नई दिल्ली : भारत के प्रमुख दूरसंचार खिलाड़ी अगले वित्तीय वर्ष में पांचवीं पीढ़ी की 5 जी दूरसंचार सेवाओं (fifth generation of telecom services) को शुरू करने के लिए कमर कस रहे हैं. लेकिन सरकार द्वारा साझा किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार देश में केवल एक तिहाई मोबाइल टावरों को फाइबराइज्ड (Fiberized) यानी फाइबर आधारित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए तैयार किया गया है. फाइबराइज्ड मोबाइल टावर अगली पीढ़ी की दूरसंचार सेवाओं के सफल संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं.
कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी (Manish Tewari) के एक सवाल के जवाब में, दूरसंचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान (Devusinh Chauhan) ने लोकसभा को बताया कि दूरसंचार कंपनियां इस साल अप्रैल से मार्च 2023 के बीच देश में 5 जी दूरसंचार सेवाएं शुरू करने की योजना बना रही हैं. चौहान ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) द्वारा वर्ष 2022-23 के दौरान 5जी मोबाइल सेवाओं के शुरू करने की संभावना है. फाइबराइज्ड किए गए मोबाइल टावरों की कुल संख्या के बारे में सवाल के जवाब में, मंत्री ने कहा कि देश में सभी मोबाइल टावरों में से 34% से थोड़ा अधिक फाइबराइज्ड है. लोकसभा में सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, देश में 23,10,535 मोबाइल टावर हैं जिनमें 7,90,434 दूरसंचार कंपनियों द्वारा फाइबराइज्ड किए गए हैं. जो देश के कुल मोबाइल टावरों का 34.2% है.
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मोबाइल टावर फाइबराइजेशन क्या है : सरल शब्दों में, फाइबराइजेशन का अर्थ है ऑप्टिकल फाइबर के साथ मोबाइल टावरों का कनेक्शन, जो डेटा में भारी उछाल को संभालने के लिए आवश्यक है, जो कि पांचवीं पीढ़ी 5 जी की दूरसंचार सेवाओं जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के लॉन्च के साथ प्रत्याशित है. 5 जी की मोबाइल सेवाओं के शुरू होने से पहले देश में मोबाइल टावरों के कम फाइबराइजेशन के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा कि यह दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर निर्भर करता है. उन्होंने लोकसभा को बताया कि टीएसपी द्वारा 5जी सेवाओं को शुरू करने के लिए निवेश उनके तकनीकी-व्यावसायिक विचारों पर निर्भर करता है.
असमान मोबाइल टावर फाइबराइजेशन : सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यों ने अपने क्षेत्र में स्थित दूरसंचार टावरों के फाइबराइजेशन के स्तर में भारी भिन्नता दिखाई है. उदाहरण के लिए, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 72% से अधिक के साथ फाइबराइजेशन का उच्च स्तर है, दूसरी ओर लक्षद्वीप में मोबाइल टावरों का शून्य फाइबराइजेशन है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जैसे महत्वपूर्ण बाजारों के मामले में, मोबाइल टॉवर के फाइबराइजेशन का स्तर सिर्फ 38% था, जो राष्ट्रीय औसत 34% से 4% अधिक था, जबकि पश्चिम बंगाल में, जो कि आर्थिक रूप से पिछड़ा राज्य है में भी मोबाइल टॉवर फाइबराइजेशन भी राष्ट्रीय औसत से ऊपर 35% था. लद्दाख में यह 55.7% है और भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में उत्तरप्रदेश में यह 30% से कम है.