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मजदूर दिवस: हर दिन दो वक्त की रोटी का सवाल, ऐसा है प्रदेश के मजदूरों का हाल - मजदूरों की बदहाली

मजदूर दिवस पर हम आपको बता रहे हैं हालत उन कामगारों की जो दिन रात मेहनत करके भी दो वक्त की रोटी तक नहीं जुटा पाते.

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Published : Apr 30, 2019, 11:59 PM IST

Updated : May 1, 2019, 6:57 AM IST

राजनांदगांव: आज मजदूर दिवस है. आज उन लोगों का दिन जिन्होंने मुल्क में तरक्की की बुनियाद रखने के साथ-साथ अधोसंरचना के गुंबद को आकार दिया. भरी दोपहरी हो या कड़कड़ती ठंड या फिर मूसलाधार बारिश मजदूर इसकी परवाह किए बिना दिन-रात देह पीटता है. पसीना बहाता है लेकिन इसके बदले में वो दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल ही जुटा पाता है.

सरकारी दावों की हकीकत
कहने को सरकारों ने इन कामगारों को लिए न जाने कितनी योजनाएं चला रखी हैं. सिस्टम का दावा है कि इन स्कीमों ने मशीन रूपी इन मानवों की जिंदगी में खुशहाली लाई है. सरकारी दावों की हकीकत क्या है, हमने ये जानने की कोशिश की.

कितनी योजनाएं हैं संचालित
ईटीवी भारत की पड़ताल में जो आंकड़े सामने आए वो चौंकाने वाले थे. श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से मजदूरों के लिए तकरीबन 29 योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से 13 योजनाएं चलाई जा रही हैं. मजदूरों के लिए राज्य और केंद्र सरकार की मिलाकर कुल तीन दर्जन से ज्यादा योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन हकीकत यह है कि जिनके लिए योजनाएं चल रही हैं वो ही इससे अनजान हैं.

कागजों में सीमित योजनाएं !
मिली जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव जिले में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के तहत 87764 पंजीकृत मजदूर है. वहीं 201375 छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के तहत पंजीकृत मजदूर हैं. इन मजदूरों को कुल 42 योजनाओं के तहत अलग अलग तरीके से इनके जीवन स्तर को उठाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह योजनाएं केवल कागजों में ही सीमित हैं. मजदूरों तक न तो योजना की जानकारी पहुंच पा रही है और न ही उससे मिलने वाले फायदे.

ऐसा है श्रम विभाग का दावा
श्रम विभाग की मानें तो जिले के मजदूरों को अब तक ई-रिक्शा के 93 प्रकरण स्वीकृत किए जा चुके हैं इनमें 31 ई रिक्शा महिलाओं के लिए स्वीकृत किए गए हैं, वहीं 503 विधवा परित्यक्ता, तलाकशुदा और एकल महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए 15 लाख रुपये खर्च किए गए हैं.

इतने हैं पंजीकृत मजदूर
छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल के अंतर्गत पंजीकृत एक लाख 38 हजार 353 श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं अंतर्गत 58 करोड़ की राशि दी गई है असंगठित कर्मकार राज्य सुरक्षा मंडल में 15 हजार 140 पंजीकृत श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पांच करोड़ 65 लाख की राशि दी गई है.

बेहाल हैं मजदूर
एक ओर जहां सरकारें अलग-अलग योजनाओं के जरिए मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के दावे कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन कामगारों को योजनाओं तक की जानकारी नहीं ऐसे में आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं प्रदेश के कामगार किन हालात में जिंदगी गुजार रहे हैं.

स्टोरी पैकेज

राजनांदगांव: आज मजदूर दिवस है. आज उन लोगों का दिन जिन्होंने मुल्क में तरक्की की बुनियाद रखने के साथ-साथ अधोसंरचना के गुंबद को आकार दिया. भरी दोपहरी हो या कड़कड़ती ठंड या फिर मूसलाधार बारिश मजदूर इसकी परवाह किए बिना दिन-रात देह पीटता है. पसीना बहाता है लेकिन इसके बदले में वो दो वक्त की रोटी भी बमुश्किल ही जुटा पाता है.

सरकारी दावों की हकीकत
कहने को सरकारों ने इन कामगारों को लिए न जाने कितनी योजनाएं चला रखी हैं. सिस्टम का दावा है कि इन स्कीमों ने मशीन रूपी इन मानवों की जिंदगी में खुशहाली लाई है. सरकारी दावों की हकीकत क्या है, हमने ये जानने की कोशिश की.

कितनी योजनाएं हैं संचालित
ईटीवी भारत की पड़ताल में जो आंकड़े सामने आए वो चौंकाने वाले थे. श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से मजदूरों के लिए तकरीबन 29 योजनाएं संचालित की जा रही हैं. वहीं राज्य सरकार की ओर से 13 योजनाएं चलाई जा रही हैं. मजदूरों के लिए राज्य और केंद्र सरकार की मिलाकर कुल तीन दर्जन से ज्यादा योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन हकीकत यह है कि जिनके लिए योजनाएं चल रही हैं वो ही इससे अनजान हैं.

कागजों में सीमित योजनाएं !
मिली जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव जिले में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के तहत 87764 पंजीकृत मजदूर है. वहीं 201375 छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के तहत पंजीकृत मजदूर हैं. इन मजदूरों को कुल 42 योजनाओं के तहत अलग अलग तरीके से इनके जीवन स्तर को उठाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह योजनाएं केवल कागजों में ही सीमित हैं. मजदूरों तक न तो योजना की जानकारी पहुंच पा रही है और न ही उससे मिलने वाले फायदे.

ऐसा है श्रम विभाग का दावा
श्रम विभाग की मानें तो जिले के मजदूरों को अब तक ई-रिक्शा के 93 प्रकरण स्वीकृत किए जा चुके हैं इनमें 31 ई रिक्शा महिलाओं के लिए स्वीकृत किए गए हैं, वहीं 503 विधवा परित्यक्ता, तलाकशुदा और एकल महिलाओं को प्रशिक्षण देने के लिए 15 लाख रुपये खर्च किए गए हैं.

इतने हैं पंजीकृत मजदूर
छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल के अंतर्गत पंजीकृत एक लाख 38 हजार 353 श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं अंतर्गत 58 करोड़ की राशि दी गई है असंगठित कर्मकार राज्य सुरक्षा मंडल में 15 हजार 140 पंजीकृत श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पांच करोड़ 65 लाख की राशि दी गई है.

बेहाल हैं मजदूर
एक ओर जहां सरकारें अलग-अलग योजनाओं के जरिए मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के दावे कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन कामगारों को योजनाओं तक की जानकारी नहीं ऐसे में आप खुद इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं प्रदेश के कामगार किन हालात में जिंदगी गुजार रहे हैं.

Intro:राजनांदगांव. केंद्र और राज्य शासन की तकरीबन 3 दर्जन से ज्यादा की योजनाएं भी मजदूरों की तकदीर नहीं बदल पाई है मजदूर दिवस के दिन आज भी मजदूर उनके लिए चलने वाली सरकारी योजनाओं से अनजान है इसके चलते ना उन्हें योजनाओं का बेहतर फायदा मिल रहा है और ना ही उनकी स्थिति में कोई सुधार हो पा रहा है मजदूरों के लिए चलने वाली योजनाएं केवल कागजों में ही सफर कर रही है.


Body:बता दें कि मजदूर दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने शहर के मजदूरों की स्थिति जानी तो कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए श्रम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार से मजदूरों के लिए तकरीबन 29 योजनाएं संचालित की जाती है वहीं राज्य सरकार से 13 योजनाएं चलाई जा रही हैं इसके बावजूद मजदूरी की स्थिति में अब तक कोई सुधार नहीं आया है स्थिति तो यहां तक कि है कि कई मजदूरों को यह तक नहीं पता है कि उनके लिए सरकार योजनाएं भी चला रही है प्रचार-प्रसार के अभाव में योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित है.
श्रम विभाग के पास नहीं आंकड़ा
मिली जानकारी के अनुसार राजनांदगांव जिले में 87764 छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के तहत पंजीकृत मजदूर है वहीं 201 375 छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के तहत पंजीकृत मजदूर है इन मजदूरों को कुल 42 योजनाओं के तहत अलग अलग तरीके से इनके जीवन स्तर को उठाने के लिए प्रयास किया जा रहा है लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में यह योजनाएं केवल कागजों में ही सीमित है मजदूरों तक ना तो योजना की जानकारी पहुंच पा रही है और ना ही उससे मिलने वाले लाभ.
5 साल से कर रही मजदूरी
मजदूरी करने वाली रामेश्वरी साहू का कहना है कि वह पिछले 5 साल से मजदूरी का काम कर रही है लेकिन अब तक के शासन की किसी योजना का उन्हें लाभ नहीं मिल पाया है और ना ही किसी योजना की जानकारी उन तक पहुंच पाती है इसके चलते अब तक के उनके जीवन स्तर में कोई बेहतर सुधार नहीं आया है.
पंजीयन तक नहीं हुआ है
मजदूर चंद्रशेखर यादव का कहना है कि अब तक उन्हें किसी भी सरकारी योजना के विषय में जानकारी नहीं मिली है वहीं उनका पंजीयन भी अब तक श्रम विभाग में नहीं हो पाया है इसके चलते उन्हें किसी भी योजना का लाभ सीधे तौर पर नहीं मिल पाया है.

ऐसा है श्रम विभाग का दावा
श्रम विभाग की मानें तो जिले के मजदूरों को अब तक के ई-रिक्शा के 93 प्रकरण स्वीकृत कर चुके हैं इनमें 31 ई रिक्शा महिलाओं के लिए स्वीकृत किए गए हैं वहीं 503 विधवा परित्यक्ता तलाकशुदा तथा एकल महिलाओं के लिए प्रशिक्षण इसमें ₹1500000 का खर्च किया गया है छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मंडल के अंतर्गत पंजीकृत 100000 38353 श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं अंतर्गत ₹580000000 की राशि दी गई है असंगठित कर्मकार राज्य सुरक्षा मंडल में 15140 पंजीकृत श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ₹55000000 की राशि दी गई है.




Conclusion:
Last Updated : May 1, 2019, 6:57 AM IST
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