देहरादूनः पहाड़ी राज्य उत्तराखंड अपनी छोटी सी अवधि में ही इतने परिवर्तन देख चुका है कि अब यहां कोई नेता दिल्ली की तरफ पैर पसार कर सो भी जाता है तो सुबह ये चर्चाएं आम हो जाती हैं. चर्चाएं ये कि राज्य में कुछ ना कुछ होने वाला है. यह चर्चाएं इसलिए भी हैं क्योंकि तिवारी सरकार से त्रिवेंद्र सरकार तक कांग्रेस और भाजपा ने इन हवाओं को बल दिया. लिहाजा, अब यही चर्चाएं मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लेकर आए दिन होती रहती हैं. चर्चाएं इस बात की भी हैं कि इन मुलाकातों के पीछे आखिरकार केंद्र और राज्य सरकार के बीच ऐसी क्या 'खिचड़ी' पक रही है.
मुलाकात हुई, क्या बात हुई: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 31 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. मुलाकात की तस्वीरें देर शाम मुख्यमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी हुईं. सीएम धामी ने मुलाकात के दौरान पीएम मोदी को उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों का एक मोमेंटो भेंट किया. मुलाकात के बाद सीएम धामी ने बताया कि पीएम मोदी से उनकी मुलाकात विकास योजनाओं को लेकर हुई है. सीएम धामी ने अपने बयान में कहा कि उत्तराखंड में नेशनल हाईवे, मेट्रो प्रोजेक्ट, जल विद्युत परियोजना, चमोली-पिथौरागढ़ मार्ग सहित अन्य महत्वपूर्ण विषय पर बातचीत हुई.
ऐसी ही मुलाकात मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रधानमंत्री से 4 जुलाई को भी हुई थी. 4 जुलाई को हुई मुलाकात में भी सीएम धामी ने पीएम से मिलने के बाद यह कहा था कि उनकी बातचीत राज्य के विकास कार्यों और यूसीसी ड्राफ्ट को लेकर हुई है. इससे एक दिन पहले यानी 3 जुलाई को सीएम धामी ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद यह भी कहा गया था कि यह मुलाकात राज्य के विकास कार्यों के लिए हुई है.
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सीएम धामी को तवज्जो: इन दो मुलाकातों से पहले सीएम धामी ने पीएम मोदी से जून माह में भी मुलाकात की थी. इसके अलावा 1 मई को भी सीएम धामी ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. इन मुलाकातों में भी सीएम धामी ने लगभग डेढ़ घंटे तक प्रधानमंत्री के साथ बैठकर राज्य पर बातचीत की थी. प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए सीएम धामी ने कहा था कि पीएम मोदी से वह जागेश्वर धाम, कैलाश और ओम पर्वत और मायावती आश्रम सहित पिथौरागढ़ जैसे जनपद की समस्याओं को लेकर मिलने आए थे.
लेकिन खास बात ये है कि पिछले कुछ समय से सीएम धामी और पीएम मोदी की मुलाकात हर महीने हो रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री धामी को मुलाकातों के लिए समय दे रहे हैं. ऐसे में चर्चाएं इस बात की भी हैं कि आखिर इन मुलाकातों का असली मकसद क्या है?
गुटबाजी से चर्चाओं का जन्मः हर बार सीएम धामी के दिल्ली जाते ही चर्चाएं आम हो जाती हैं कि कुछ खेल होने वाला है. दरअसल, भाजपा में भले ही गुटबाजी नजर नहीं आती हो, लेकिन अंदर खाने भाजपा का एक गुट ऐसा भी है जो समय-समय पर सीएम धामी के फैसले और उनके खिलाफ खड़ा हो जाता है. कहा तो ये भी जाता है कि वो गुट काफी हद तक केंद्र में धामी के विपरीत हवा देता रहता है. लेकिन इस बात को भी समझना चाहिए कि अगर राज्य में सीएम धामी की छवि खराब है तो पीएम लगातार मुलाकात का समय नहीं देते. अमूमन देखने को मिलता है कि जब भी पार्टी (कांग्रेस-बीजेपी) के किसी नेता पर संकट आता है तो आलाकमान उनसे मिलने से बचता है.
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धामी पर दांव: सीएम धामी की पीएम से लगातार मुलाकात और हर हफ्ते दिल्ली दौरे को लेकर राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत कहते हैं कि धामी अभी युवा हैं. अभी उनकी राजनीतिक यात्रा लंबी है. जो लोग बार-बार ये चर्चा कर रहे हैं कि कुछ होने वाला है, वो किस हिसाब से आकलन कर रहे हैं, कहा नहीं जा सकता है. लेकिन इतना जरूर है कि धामी को लेकर पीएम और पार्टी थोड़ी गंभीर जरूर है. फिलहाल ये भी हो सकता है कि चार राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा यूसीसी पर बड़ा दांव लगाना चाहती हो और सीएम धामी ने मुलाकात कर पीएम डायरेक्ट फीडबैक ले रहे हैं.
धामी कमा रहे संबंध: वरिष्ठ पत्रकार भगीरथ शर्मा कहते हैं कि आप पीएम मोदी और धामी की मुलाकात में एक बात कॉमन देखेंगे. वो है दोनों नेताओं के बीच मुस्कराहट. जबकि पहले के सीएम से मिलने के बाद जो फोटो जारी होती थी, उसमे बॉडी लैंग्वेज बदली सी लगती थी. उन्होंने कहा कि पीएम से लगातार मुलाकात के बाद सीएम धामी कुछ ना कुछ प्रोजेक्ट ला रहे हैं. ये राज्य के लिए सही भी है. धामी अच्छा मैनेजमेंट जानते हैं. वो जानते हैं कि मुलाकात से क्या होता है. आप इस बात को इस तरह से देखिए कि जब धामी कोश्यारी के साथ थे, तब नेता नहीं थे. उनके (कोश्यारी) साथ जाते थे तो लोगों से मिलते थे. उन मुलाकातों का ही उन्हें फायदा मिलता रहा है. इन्हीं मुलाकातों का फायदा उन्हें सीएम की ताजपोशी के रूप में मिला है.
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं...: राजनीतिक विश्लेषक अरुण शर्मा कहते हैं कि पीएम मोदी सीएम धामी को मुलाकात के लिए समय दे रहे हैं. लेकिन इन मुलाकातों में क्या बात होती है, हम आंकलन नहीं कर सकते हैं. लेकिन कुछ ऐसा है जो आने वाले दिनों में राज्य में देखने को मिल सकता है. जैसे लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता लगने से पहले ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग योजना का आधा-अधूरा उद्घाटन या कोई अन्य बड़ी योजना का शिलान्यास, जिसका संदेश पूरे देश में जाए.
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क्या कहते हैं सूत्र: सूत्र बताते हैं कि उत्तराखंड को लेकर भाजपा और खासकर पीएम मोदी और अमित शाह इसलिए भी गंभीर हैं क्योंकि आने वाले 4 राज्यों के चुनावों से पहले पार्टी उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लाकर ये देखना चाहती है कि अगर इसका फायदा उन्हें चुनावों में मिलता है तो वो इसको देश में आगे बढ़ाएगी. वरना इस मुद्दे को शांत किया जाएगा. इसके अलावा लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड से किसी बड़े नेता को चुनाव लड़वाने पर भी विचार कर रही है, जिसका असर कई हिंदू बहुल सीटों पर पड़े. यही कारण हो सकता है कि बीएल संतोष से लेकर धामी को बार-बार दिल्ली बुलाया जा रहा है.