अमरावती : कक्षा 10 की परीक्षाओं में गड़बड़ी के आरोप में आंध्र प्रदेश के विभिन्न स्कूलों के 42 शिक्षकों को गिरफ्तार और निलंबित किया जा चुका है. माना जा रहा है कि सरकार की छवि खराब करने के लिए शिक्षकों ने जानबूझकर शरारत की है. यहां तक कि शिक्षक संघ इस मुद्दे पर चुप रहे. कोविड -19 महामारी के कारण राज्य में दो साल बाद 27 अप्रैल से दसवीं कक्षा की परीक्षाएं आयोजित की जा रही थीं.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों को पहले कदाचार का पता तब लगा जब परीक्षा शुरू होने के डेढ़ घंटे बाद कुरनूल जिले से तेलुगु प्रश्न पत्र की तस्वीर खींची गई और व्हाट्सएप पर प्रसारित किया गया. शुक्रवार सुबह परीक्षा शुरू होने के आठ मिनट बाद ही इंग्लिश का पेपर लीक हो गया था. यह पेपर कथित तौर पर एक राजनीतिक दल के नेता के व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किया गया था.
खबर फैलते ही जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच शुरू की. पता चला कि नल्ला चेवु में एमपीडीओ कार्यालय में कार्यरत श्रीनिवास राव ने व्हाट्सएप ग्रुप में एग्जाम पेपर को पोस्ट किया था. ऐसा ही दूसरे दिन (हिंदी परीक्षा) और तीसरे दिन (अंग्रेजी) में भी सत्य साईं, कुरनूल और अन्य जिलों में हुआ. शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इन सभी मामलों में हमें कुछ शिक्षकों का हाथ होने का पता चला, जिन्होंने कुछ बाहरी लोगों की मदद से प्रश्नपत्रों के लीक होने की अफवाह फैला दी. यह घोर शरारत के अलावा और कुछ नहीं था क्योंकि प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ था, लेकिन छात्रों और अभिभावकों के बीच अनावश्यक आशंकाएं पैदा करने की कोशिश की गई थी.'
संबंधित जिला कलेक्टरों ने पुलिस के साथ मिलकर शरारत करने वालों पर नकेल कसी और उन्हें एपी सार्वजनिक परीक्षा (कदाचार और अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 1997 के तहत गिरफ्तार किया. अधिकारी ने बताया कि हालांकि यह कानून 25 साल पहले बनाया गया था, लेकिन यह पहली बार था जब शिक्षकों को कदाचार के खिलाफ इसके प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया. अधिकारी ने कहा, 'हमने विभिन्न जिलों में अब तक 42 शिक्षकों को गिरफ्तार किया है और उन्हें निलंबित कर दिया है.'
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