राजनांदगांव: कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन ने गरीब तबके के लोगों की कराह निकाल दी है. हालात ये हैं कि भैषरा पंचायत में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे लोग भूखे-प्यासे दिन गुजारने को मजबूर हैं, जिससे जिला राहत कोष में जमा हुए लाखों रुपए को लेकर सवाल उठने लगे हैं. लोगों का कहना है कि रिलीफ फंड में रुपए होने के बाद भी जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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दरअसल, जिला प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों गांव और शहर के स्कूलों में ठहराया है, जिसमें से भैषरा पंचायत के स्कूल में 50 मजदूर ठहरे हैं, तो एक स्कूल में तीन लोग. इसी तरह से शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बधियाटोला के स्कूलों में लोगों को रोका गया है, जिन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर में लगभग 10-15 दिन हो गए हैं, फिर भी जिम्मेदार मजदूरों को भोजन तक व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में लोग भूखे प्यासे रहने को मजबूर हैं.
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बड़ा मुश्किल से मिल रहा भोजन
मजदूरों ने बताया कि क्वॉरेंटाइन सेंटर में पूछने भी नहीं आता. दिन में बड़ी मुश्किल से उन्हें भोजन मिलता है. एक प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उनको न राशन मिलता है और न ही उनको खाना मिल रहा है. भैषरा पंचायत के तरफ से कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. एक बार पांच किलो चावल दिया गया था. मजदूरों को न तो सब्जी मिली और न ही दाल मिली है. वह खुद के पैसों से सब्जी और दाल खरीद कर खा रहे हैं.
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वाहवाही लूट रहा जिला प्रशासन
मजदूरों को डॉक्टरों को दिखा दिया गया है, लेकिन उनके खाने-पीने को लेकर के कोई व्यवस्था नहीं की गई है. क्वॉरेंटाइन पर रह रहे युवक नगर के समाजसेवी लोगों से संपर्क करके दो वक्त का भोजन जुटा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर जिला प्रशासन क्या कर रहा है. केवल बड़ी-बड़ी बातें करके राहत शिविरों में लोगों को निरंतर भोजन कराने की बात कही जा रही है, जिससे सच कोसों दूर है.