Beating Retreat Ceremony: अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट में दिखा जवानों का जोश
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गणतंत्र दिवस के अवसर पर पंजाब के अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में करीब 25,000 से अधिक लोग मौजूद थे. इस दौरान अटारी बॉर्डर पर मौजूद हजारों लोगों और जवानों में काफी उत्साह दिखाई दिया. समारोह में भारतीय जवानों का शौर्य देखने को मिला, वहीं बीएसएफ की टुकड़ी ने परेड किया. अमृतसर शहर से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर अटारी बॉर्डर पर प्रतिदिन सैकड़ों भारतीय, विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग बीटिंग रिट्रीट समारोह देखने के लिए पहुंचते हैं. बीएसएफ के जवानों के साथ-साथ उनके समकक्ष पाकिस्तानी रेंजर्स भी बीटिंग रिट्रीट समारोह में हिस्सा भाग लेते हैं. अटारी बॉर्डर पर पहली बार 11 अक्टूबर 1947 को तिरंगा लहराया गया था. भारत और पाकिस्तान परंपरागत तौर पर 1959 के बाद से अटारी बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह आयोजित कर रहे हैं और इस कार्यक्रम में भारी संख्या में दोनों देशों के लोग शामिल होते हैं. बीटिंग रिट्रीट समारोह का आयोजन 60 से 120 मिनट का होता है. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद ऐतिहासिक ग्रैंड ट्रंक रोड पर अटारी-वाघा संयुक्त चेक पोस्ट स्थापित की गई थी, जहां भारत की तरफ को अटारी और पाकिस्तान की तरफ को वाघा के नाम से जाना जाता है. अटारी-वाघा बॉर्डर पर होने वाले इस समारोह के लिए दोनों देशों की सरकारों ने सहमति जाहिर की थी. अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत और पाकिस्तान की सीमा पर गश्त करने वाले जवान अपने-अपने राष्ट्रीय ध्वज सुबह फहराते हैं और शाम को सूरज ढलने से पहले तिरंगे को उतारा जाता है. तिरंगा को उतारने से पहले भारत और पाकिस्तान के सुरक्षाबल एक-दूसरे को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए चुनौती देते हैं और अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं.