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Special: लोकमान्य तिलक के आह्वान पर विराजे गणपति, वर्षों पुराना है बप्पा का इतिहास - समाजसेवी मोहन अग्रहरि

राजनांदगांव में गणपति प्रतिमा की स्थापना कब शुरू हुई. सबसे पहले इसकी शुरुआत कैसे और किन परिस्थितियों में की गई. इतिहास के झरोखे से ऐसे ही कुछ अनछुए पहलुओं के साथ ETV भारत आपको राजनांदगांव शहर में गणेश प्रतिमा के विराजमान होने के इतिहास से रू-ब-रू कराएगा.

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लोकमान्य तिलक के आह्वान पर विराजे गणपति
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Published : Aug 22, 2020, 9:09 PM IST

Updated : Aug 23, 2020, 2:30 PM IST

राजनांदगांव: शहर में गणपति बप्पा के विराजे जाने का अपना ही इतिहास है. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आह्वान के बाद से बाल समाज समिति ने राजनांदगांव में सबसे पहले गणेश प्रतिमा को सार्वजनिक मंच पर स्थापित किया था, तब से लेकर के आज तक राजनांदगांव शहर में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता रहा है, लेकिन कोरोना काल के बीच गणेश उत्सव की धूम पर प्रशासन ने कई पाबंदियां लगा दी हैं, बावजूद इसके अपने इतिहास के अनुरूप राजनांदगांव शहर में गणेश उत्सव समिति प्रतिमा स्थापित की गई है.

राजनांदगांव में वर्षों पुराना है बप्पा का इतिहास

राजनांदगांव शहर में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आह्वान के बाद शहर की बाल समाज नाम की समिति ने शहर में सार्वजनिक मंच पर भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की, तब से लेकर के आज तक शहर में गणेश उत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. बाल समाज के बाद सुमति मंडल लघु, मंडल नवरात्र, मंडल जैसे गणेश उत्सव समितियों का गठन हुआ, फिर देखते ही देखते सार्वजनिक मंचों पर बप्पा मोरिया की धूम होती गई. आजादी की लड़ाई के लिए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश मंच की स्थापना की, जिससे राजनांदगांव सीधे तौर पर जुड़ा था. तब से लेकर के आज तक गणेश उत्सव की धूम आज भी शहर में जोर शोर से रहती है.

Establishment of Ganapati with Invocation of Lokmanya Tilak in rajnadgaon
राजनांदगांव में विराजे गणपति
अनंत चतुर्थी पर निकलती है झांकियांयहां तक कि इस शहर में अनंत चतुर्थी के दिन विसर्जन यात्रा भी निकाली जाती है. रात भर झांकियों का दौर चलता है. यहां की झांकियां छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. राजनांदगांव से तैयार झांकियां दुर्ग, भिलाई, रायपुर तक की शोभा बढ़ाती हैं. रात भर लोगों को नयनाभिराम झांकियों का नजारा देखने को मिलता है. इसके बाद यह झांकियां दूसरे दिन महानगरों के लिए रवाना होती है.
Establishment of Ganapati with Invocation of Lokmanya Tilak in rajnadgaon
शहर में विराजे गणपति
सीधे जुड़ा है राजनांदगांवबाल समाज समिति से जुड़े वरिष्ठ भाजपा नेता खूबचंद पारख ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान नरम और गरम दल दोनों ही की अपनी अलग-अलग विचारधारा थी. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आह्वान के बाद राजनांदगांव शहर उनकी विचारधारा को देखते हुए सीधे तौर पर गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए उनसे जुड़ा. उनके आह्वान के बाद राजनांदगांव में गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई तब से लेकर आज तक के यह परंपरा चली आ रही है. फोटोग्राफ्स लेकर पहुंचे तिलक तकसमाजसेवी मोहन अग्रहरि का कहना है कि आजादी की लड़ाई में भागीदारी करने के लिए राजनांदगांव शहर में लोकमान्य तिलक के आह्वान पर सार्वजनिक मंच तैयार कर गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई. शुरुआती तौर पर गणेश उत्सव के आयोजन के बाद इसकी तस्वीरें लेकर के यहां से लोग बाल गंगाधर तिलक तक पहुंचे. उन्हें तस्वीरें दिखाइए जिसे देखकर तिलक खुश हुए. उन्होंने सुझाव देते हुए अलग-अलग मंडल गठन कर उत्सव को और भव्य करने का आग्रह किया और इसके बाद से शहर की सबसे पहली समिति बाल समाज से कुछ लोग अलग होकर समिति मंडल नवरत्न मंडल और लघु मंडल जैसे समितियों में अलग अलग होकर उत्सव को भव्य बनाने की तैयारी में जुट गए और काफी हद तक सफल भी हुए गणेश उत्सव के इतिहास में जिस तरीके से भव्यता थी आज भी वह अपने पूरे चरम पर है.महाराष्ट्र से हुई थी सर्वप्रथम शुरुआतगणपति उत्सव की शुरुआत 1893 में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की. 1893 से पहले भी गणपति उत्सव बनाया जाता था, लेकिन वह सिर्फ घरों तक ही सीमित था. उस समय आज की तरह पंडाल नहीं बनाए जाते थे, न ही सामूहिक गणपति विराजते थे. तिलक उस समय एक युवा क्रांतिकारी और गर्म दल के नेता के रूप में जाने जाते थे. वे एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता और प्रभावी ढंग से भाषण देने में माहिर थे.

यह बात ब्रिटिश अफसर भी अच्छी तरह जानते थे कि अगर किसी मंच से तिलक भाषण देंगे तो वहां आग बरसना तय है. तिलक 'स्वराज' के लिए संघर्ष कर रहे थे. वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते थे. इसके लिए उन्हें ऐसा सार्वजानिक मंच चाहिए था. जहां से उनके विचार अधिकांश लोगों तक पहुंच सके. इस काम को करने के लिए उन्होंने गणपति उत्सव को चुना और इसे सुंदर भव्य रूप दिया था.

इतिहास संजोकर रखने का है उत्साह
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण शहर पूरी तरीके से संक्रमण के दायरे में हैं. शहर के 52 वार्डों में कोरोना वायरस का संक्रमण का खतरा लगातार मंडरा रहा है. बावजूद इसके लोगों में गणेश उत्सव को लेकर के उत्साह देखने को मिल रहा है. इतिहास को संजोकर रखने की लालसा के साथ लोग गणेश उत्सव पर प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं.

राजनांदगांव: शहर में गणपति बप्पा के विराजे जाने का अपना ही इतिहास है. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आह्वान के बाद से बाल समाज समिति ने राजनांदगांव में सबसे पहले गणेश प्रतिमा को सार्वजनिक मंच पर स्थापित किया था, तब से लेकर के आज तक राजनांदगांव शहर में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता रहा है, लेकिन कोरोना काल के बीच गणेश उत्सव की धूम पर प्रशासन ने कई पाबंदियां लगा दी हैं, बावजूद इसके अपने इतिहास के अनुरूप राजनांदगांव शहर में गणेश उत्सव समिति प्रतिमा स्थापित की गई है.

राजनांदगांव में वर्षों पुराना है बप्पा का इतिहास

राजनांदगांव शहर में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आह्वान के बाद शहर की बाल समाज नाम की समिति ने शहर में सार्वजनिक मंच पर भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना की, तब से लेकर के आज तक शहर में गणेश उत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जाता है. बाल समाज के बाद सुमति मंडल लघु, मंडल नवरात्र, मंडल जैसे गणेश उत्सव समितियों का गठन हुआ, फिर देखते ही देखते सार्वजनिक मंचों पर बप्पा मोरिया की धूम होती गई. आजादी की लड़ाई के लिए लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने गणेश मंच की स्थापना की, जिससे राजनांदगांव सीधे तौर पर जुड़ा था. तब से लेकर के आज तक गणेश उत्सव की धूम आज भी शहर में जोर शोर से रहती है.

