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FYUP : चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम तैयार, सोमवार को जारी होगा - 4 year undergraduate course

देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अगले सत्र से 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को लागू कर दिया जाएगा. यूजीसी के मुताबिक सोमवार को 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों (एफवाईयूपी) के यह नियम देश के सभी विश्वविद्यालयों के साथ साझा किए जाएंगे.

UGC Chairman Professor M Jagadish Kumar
यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार
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Published : Dec 9, 2022, 10:42 PM IST

नई दिल्ली : फोर ईयर अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम (FYUP) की रूपरेखा तैयार कर ली गई है (4 year undergraduate course FYUP ready). सोमवार 12 दिसंबर को इसे जारी कर दिया जाएगा. इसके उपरांत शैक्षणिक सत्र 2023-24 से सभी विश्वविद्यालय 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों (बीए, बीकॉम, बीएससी) आदि में दाखिला दे सकेंगे. यूजीसी ने 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए सभी आवश्यक नियम व दिशानिर्देश तैयार किए हैं. यूजीसी के मुताबिक सोमवार को 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के यह नियम देश के सभी विश्वविद्यालयों के साथ साझा किए जाएंगे.

देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अगले सत्र से 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को लागू कर दिया जाएगा. केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ अधिकांश राज्यस्तरीय एवं प्राइवेट विश्वविद्यालय भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को लागू करेंगे। इसके अलावा देश भर की डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी' भी इस 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट कार्यक्रम को लागू करने के लिए अपनी सहमति प्रदान करने जा रही हैं।

यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार (UGC Chairman Professor M Jagadish Kumar) ने बताया कि 2023-24 से जहां सभी नए छात्रों के पास चार साल वाले अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का विकल्प होगा, वहीं पुराने छात्रों के लिए भी 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम की स्कीम को मंजूरी दी जा सकती है. इसका सीधा सीधा अर्थ यह है कि ऐसे छात्र जिन्होंने इस वर्ष सामान्य तीन वर्षीय अंडर ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है, उन्हे भी अगले सत्र से चार साल की डिग्री कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिल सकता है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुताबिक सभी छात्रों के लिए 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम मुहैया कराया जाएगा लेकिन इस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए छात्रों को बाध्य नहीं किया जाएगा. यदि छात्र चाहें तो वह पहले से चले आ रहे 3 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को ही जारी रख सकते हैं.

नए सत्र से होगी शुरुआत : प्रोफेसर जगदीश कुमार के मुताबिक विश्वविद्यालयों में पहले से ही दाखिला ले चुके छात्रों को भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा. ऐसे छात्र जो प्रथम या सेकंड ईयर में हैं यदि वह चाहेंगे तो उन्हें भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का विकल्प उपलब्ध कराया जा सकेगा. हालांकि इसकी शुरुआत अगले वर्ष यानी 2023-24 से शुरू होने वाले नए सत्र से ही होगी.

यूजीसी 4 वर्षीय पाठ्यक्रमों के मामले में विभिन्न विश्वविद्यालयों को भी कुछ नियम कायदे बनाने की छूट देगा. विश्वविद्यालयों की एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में इसको लेकर आवश्यक नियंम तय किए जा सकते हैं. विश्वविद्यालय चाहे तो फाइनल ईयर में पढ़ने वाले छात्रों को भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनने का अवसर दे सकते हैं.

यूजीसी चेयरमैन ने इन अहम बदलाव के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि अगर वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम में केवल नए छात्रों को ही मौका मिलेगा तो इसके नतीजे चार साल उपरांत पता लग सकेंगे. वहीं पुराने छात्रों के इस स्कीम से जुड़ने से यह नतीजे जल्दी सामने आ सकेंगे.

4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के उपरांत दो साल का पोस्ट ग्रेजुएशन व एमफिल करने वालें छात्रों के लिए पीएचडी में दाखिले के लिए 55 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा. हालांकि एमफिल कार्यक्रम को अब बहुत लंबे समय तक जारी नहीं रखा जाएगा. कई बड़े विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में एमफिल का कोर्स ऑफर नहीं करेगे. ऐसा नई शिक्षा नीति के तहत किए गए बदलावों के कारण किया जा रहा है.

