नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और पूर्व सांसद (सांसद) प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड में दोषी ठहराया है. शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा सिंह को बरी करने के फैसले को पलट दिया. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने दोहरे हत्याकांड मामले में महाराजगंज से राजद के पूर्व सांसद रहे सिंह को दोषी ठहराया. शीर्ष अदालत ने कहा कि यह साबित करने के लिए काफी सबूत हैं कि मार्च 1995 में छपरा में एक मतदान केंद्र के पास 18 वर्षीय राजेंद्र राय और 47 वर्षीय दरोगा राय की हत्या में वो शामिल थे.
बता दें कि दिसंबर 2008 में, पटना की एक अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए सिंह को बरी कर दिया था. 2012 में पटना उच्च न्यायालय ने उनकी बरी के फैसले को बरकरार रखा था. राजेंद्र राय के भाई ने सिंह को बरी किए जाने को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया, जिसकी सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया.
वोट नहीं देने पर हत्या : राजेंद्र राय और दरोगा राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, क्योंकि उन्होंने सिंह की सलाह के अनुसार, वोट नहीं दिया था. मृतक के परिजनों द्वारा गवाहों को धमकाने और प्रभावित करने का आरोप लगाने के बाद उच्च न्यायालय ने मामले को छपरा स्थानांतरित कर दिया था. वहीं, हत्या के एक अन्य मामले में सिंह आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.