अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थित सैनिक स्कूल में भारतीय सेना के शौर्य टी 55 टैंक को स्थापित किया गया है. बुधवार को इस टैंक की स्थापना सैनिक स्कूल में की गई. भारतीय सेना से रिटायर्ड वॉर टैंक टी 55 को यहां रखा गया है. इस टैंक को आधिकारिक रूप से स्कूल के मेन गेट पर तैनात किया गया है. अम्बिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल और स्कूल के वाइस प्रिंसिपल पी श्रीनिवास ने इस वॉर टैंक का अनावरण किया है.
लोगों में देश प्रेम की उमड़ेगी भावना: टी 55 टैंक के अंबिकापुर के सैनिक स्कूल में स्थापना से लोगों के अंदर देश प्रेम की भावना उमड़ेगी. इसके साथ ही इस इलाके के युवा सेना में जाने को लेकर प्रेरित होंगे. अंबिकापुर और सरगुजा के लोगों को इस टैंक को देखकर सेना की स्मृतियों और कहानी का सजीव चित्रण करने का मौका मिलेगा. टैंक के इस स्कूल में स्थापना पर सभी सैनिक स्कूल कैडेट्स, स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधियों ने भी टैंक टी 55 को देखा. इस टैंक की खूबियों को समझने का मौका मिला.
टी 55 टैंक का गौरवशाली इतिहास: टी 55 टैंक का भारतीय सेना में गौरवशाली इतिहास रहा है. इस टैंक ने साल 1971 के भारत पाकिस्तान जंग में कमाल की भूमिका अदा की थी. इस टैंक की मदद से भारतीय सेना ने बांग्लादेश लिब्रेशन वॉर में पाकिस्तान के सैनिकों को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया था. टैंक के शानदार इतिहास की कहानियां सुनकर लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. ये टैंक 72 आर्मर रेजिमेंट का है. ये बैटल ऑफ चम में पार्टिशपेट किया है. इसलिए यह बेहद खास है.इसकी मारक क्षमता 14 किलोमीटर की है इसमे जो गन लगी हुई है वो चेकोस्लोवाकिया से खरीदी गई है.
ये टैंक सोवियत रसिया ओरिजन टैंक है. साल 1950 के बाद भारतीय सेना में आने के बाद कई ऑपरेशन में इस टैंक को शामिल किया गया. ये टैंक सैनिक स्कूल अम्बिकापुर को दिया गया है, छत्तीसगढ़ स्टेट में ये पहला टी 55 टैंक है. वैसे तो ये राज्य का दूसरा टैंक है.इस टैंक का वजन 36 टन है, इस टैंक में 4 ग्रुप मेम्बर होते हैं, एक कमांडर, एक गनर, एक लोडर और एक ड्राइवर होता है. इसकी टॉप स्पीड 54 किलोमीटर प्रति घंटा है- पी श्रीनिवास, वाइस प्रिंसिपल, सैनिक स्कूल, अंबिकापुर
इस टैंक ने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन किये हैं. जिसमे सबसे अहम है बैटल ऑफ चम जो 1971 में हुआ था. बांग्लादेश लिबरेशन वॉर में यह टैंक शामिल किया गया था. ये टैंक 30 साल तक इंडियन आर्मी में रहा. साल 1997 में इसे डीकमीशन कर दिया गया और अब ये अम्बिकापुर में है-अंश सिन्हा, वाइस कैप्टन, सैनिक स्कूल अंबिकापुर
अंबिकापुर के सैनिक स्कूल में इस टैंक की स्थापना से लोगों में खुशी है. छत्तीसगढ़ वासी इस टैंक की स्थापना से बेहद खुश हैं. विद्यार्थी, आम जनता और स्थानीय लोगों में इस टैंक को लेकर गजब का क्रेज देखने को मिला.