Raipur: कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय की मांग को लेकर रसोईया संघ ने किया प्रदर्शन - छत्तीसगढ़ रसोईया संघ
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रायपुर: प्रदेश के स्कूलों में मध्यान भोजन बनाने का काम करने वाले रसोइयों ने सोमवार को राजधानी में प्रदर्शन किया. रसोइयों ने छत्तीसगढ़ रसोईया संघ के बैनर तले कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय की मांग सरकार से की. प्रदेश के प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूल में महिला और पुरुष रसोईया बच्चों के लिए मध्यान भोजन के साथ दूसरे कामों को करते हैं. सरकार की तरफ से मानदेय के नाम पर मात्र 1500 रुपए महीने दिया जा रहा है. संघ का कहना है कि विधानसभा सत्र में बजट वाले दिन सरकार ने रसोइयों के मानदेय में मात्र 300 रुपये की वृद्धि की है, जो नाकाफी है.
कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय की मांग: रसोइया संघ की प्रदेश अध्यक्ष नीलू ओगरे ने कहा कि "प्रदेश सरकार बेरोजगारों को 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता बिना काम के देने जा रही है. लेकिन हम लोग स्कूलों में मध्यान भोजन का खाना पकाते हैं, जिसमें हमें 5 घंटे का समय लग जाता है. बावजूद इसके सरकार के द्वारा हमें महज 1 महीने का मानदेय 1800 रुपए दिया जा रहा है. ऐसे में अपना घर परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे."
महिला रसोईया ने बताया कि "स्कूल में सुबह 10:00 से 3:00 बजे तक मध्यान भोजन बनाने के साथ ही स्कूली बच्चों को भोजन खिलाने और साफ सफाई के काम करने पड़ते हैं. हर दिन स्कूलों में 300 से 400 बच्चों को मध्यान भोजन का खाना खिलाना पड़ता है. स्कूल की रसोई की भी पूरी तरह से साफ सफाई करनी पड़ती है. ऐसे हालात में हम कहीं दूसरी जगह भी काम करने नहीं जा पाते."