर में चलाए जा रहे ऑपरेशन स्माइल में 01 सितंबर 2023 से 15 सितंबर 2023 तक कुल 568 गुमशुदाओं को ढूंढा जा चुका है. ढूंढे गए गुमशुदाओं में से उत्तराखंड राज्य के पंजीकृत बालक-07, बालिका-27, पुरुष-213 व महिला-283 और 38 अपंजीकृत गुमशुदाओं को ढूंढा गया है. इस अभियान में साल 2015 से साल 2021 तक बालक-1578, बालिकाएं-643, महिलाएं-604 और पुरुष-430 (कुल-3255 गुमशुदा) को ढूंढा गया है. इस प्रकार ऑपरेशन स्माइल में अब तक कुल 3,823 गुमशुदाओं को ढूंढा गया है.

RTI एक्टिविस्ट नदीमउद्दीन ने मांगी थी रिपोर्ट: बता दें कि पुलिस मुख्यालय की लोक सूचना अधिकारी अपर पुलिस अधीक्षक (कार्मिक) शाहजहां जावेद खान की ओर से आरटीआई कार्यकर्ता नदीमउद्दीन को जवाब उपलब्ध कराया गया था. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी 2021 से मई 2023 तक कुल 3,854 महिलाओं की प्रदेश में गुमशुदगी दर्ज की गईं. इनमें 2021 में 1,494, साल 2022 में 1,632 और साल 2023 में मई माह तक 728 महिलाएं गुम हुई हैं.
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उत्तराखंड पुलिस ने गुमशुदाओं का 23 साल का आंकड़ा जारी किया: इसी अवधि में कुल 1,132 बालिकाओं के गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया. इसमें साल 2021 में 404, साल 2022 में 425 और साल 2023 में मई तक 305 बालिकाएं गुम हुई हैं. आरटीआई के जवाब में पिछले करीब ढाई साल में करीब 4,988 लड़कियां और महिलाएं गायब हुईं. इस अवधि में ढूंढी गई लड़कियों और महिलाओं की संख्या 4,003 रही. इस प्रकार 985 महिलाओं और लड़कियों का पता नहीं लग पाया. इस आरटीआई के संज्ञान में आने के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने इस मामले में समीक्षा करने के बाद 23 सालों का आंकड़ा जारी किया है.

देश भर में अभियान चलाती है उत्तराखंड पुलिस: डीजीपी अशोक कुमार ने बताया है कि उत्तराखंड पुलिस इस मामले में काफ़ी संवेदनशील है. पिछले 23 सालों में जितने बालक और बालिकाएं गुमशुदा हुए हैं उनमें से पुलिस ने 96 प्रतिशत को ढूंढ लिया. साथ ही पिछले 08 सालों में हर साल दो महीने के लिए ऑपरेशन स्माइल चलाया जा रहा है. इसमें देश के कोने-कोने से गुमशुदाओं को ढूंढ कर लाते हैं.
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इन केसों में असफल रहती है पुलिस: अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस की कोशिश रहती है की कोई भी बच्चा या फिर लड़की गुमशुदा है तो तत्काल टीम काम करती है. साथ ही बताया की कई बार बच्चे नाराज होकर घर से चले जाते हैं. कुछ लड़कियां शादी के लिए अपनी मर्जी से चली जाती हैं. ऐसे कुछ कारण रहते है जिनमें पुलिस उन लोगों को नहीं ढूंढ पाती है. इसके बावजूद पुलिस का सफलता प्रतिशत बहुत हाई है. साथ ही ऑपरेशन स्माइल में अधिक से अधिक गुमशुदाओं को तलाश किये जाने के लिए सभी जनपदों को निर्देशित किया गया है. गुमशुदाओं को तलाश किये जाने के लिए हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: देहरादून से लापता 5 बच्चियां दूसरे राज्यों में मिलीं, महाराष्ट्र की युवती को पुलिस ने परिजनों के सुपुर्द किया

Last Updated : Sep 20, 2023, 12:38 PM IST
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