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सूरजपुर: स्वास्थ्य केंद्र का भवन बिना उद्घाटन ही हो गया जर्जर - बिल्डिंग

साल 2013 में निर्माण किया गया स्वास्थ्य केंद्र पांच साल बाद भी शुरू नहीं हो सका है. अफसरों ने इस स्वास्थ्य केंद्र को शुरू कराने का आश्वासन दिया था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका है.

स्वास्थ्य केंद्र का भवन बिना उद्घाटन ही हो गया जर्जर
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Published : Sep 22, 2019, 2:48 PM IST

Updated : Sep 22, 2019, 5:16 PM IST

सूरजपुर: खेतों के बीच 2013 में बिल्डिंग बनाने का मकसद कोरया गांव के लोगों को स्वास्थ्य सेवा का फायदा दिलाना था. लेकिन लाल फीताशाही की वजह से निर्माण के पांच साल बाद भी यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शुरू नहीं हो सका. विभाग की लापरवाही का यह आलम है कि इस अस्पताल का आज तलक उद्घाटन भी नहीं हो पाया .

जर्जर स्वास्थ्य केंद्र.

जिस वक्त स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग का निर्माण हुआ था, उस दौरान कोरया के ग्रामीणों को इससे बड़ी उम्मीदें थीं, जो आज पांच साल बाद भी अधूरी है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिल्डिंग का निर्माण हुआ. इस स्वास्थ्य केंद्र में वो तमाम सुविधाएं भी मौजूद हैं, जो इस तरह के अस्पताल में होनी चाहिए. यहां दो स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति भी हुई है. इतना सब होने के बावजूद ग्रामीण आज भी 10 से 15 किलोमीटर दूर जाकर अपना इलाज कराने को मजबूर हैं. भवन के गेट पर लटका ताला शासन-प्रशासन की लापरवाही का एक बडा उदाहरण है.

पढ़ें : 'अब अंबिकापुर में संविदा और नियमित डॉक्टरों को मिलेगी एक समान सैलरी'

एक ओर भवन में 5 साल पहले लगे इस ताले में जंग लग चुकी है वहीं दूसरी ओर प्रभारी कलेक्टर अश्वनी देवांगन इसे शुरू करवाने की बात कर रहे हैं. बता दें कि इससे पहले भी अफसरों ने इस स्वास्थ्य केंद्र को शुरू कराने का आश्वासन दिया था, तो अब तक पूरा न हो सका. अब देखना यह होगा कि क्या इस बार जिलाधीश का वादा हकीकत की शक्ल लेगा और क्या पांच साल बाद ही सही लोगों को अपने गांव में इलाज नसीब हो पाएगा.

सूरजपुर: खेतों के बीच 2013 में बिल्डिंग बनाने का मकसद कोरया गांव के लोगों को स्वास्थ्य सेवा का फायदा दिलाना था. लेकिन लाल फीताशाही की वजह से निर्माण के पांच साल बाद भी यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शुरू नहीं हो सका. विभाग की लापरवाही का यह आलम है कि इस अस्पताल का आज तलक उद्घाटन भी नहीं हो पाया .

जर्जर स्वास्थ्य केंद्र.

जिस वक्त स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग का निर्माण हुआ था, उस दौरान कोरया के ग्रामीणों को इससे बड़ी उम्मीदें थीं, जो आज पांच साल बाद भी अधूरी है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिल्डिंग का निर्माण हुआ. इस स्वास्थ्य केंद्र में वो तमाम सुविधाएं भी मौजूद हैं, जो इस तरह के अस्पताल में होनी चाहिए. यहां दो स्वास्थ्य कर्मचारियों की नियुक्ति भी हुई है. इतना सब होने के बावजूद ग्रामीण आज भी 10 से 15 किलोमीटर दूर जाकर अपना इलाज कराने को मजबूर हैं. भवन के गेट पर लटका ताला शासन-प्रशासन की लापरवाही का एक बडा उदाहरण है.