Establishment of Ganapati with Invocation of Lokmanya Tilak in rajnadgaon
राजनांदगांव में विराजे गणपति
अनंत चतुर्थी पर निकलती है झांकियांयहां तक कि इस शहर में अनंत चतुर्थी के दिन विसर्जन यात्रा भी निकाली जाती है. रात भर झांकियों का दौर चलता है. यहां की झांकियां छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. राजनांदगांव से तैयार झांकियां दुर्ग, भिलाई, रायपुर तक की शोभा बढ़ाती हैं. रात भर लोगों को नयनाभिराम झांकियों का नजारा देखने को मिलता है. इसके बाद यह झांकियां दूसरे दिन महानगरों के लिए रवाना होती है.
Establishment of Ganapati with Invocation of Lokmanya Tilak in rajnadgaon
शहर में विराजे गणपति
सीधे जुड़ा है राजनांदगांवबाल समाज समिति से जुड़े वरिष्ठ भाजपा नेता खूबचंद पारख ने बताया कि आजादी की लड़ाई के दौरान नरम और गरम दल दोनों ही की अपनी अलग-अलग विचारधारा थी. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के आह्वान के बाद राजनांदगांव शहर उनकी विचारधारा को देखते हुए सीधे तौर पर गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए उनसे जुड़ा. उनके आह्वान के बाद राजनांदगांव में गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई तब से लेकर आज तक के यह परंपरा चली आ रही है. फोटोग्राफ्स लेकर पहुंचे तिलक तकसमाजसेवी मोहन अग्रहरि का कहना है कि आजादी की लड़ाई में भागीदारी करने के लिए राजनांदगांव शहर में लोकमान्य तिलक के आह्वान पर सार्वजनिक मंच तैयार कर गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई. शुरुआती तौर पर गणेश उत्सव के आयोजन के बाद इसकी तस्वीरें लेकर के यहां से लोग बाल गंगाधर तिलक तक पहुंचे. उन्हें तस्वीरें दिखाइए जिसे देखकर तिलक खुश हुए. उन्होंने सुझाव देते हुए अलग-अलग मंडल गठन कर उत्सव को और भव्य करने का आग्रह किया और इसके बाद से शहर की सबसे पहली समिति बाल समाज से कुछ लोग अलग होकर समिति मंडल नवरत्न मंडल और लघु मंडल जैसे समितियों में अलग अलग होकर उत्सव को भव्य बनाने की तैयारी में जुट गए और काफी हद तक सफल भी हुए गणेश उत्सव के इतिहास में जिस तरीके से भव्यता थी आज भी वह अपने पूरे चरम पर है.महाराष्ट्र से हुई थी सर्वप्रथम शुरुआतगणपति उत्सव की शुरुआत 1893 में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की. 1893 से पहले भी गणपति उत्सव बनाया जाता था, लेकिन वह सिर्फ घरों तक ही सीमित था. उस समय आज की तरह पंडाल नहीं बनाए जाते थे, न ही सामूहिक गणपति विराजते थे. तिलक उस समय एक युवा क्रांतिकारी और गर्म दल के नेता के रूप में जाने जाते थे. वे एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता और प्रभावी ढंग से भाषण देने में माहिर थे.

यह बात ब्रिटिश अफसर भी अच्छी तरह जानते थे कि अगर किसी मंच से तिलक भाषण देंगे तो वहां आग बरसना तय है. तिलक 'स्वराज' के लिए संघर्ष कर रहे थे. वे अपनी बात को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना चाहते थे. इसके लिए उन्हें ऐसा सार्वजानिक मंच चाहिए था. जहां से उनके विचार अधिकांश लोगों तक पहुंच सके. इस काम को करने के लिए उन्होंने गणपति उत्सव को चुना और इसे सुंदर भव्य रूप दिया था.

इतिहास संजोकर रखने का है उत्साह
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण शहर पूरी तरीके से संक्रमण के दायरे में हैं. शहर के 52 वार्डों में कोरोना वायरस का संक्रमण का खतरा लगातार मंडरा रहा है. बावजूद इसके लोगों में गणेश उत्सव को लेकर के उत्साह देखने को मिल रहा है. इतिहास को संजोकर रखने की लालसा के साथ लोग गणेश उत्सव पर प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं.

Last Updated : Aug 23, 2020, 2:30 PM IST
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