पढ़ें- अगले साल जुलाई से शुरू होगा डिजिटल विश्वविद्यालय: यूजीसी अध्यक्ष

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : फोर ईयर अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम (FYUP) की रूपरेखा तैयार कर ली गई है (4 year undergraduate course FYUP ready). सोमवार 12 दिसंबर को इसे जारी कर दिया जाएगा. इसके उपरांत शैक्षणिक सत्र 2023-24 से सभी विश्वविद्यालय 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों (बीए, बीकॉम, बीएससी) आदि में दाखिला दे सकेंगे. यूजीसी ने 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए सभी आवश्यक नियम व दिशानिर्देश तैयार किए हैं. यूजीसी के मुताबिक सोमवार को 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के यह नियम देश के सभी विश्वविद्यालयों के साथ साझा किए जाएंगे.

देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अगले सत्र से 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को लागू कर दिया जाएगा. केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ अधिकांश राज्यस्तरीय एवं प्राइवेट विश्वविद्यालय भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को लागू करेंगे। इसके अलावा देश भर की डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी' भी इस 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट कार्यक्रम को लागू करने के लिए अपनी सहमति प्रदान करने जा रही हैं।

यूजीसी के चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार (UGC Chairman Professor M Jagadish Kumar) ने बताया कि 2023-24 से जहां सभी नए छात्रों के पास चार साल वाले अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का विकल्प होगा, वहीं पुराने छात्रों के लिए भी 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम की स्कीम को मंजूरी दी जा सकती है. इसका सीधा सीधा अर्थ यह है कि ऐसे छात्र जिन्होंने इस वर्ष सामान्य तीन वर्षीय अंडर ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है, उन्हे भी अगले सत्र से चार साल की डिग्री कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिल सकता है.

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुताबिक सभी छात्रों के लिए 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम मुहैया कराया जाएगा लेकिन इस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए छात्रों को बाध्य नहीं किया जाएगा. यदि छात्र चाहें तो वह पहले से चले आ रहे 3 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को ही जारी रख सकते हैं.

नए सत्र से होगी शुरुआत : प्रोफेसर जगदीश कुमार के मुताबिक विश्वविद्यालयों में पहले से ही दाखिला ले चुके छात्रों को भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा. ऐसे छात्र जो प्रथम या सेकंड ईयर में हैं यदि वह चाहेंगे तो उन्हें भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का विकल्प उपलब्ध कराया जा सकेगा. हालांकि इसकी शुरुआत अगले वर्ष यानी 2023-24 से शुरू होने वाले नए सत्र से ही होगी.

यूजीसी 4 वर्षीय पाठ्यक्रमों के मामले में विभिन्न विश्वविद्यालयों को भी कुछ नियम कायदे बनाने की छूट देगा. विश्वविद्यालयों की एकेडमिक काउंसिल और एग्जीक्यूटिव काउंसिल में इसको लेकर आवश्यक नियंम तय किए जा सकते हैं. विश्वविद्यालय चाहे तो फाइनल ईयर में पढ़ने वाले छात्रों को भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनने का अवसर दे सकते हैं.

यूजीसी चेयरमैन ने इन अहम बदलाव के कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि अगर वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम में केवल नए छात्रों को ही मौका मिलेगा तो इसके नतीजे चार साल उपरांत पता लग सकेंगे. वहीं पुराने छात्रों के इस स्कीम से जुड़ने से यह नतीजे जल्दी सामने आ सकेंगे.

4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के उपरांत दो साल का पोस्ट ग्रेजुएशन व एमफिल करने वालें छात्रों के लिए पीएचडी में दाखिले के लिए 55 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा. हालांकि एमफिल कार्यक्रम को अब बहुत लंबे समय तक जारी नहीं रखा जाएगा. कई बड़े विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में एमफिल का कोर्स ऑफर नहीं करेगे. ऐसा नई शिक्षा नीति के तहत किए गए बदलावों के कारण किया जा रहा है.

पढ़ें- अगले साल जुलाई से शुरू होगा डिजिटल विश्वविद्यालय: यूजीसी अध्यक्ष

(आईएएनएस)

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