पढ़ें : 'अब अंबिकापुर में संविदा और नियमित डॉक्टरों को मिलेगी एक समान सैलरी'

एक ओर भवन में 5 साल पहले लगे इस ताले में जंग लग चुकी है वहीं दूसरी ओर प्रभारी कलेक्टर अश्वनी देवांगन इसे शुरू करवाने की बात कर रहे हैं. बता दें कि इससे पहले भी अफसरों ने इस स्वास्थ्य केंद्र को शुरू कराने का आश्वासन दिया था, तो अब तक पूरा न हो सका. अब देखना यह होगा कि क्या इस बार जिलाधीश का वादा हकीकत की शक्ल लेगा और क्या पांच साल बाद ही सही लोगों को अपने गांव में इलाज नसीब हो पाएगा.

Intro:सूरजपुर जिले के ग्राम कोरया मैं 2013 अस्पताल भवन बनकर तैयार तो हो गया है लेकिन आज 5 साल बाद भी ग्रामीणों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है


Body:दरअसल जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूरी पर ग्राम पंचायत कोरया जहां सरपंच सचिव की मनमानी तो देखी जाती है लेकिन वही अस्पताल का हाल भी बेहाल है लगभग 5 वर्ष पूर्व ही अस्पताल भवन तो बनकर तैयार हो गया है लेकिन आज तक इस अस्पताल का उद्घाटन भी नहीं हो पाया है जिसके कारण ग्रामीणों को 10 से 15 किलोमीटर दूर जाकर अपना इलाज कराने को मजबूर है ऐसा नहीं कि इस अस्पताल में संसाधन की कमी है सभी संसाधन अस्पताल में मौजूद है बावजूद इसके अस्पताल 2013 में बनकर तैयार हो चुका था लेकिन जनप्रतिनिधियों की बेरुखी के कारण आज तक इस अस्पताल का उद्घाटन भी नहीं हो सका इस अस्पताल में जरूरत की वह सब चीजें मौजूद हैं जो एक अस्पताल में होनी चाहिए बावजूद इसके आज तक इस अस्पताल का ताला तक नहीं खुला है 5 वर्ष पूर्व से ताला जड़ा हुआ है और भवन जर्जर हो चुका है वही इस अस्पताल में दो स्वास्थ्य कर्मी की भी ड्यूटी लगाई गई है स्वास्थ्य कर्मी घर पर बैठकर ही अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं आज तक वह इस अस्पताल में झांकने तक नहीं आए वही ग्रामीणों का आरोप है कि जनप्रतिनिधि की कमी के कारण लाखों की लागत से बना अस्पताल जर्जर हो रहा है जब ईटीवी की टीम ने प्रभारी कलेक्टर अश्वनी देवांगन से इस अस्पताल के बारे में पूछा तो उन्होंने अस्पताल की इस दशा को लेकर नाराज हुए और उन्होंने सभी अधिकारियों को फटकार लगाई उन्होंने 1 हफ्ते के अंदर मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी है और जल्द से जल्द अस्पताल बहाल करने की बात कही है


Conclusion:बाहरहाल एक तरफ जहां प्रशासन अस्पताल भवन ना होने का दुखड़ा रोती है वही ग्राम पंचायत कोरया में लाखों की लागत से बने भवन में आज तक अस्पताल चालू नहीं करा पाई इससे प्रशासन की लापरवाही साफ उजागर होती है बावजूद उसके अब देखने वाली बात होगी ईटीवी की पहल के बाद प्रशासन इस और कब ध्यान देता है और कब तक इन ग्रामीणों को अस्पताल की सौगात मिलती है

बाईट - ग्रामीण
बाईट - ग्रामीण
बाईट - अश्वनी देवांगन प्रभारी कलेक्टर सूरजपुर
Last Updated : Sep 22, 2019, 5:16 PM IST
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