ताड़मेटला: दर्द एक, दास्तां अनेक

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Published : Apr 4, 2020, 8:40 PM IST

Updated : Apr 5, 2020, 1:02 AM IST

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बस्तर के ह्दय में 6 अप्रैल का दिन दर्द लेकर बसा हुआ है. इस माटी में भारत मां के 76 बेटों ने छत्तीसगढ़ महतारी की सुरक्षा में जान लुटा दी थी. ताड़मेटला को शायद देश जानता भी नहीं था और आज याद भी नहीं करना चाहता. 2010 में हुए इस हमले के जख्म 10 साल भी ताजा हैं. भारत के कई राज्यों के बेटे इस हमले में शहीद हुए थे. सबसे ज्यादा शहीद उत्तर प्रदेश के थे. सीआरपीएफ की वर्दी आज भी उस अटैक को याद कर भावुक होती होगी लेकिन शीश गर्व से उठता होगा. हम आपको उन परिवारों से मिलाने की कोशिश में थे. दो शहीदों के घर पहुंचे लेकिन तब तक कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने हमें मजबूर कर दिया. लेकिन हम अपने शहीदों को याद करेंगे. क्योंकि दर्द एक है, भले दास्तां अनेक है.
Last Updated : Apr 5, 2020, 1:02 AM IST

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