डिप्रेशन से जंग लड़ रहे जवानों की प्रेरणा बनीं वर्णिका - बिलासपुर रेंज आईजी रतन लाल डांगी
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कुछ कर गुजरने का मुझमें शुरू से ही इरादा था. मैं कभी जानती नहीं थी कि जवानों का सहारा बनूंगी. फौलादी इरादों को मजबूती दूंगी. ये शब्द सैन्य मनोवैज्ञानिक वर्णिका के हैं, जो जवानों को नक्सलवाद से लोहा लेने की हिम्मत दे रहीं हैं.