राजनांदगांव: दिल्ली की निर्भया, हिमाचल की गुड़िया हो या हाथरस की बेटी. साल बदले, लेकिन बेटियों के हाल नहीं. छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में बच्ची के साथ हुए गैंगरेप के मामले में मंत्री शिव डहरिया के बयान पर बवाल मचा हुआ है. लोगों में अपराध और अपराधियों को लेकर गुस्सा है, लेकिन उन बेटियों का क्या, जिनका दुश्मन खुद परिवार बन जाए. राजनांदगाव में दुष्कर्म का दर्द झेल रही दिव्यांग का दु:ख उसके परिवार के ही लोगों ने दुगुना कर दिया है.
दिव्यांग के साथ करीब 5 पहले पहले दुष्कर्म हुआ था. उसके गर्भवती होने के बाद घटना की जानकारी रिश्तेदारों को लगी. उन्हें पीड़िता के साथ खड़ा होना चाहिए था लेकिन उल्टा अत्याचार कर दिया. पीड़िता की बड़ी मां को जैसे ही उसके साथ रेप और गर्भवती होने की जानकारी मिली, उसे पिता और बहनों के साथ घर से निकाल दिया. अब वो परिवार के साथ दर-दर भटक रही है.
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प्रशिक्षण भवन में गुजार रही है जिंदगी
पीड़िता 5 भाई-बहन है. बड़ा भाई साथ रहता है लेकिन नशे की लत की वजह से वो उसका सहारा नहीं बन सका. पीड़िता बताती है कि घटना वाले दिन वो किसी काम से बाहर गई थी, मौका पाते ही आरोपी शिवा ने उसे पकड़ लिया और दुष्कर्म किया. घर से निकाले जाने के बाद वो एक महिला प्रशिक्षण भवन में परिवार सहित जैसे-तैसे जिंदगी काट रही है.
पार्षद ने की आवास की मांग
पार्षद ऋषि शास्त्री ने पीड़ित के लिए नगर निगम से आवास की मांग की है. पार्षद ने इस मामले को लेकर के निगम कमिश्नर चंद्रकांत कौशिक को आवेदन भी दिया है और जल्द से जल्द इस मामले में कार्रवाई किए जाने की मांग की है.