सूरजपुर: देश के अलग-अलग राज्यों सहित छत्तीसगढ़ में फंसे हुए प्रवासी मजदूर को घर भेजना अब राज्य सरकारों के लिए चुनौतीपूर्ण काम हो गया है. प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल जाने के बाद भी राज्यों के लिए मजदूरों का पलायन चुनौती बन गया है.
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कोरोना संकट के इस दौर में मजदूरों का पंजीयन, वाहनों का इंतजाम, स्क्रीनिंग समेत तमाम जरूरी इंतजाम अब सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर रही है. इस समय सबसे बड़ी समस्या सोशल डिस्टेंसिंग को पालन करने की भी है. इसके लिए तमाम राज्य सरकार के अधिकारी मंथन कर रहे हैं, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल रहा है. लिहाजा कई जगहों पर अब अधिकारी इससे पीछा भी छुड़ाने लगे हैं.
21 मार्च से पैदल निकले हैं मजदूर
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जहां उत्तर प्रदेश के कुछ मजदूर अंबिकापुर की ओर से सूरजपुर होते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लिए निकले थे, जिनसे ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि वे 21 मार्च को रायपुर से प्रयागराज (इलाहाबाद) के लिए चले थे, लेकिन उन दिनों कोरबा में कोरोना के ज्यादा केस होने के कारण उन्हें कोरबा-चांपा चेक पोस्ट पर रोक लिया गया था और 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया गया था. इस दौरान सभी को खाना-पीना दिया गया, लेकिन जब जाने का वक्त आया तो यहां के अधिकारियों ने सभी को ये कहकर वहां से जाने के लिए कह दिया, कि उत्तर प्रदेश की सरकार आप लोगों के लिए कोई इंतजाम नहीं करा पा रही है.