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वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला 48 हजार साल पुराना 'जॉम्‍बी वायरस' वायरस, लैब से बाहर निकला तो होगा कोरोना से भी खतरनाक

जलवायु परिवर्तन के कारण प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट (बर्फ के नीचे की सतह) का पिघलना मनुष्यों के लिए एक नया खतरा पैदा कर सकता है. रिसर्च करने वालों के अनुसार साइंटिस्टों ने लगभग दो दर्जन वायरस दोबारा जिंदा कर दिए हैं, जो 48,500 साल पहले एक झील के नीचे जमे हुए थे.

48500 year old zombie virus revived by scientists in Russia
वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला 48 हजार साल पुराना 'जॉम्‍बी वायरस' वायरस
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Published : Nov 30, 2022, 7:16 AM IST

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन (climate change) के कारण पर्माफ्रॉस्‍ट (जिस भूमि पर हमेशा बर्फ जमी रहे ) मनुष्यों के लिए नया खतरा पैदा कर सकती है. करीब दो दर्जन वायरस को ढूंढ निकालने वाले शोधकर्ताओं के मुताबिक, इनमें 48,500 साल पहले एक झील के नीचे जमे वायरस भी शामिल थे. यूरोपीय रिसर्चरों ने रूस के साइबेरिया क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट से एकत्रित प्राचीन नमूनों की जांच की. उन्होंने 13 नई बीमारियां फैलाने वाले वायरसों को दोबारा जिंदा किया और उनकी विशेषता बताई, जिसे उन्होंने 'जॉम्‍बी वायरस' कहा.

वे बर्फ की जमीन के अंदर हजार सालों तक फंसे रहने के बावजूद मौजूद रहे. साइंटिस्टों ने लंबे समय से चेतावनी दी है कि वायुमंडलीय वार्मिंग के कारण पर्माफ्रॉस्ट में कैद मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें मुक्त हो जाएंगी और क्लाइमेट को और खराब कर देंगी, लेकिन बीमारी फैलाने वाले वायरस पर इसका असर कम होगा. रूस, जर्मनी और फ्रांस की रिसर्च टीम ने कहा कि उनके शोध में विषाणुओं को फिर से जिंदा करने का ऑर्गेनिक रिस्क था, क्योंकि टारगेट स्ट्रेन, मुख्य रूप से अमीबा को संक्रमित करने में सक्षम थे.

पढ़ें: सरकार ने समाप्त की अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए 'एयर सुविधा' फॉर्म भरने की जरूरत

एक वायरस का संभावित रिस्टोरेशन करना बहुत अधिक प्रॉब्लमैटिक है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि खतरे को वास्तविक दिखाने के लिए उनके काम को परखा जा सकता है. ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों काफी लंबे समय से यह चेतावनी दे रहे हैं कि वायुमंडल के गर्म होने से हमेशा से जमी रहने वाली बर्फ के गलने से मीथेन जैसी पहले से फंसी हुई ग्रीनहाउस गैसों का मुक्त होना जलवायु परिवर्तन को और खराब कर देगा. हालांकि निष्क्रिय रोगाणुओं पर इसका प्रभाव कम समझा गया है.

रूस, जर्मनी और फ्रांस के शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि उनके द्वारा अध्ययन किए गए वायरसों को फिर से जीवित होने का जैविक जोखिम 'पूरी तरह से नगण्य' था. एक वायरस का संभावित पुनरुद्धार जानवरों या मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है और यह बड़ी समस्‍या है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि उनके काम को ऐसे देखे जाना चाहिए कि जैसे यह वास्‍तविक खतरा है, जो कभी भी बड़ी समस्‍या के तौर पर सामने आ सकता है. बता दें कि कोरोना वायरस के सामने आने के बाद से दुनिया में नए वायरसों को लेकर काफी डर है.

पढ़ें: मंकीपॉक्स वायरस एक बहुत बड़ा वायरस है, म्यूटेशन से हुआ 'स्मार्ट' और मजबूत

कोरोना के कारण लाखों लोगों की मौत हो चुकी है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि सभी 'जॉम्‍बी वायरस' में संक्रामक होने की क्षमता है और इसलिए जीवित संस्कृतियों पर शोध करने के बाद 'स्वास्थ्य के लिए खतरा' है. उनका मानना ​​​​है कि भविष्य में COVID-19-शैली की महामारी अधिक आम हो जाएगी, क्योंकि न्यू यॉर्क पोस्ट के अनुसार, पर्माफ्रॉस्ट पिघलने से माइक्रोबियल कैप्टन अमेरिका जैसे लंबे समय तक निष्क्रिय रहने वाले वायरस निकलते हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राचीन वायरल कणों के संक्रामक बने रहने और प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट परतों के विगलन से वापस प्रचलन में आने के जोखिम पर विचार करना वैध है. दुर्भाग्य से, यह एक दुष्चक्र है क्योंकि पिघलने वाली बर्फ द्वारा छोड़े गए कार्बनिक पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन में विघटित हो जाते हैं, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव में वृद्धि होती है और पिघलने में तेजी आती है. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट है कि नया पिघला हुआ वायरस केवल महामारी विज्ञान हिमशैल का सिरा हो सकता है क्योंकि अभी और अधिक हाइबरनेटिंग वायरस की खोज की जानी बाकी है. प्रकाश, गर्मी, ऑक्सीजन और अन्य बाहरी पर्यावरणीय चर के संपर्क में आने पर इन अज्ञात विषाणुओं की संक्रामकता के स्तर का आकलन करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है.

पढ़ें: USA : 2 सबवेरिएंट अमेरिका में कोविड19 मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार

(एएनआई)

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन (climate change) के कारण पर्माफ्रॉस्‍ट (जिस भूमि पर हमेशा बर्फ जमी रहे ) मनुष्यों के लिए नया खतरा पैदा कर सकती है. करीब दो दर्जन वायरस को ढूंढ निकालने वाले शोधकर्ताओं के मुताबिक, इनमें 48,500 साल पहले एक झील के नीचे जमे वायरस भी शामिल थे. यूरोपीय रिसर्चरों ने रूस के साइबेरिया क्षेत्र में पर्माफ्रॉस्ट से एकत्रित प्राचीन नमूनों की जांच की. उन्होंने 13 नई बीमारियां फैलाने वाले वायरसों को दोबारा जिंदा किया और उनकी विशेषता बताई, जिसे उन्होंने 'जॉम्‍बी वायरस' कहा.

वे बर्फ की जमीन के अंदर हजार सालों तक फंसे रहने के बावजूद मौजूद रहे. साइंटिस्टों ने लंबे समय से चेतावनी दी है कि वायुमंडलीय वार्मिंग के कारण पर्माफ्रॉस्ट में कैद मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें मुक्त हो जाएंगी और क्लाइमेट को और खराब कर देंगी, लेकिन बीमारी फैलाने वाले वायरस पर इसका असर कम होगा. रूस, जर्मनी और फ्रांस की रिसर्च टीम ने कहा कि उनके शोध में विषाणुओं को फिर से जिंदा करने का ऑर्गेनिक रिस्क था, क्योंकि टारगेट स्ट्रेन, मुख्य रूप से अमीबा को संक्रमित करने में सक्षम थे.

पढ़ें: सरकार ने समाप्त की अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए 'एयर सुविधा' फॉर्म भरने की जरूरत

एक वायरस का संभावित रिस्टोरेशन करना बहुत अधिक प्रॉब्लमैटिक है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि खतरे को वास्तविक दिखाने के लिए उनके काम को परखा जा सकता है. ब्‍लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों काफी लंबे समय से यह चेतावनी दे रहे हैं कि वायुमंडल के गर्म होने से हमेशा से जमी रहने वाली बर्फ के गलने से मीथेन जैसी पहले से फंसी हुई ग्रीनहाउस गैसों का मुक्त होना जलवायु परिवर्तन को और खराब कर देगा. हालांकि निष्क्रिय रोगाणुओं पर इसका प्रभाव कम समझा गया है.

रूस, जर्मनी और फ्रांस के शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि उनके द्वारा अध्ययन किए गए वायरसों को फिर से जीवित होने का जैविक जोखिम 'पूरी तरह से नगण्य' था. एक वायरस का संभावित पुनरुद्धार जानवरों या मनुष्यों को संक्रमित कर सकता है और यह बड़ी समस्‍या है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि उनके काम को ऐसे देखे जाना चाहिए कि जैसे यह वास्‍तविक खतरा है, जो कभी भी बड़ी समस्‍या के तौर पर सामने आ सकता है. बता दें कि कोरोना वायरस के सामने आने के बाद से दुनिया में नए वायरसों को लेकर काफी डर है.

पढ़ें: मंकीपॉक्स वायरस एक बहुत बड़ा वायरस है, म्यूटेशन से हुआ 'स्मार्ट' और मजबूत

कोरोना के कारण लाखों लोगों की मौत हो चुकी है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि सभी 'जॉम्‍बी वायरस' में संक्रामक होने की क्षमता है और इसलिए जीवित संस्कृतियों पर शोध करने के बाद 'स्वास्थ्य के लिए खतरा' है. उनका मानना ​​​​है कि भविष्य में COVID-19-शैली की महामारी अधिक आम हो जाएगी, क्योंकि न्यू यॉर्क पोस्ट के अनुसार, पर्माफ्रॉस्ट पिघलने से माइक्रोबियल कैप्टन अमेरिका जैसे लंबे समय तक निष्क्रिय रहने वाले वायरस निकलते हैं.

रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राचीन वायरल कणों के संक्रामक बने रहने और प्राचीन पर्माफ्रॉस्ट परतों के विगलन से वापस प्रचलन में आने के जोखिम पर विचार करना वैध है. दुर्भाग्य से, यह एक दुष्चक्र है क्योंकि पिघलने वाली बर्फ द्वारा छोड़े गए कार्बनिक पदार्थ कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन में विघटित हो जाते हैं, जिससे ग्रीनहाउस प्रभाव में वृद्धि होती है और पिघलने में तेजी आती है. न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट है कि नया पिघला हुआ वायरस केवल महामारी विज्ञान हिमशैल का सिरा हो सकता है क्योंकि अभी और अधिक हाइबरनेटिंग वायरस की खोज की जानी बाकी है. प्रकाश, गर्मी, ऑक्सीजन और अन्य बाहरी पर्यावरणीय चर के संपर्क में आने पर इन अज्ञात विषाणुओं की संक्रामकता के स्तर का आकलन करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है.

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(एएनआई)

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