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हिमाचल प्रदेश : 102 वर्षीय महिला ने कोरोना को हराया - आईजीएमसी में कोरोना

देश में कोरोना का कहर लगातार जारी है और इस महामारी ने पूरे देश में कोहराम मचाया हुआ है. वहीं, इस बिमारी से लोगों का मरना जीना लगा हुआ है, जहां चारों ओर से बस बुरी खबरें ही सुनने को मील रही थीं .ऐसे में प्रदेश की शिमला से एक अच्छी खबर सामने आई है., जहां किन्नौर की 102 वर्षीय महिला ने आईजीएमसी में कोरोना को मात दे दी है. साथ ही बुजुर्ग महिला ने कोरोना से लड़ाई में मेडिकल स्टाफ कर्मचारियों का भी आभार जताया.

102 वर्षीय महिला ने कोरोना को हराया
102 वर्षीय महिला ने कोरोना को हराया
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Published : May 28, 2021, 4:25 AM IST

शिमला : जहां एक ओर कोरोना का कहर लगातार जारी है. वहीं, संक्रमण से जंग जीतने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, जो कि राहत की खबर है. अब तक हजारों लोग कोरोना को मात देकर ठीक हो चुके हैं. आईजीएमसी में कोरोना से जूझ रही 102 वर्षीय महिला धर्मदासी ने भी महामारी को मात दी है.

बुजुर्ग महिला भावनगर निचार जिला किन्नौर की रहने वाली है. जिसे 14 मई को बुखार, खांसी और सांस में तकलीफ के चलते आईजीएमसी लाया गया था. बुजुर्ग महिला के साथ परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. अस्पताल स्टाफ द्वारा महिला का ख्याल रखा गया. स्वस्थ होने के बाद महिला को 27 मई को डिस्चार्ज कर दिया गया है. यह जानकारी आईजीएमसी एमएस डॉ जनक राज ने दी.

बुजुर्ग महिलाओं ने दिया साहस का परिचय

डॉ जनक राज ने बताया कि इतनी उम्र में महिला का कोविड का उपचार करना अपने आप में एक चुनौती रहा. वहीं, स्वस्थ होने के बाद परिवार के सदस्य आरएस नेगी ने बताया कि महिला को अस्पताल स्टाफ द्वारा अच्छी देखभाल की गई. गौर रहे कि हाल ही में शिमला के रिपन में पिछले कई दिनों से उपचाराधीन दो बुजुर्ग महिलाओं ने भी कोरोना को मात दी है.

जाखू की रहने वाली 92 वर्षीय महिला और न्यू शिमला की रहने वाली 99 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने डॉक्टरों के इलाज के साथ अपने आत्मविश्वास के बल पर कोरोना से लड़ाई जीती. बुजुर्ग महिला सुविधा का कहना है कि डॉक्टरों और भगवान पर पूरा भरोसा रखा. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस बीमारी को मजाक मत समझिए.

पढ़ें - उत्तराखंड : टीकाकरण से महरूम वानरजी जनजाति के लोग

कोरोना से लड़ाई में मेडिकल स्टाफ कर्मचारियों का जताया आभार

वहीं, 92 वर्षीय बुजुर्ग महिला रामदेवी का कहना है कि कोरोना से लड़ाई जीत कर घर वापस लौटना असंभव था लेकिन डॉक्टरों की कोशिश और परिवार के साथ ने जान बचा ली. उन्होंने कहा कि मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर मेडिकल स्टाफ कर्मचारी सभी अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, इसीलिए इनका सम्मान किया जाना चाहिए.

शिमला : जहां एक ओर कोरोना का कहर लगातार जारी है. वहीं, संक्रमण से जंग जीतने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, जो कि राहत की खबर है. अब तक हजारों लोग कोरोना को मात देकर ठीक हो चुके हैं. आईजीएमसी में कोरोना से जूझ रही 102 वर्षीय महिला धर्मदासी ने भी महामारी को मात दी है.

बुजुर्ग महिला भावनगर निचार जिला किन्नौर की रहने वाली है. जिसे 14 मई को बुखार, खांसी और सांस में तकलीफ के चलते आईजीएमसी लाया गया था. बुजुर्ग महिला के साथ परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. अस्पताल स्टाफ द्वारा महिला का ख्याल रखा गया. स्वस्थ होने के बाद महिला को 27 मई को डिस्चार्ज कर दिया गया है. यह जानकारी आईजीएमसी एमएस डॉ जनक राज ने दी.

बुजुर्ग महिलाओं ने दिया साहस का परिचय

डॉ जनक राज ने बताया कि इतनी उम्र में महिला का कोविड का उपचार करना अपने आप में एक चुनौती रहा. वहीं, स्वस्थ होने के बाद परिवार के सदस्य आरएस नेगी ने बताया कि महिला को अस्पताल स्टाफ द्वारा अच्छी देखभाल की गई. गौर रहे कि हाल ही में शिमला के रिपन में पिछले कई दिनों से उपचाराधीन दो बुजुर्ग महिलाओं ने भी कोरोना को मात दी है.

जाखू की रहने वाली 92 वर्षीय महिला और न्यू शिमला की रहने वाली 99 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने डॉक्टरों के इलाज के साथ अपने आत्मविश्वास के बल पर कोरोना से लड़ाई जीती. बुजुर्ग महिला सुविधा का कहना है कि डॉक्टरों और भगवान पर पूरा भरोसा रखा. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस बीमारी को मजाक मत समझिए.

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कोरोना से लड़ाई में मेडिकल स्टाफ कर्मचारियों का जताया आभार

वहीं, 92 वर्षीय बुजुर्ग महिला रामदेवी का कहना है कि कोरोना से लड़ाई जीत कर घर वापस लौटना असंभव था लेकिन डॉक्टरों की कोशिश और परिवार के साथ ने जान बचा ली. उन्होंने कहा कि मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टर मेडिकल स्टाफ कर्मचारी सभी अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, इसीलिए इनका सम्मान किया जाना चाहिए.

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