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नगर सरकार : पूर्व सीएम रमन के शहर में आज भी है अंधेरा, दांव पर लगी है प्रतिष्ठा

नगर निगम राजनांदगांव के चुनाव में इस बार भी पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. जिले के वार्ड में आज भी बिजली-पानी की समस्याएं बरकरार है. समस्याओं को लेकर मतदाताओं में आक्रोश है. लोगों ने पार्षद और महापौर पर वादाखिलाफी का आरोप लगाए हैं.

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Published : Dec 18, 2019, 9:13 AM IST

Updated : Dec 18, 2019, 9:25 AM IST

Electricity problem
रमन सिंह के वादे

राजनांदगांव: नगरीय निकाय चुनाव में इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनने की व्यवस्था ने भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टी के लोगों को टेंशन में डाल दिया है. राजनांदगांव नगर निगम की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव है, तो वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम लेकर आई कांग्रेस ने इस बार नगरीय निकाय की सत्ता हथियाने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर रखी है. इतना ही नहीं निर्दलियों ने भी अपने मजबूत कदम वार्डों में जमा रखे हैं.

रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी

राजनांदगांव नगर निगम चुनाव को अगर राजनीतिक रूप से देखें, तो नगर निगम की सत्ता पर पांच बार भाजपा ने कब्जा जमाया है. वहीं एक बार निर्दलीय तो दो बार कांग्रेस ने अपना महापौर बनाया है. बता दें कि यह पहली बार ही नहीं है जब राजनांदगांव नगर निगम का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है. इसके पहले भी दो बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव हुए हैं. दोनों ही चुनाव में भाजपा ने अपना महापौर बनाया है.

पढ़ें: ETV ETV ETV नगर सरकार : दुर्ग नगर निगम के मुद्दे और समस्याएं

ओबीसी और जनरल का है ज्यादा वोट
नगर निगम राजनांदगांव में 51वार्ड आते हैं. इन वार्डों में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग की जनसंख्या है और इसके बाद जनरल कैटेगरी के मतदाताओं की संख्या है. वर्तमान में 124601 मतदाता हैं, जिनमें महिला वोटर की संख्या 63860 है. वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 60739 है. आरक्षण के बाद 18 वार्डों में परसीमन का कोई असर नहीं पड़ा है. इन वार्डों में जनसंख्या को लेकर कोई बदलाव नहीं हुए हैं. वहीं शहर में दो नए वार्ड अस्तित्व में आए हैं. इसके अलावा 21 वार्डों की सीमाओं और जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है. इसके चलते राजनीतिक समीकरण भी बदले हैं.

पढ़ें: नगर सरकार: देश के दूसरे सबसे साफ शहर अंबिकापुर में क्या हैं चुनावी मुद्दे ?

दो बार कांग्रेस, 5 बार भाजपा और एक बार निर्दलीय का रहा कब्जा

  • नगर निगम की सत्ता में 5 बार भारतीय जनता पार्टी के महापौर का कब्जा रहा है. वहीं दो बार कांग्रेस प्रत्याशी महापौर चुने गए. एक बार विजय पांडेय के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी ने प्रत्यक्ष चुनाव से जीत दर्ज कर महापौर की सत्ता हथियाई थी.
  • सन 1994 में शरद वर्मा महापौर बने. इसके बाद राजनीतिक उठापटक के चलते साल 1996 में अजीत जैन महापौर बने.
  • 1999 में हुए चुनाव में विजय पांडेय को प्रत्यक्ष प्रणाली से जीत हासिल हुई और वे महापौर बने.
  • इसके बाद राज्य शासन से उन्हें हटाकर कार्यवाहक महापौर के रूप में सुदेश देशमुख को कमान सौंपी. सन 2004 में भाजपा की सत्ता आने के बाद राजनांदगांव नगर निगम में मधुसूदन यादव को कार्यवाहक महापौर बनाया गया.
  • साल 2005 में शोभा सोनी महापौर बनी जो कि भाजपा से चुनकर आई थी. फिर इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी नरेश डाकलिया महापौर बने. इसके बाद सन 2015 में महापौर की कमान वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव के हाथों में जनता ने सौंपी.

ओबीसी महिला के खाते में आई महापौर की सीट

  • राजनांदगांव नगर निगम में आरक्षण होने के बाद ओबीसी महिला के खाते में राजनांदगांव महापौर की सीट आई है.
  • 10 साल बाद महिला महापौर नगर निगम को मिलेगा. राजनांदगांव नगर निगम में कुल 51 वार्ड आते हैं.
  • इनमें 17 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित है. वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए 3 अनुसूचित जाति के लिए 6 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 13 वार्डों का आरक्षण किया गया है. 29 वार्ड अनारक्षित है.

पढ़ें: नगर सरकार : अंबिकापुर के वार्ड नंबर 41 के लोगों की समस्याएं और मुद्दे


बिजली पानी सड़क का मुद्दा गरमाया

  • रमन सिंह के तीन बार यहां से विधायक होने के बाद भी नगर निगम राजनांदगांव क्षेत्र में बिजली, पानी और सड़क की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है.
  • खासकर पेयजल को लेकर के जल आवर्धन योजना और अमृत मिशन योजना लाई गई.
  • इनमें से जल आवर्धन योजना फेल हो गई है. वहीं अमृत मिशन योजना अभी अधर में है.
  • इसके चलते शहर के पेयजल की समस्या तकरीबन 15 साल से यथावत बनी हुई है.

भाजपा पर लोगों का आरोप

शहर में भाजपा को लेकर काफी आक्रोश है. सड़क की बात करें, तो हर दूसरे साल में डामरीकरण किया जा रहा है, लेकिन गुणवत्ता को लेकर के लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. नगर निगम की सत्ता में जिस तरीके से ठेकेदारी प्रथा की शुरुआत भाजपा ने कि इस बात से लोगों में काफी आक्रोश है. क्योंकि सीधे तौर पर भाजपाई ठेकेदारों के हाथ में ठेका आने से गुणवत्ता में समझौता किया गया. सत्ता में बैठे भाजपा के नेताओं ने इसे कमीशन के चलते नजरअंदाज किया, जो कि अब इस चुनाव में बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

पढ़ें: नगर सरकार : रायपुर के शंकर नगर वार्ड के जनता की राय

कॉलोनियों में बिजली नहीं
अवैध कालोनियों का नियमितीकरण नहीं होना भी शहर में बड़ा मुद्दा है. कॉलोनियों में बिजली नहीं पहुंचने से लोगों में काफी आक्रोश है. इसके अलावा निचली बस्तियों में सफाई व्यवस्था ठेके पर दिए जाने को लेकर के आक्रोश है. लोगों का कहना है कि समिति कर लेने के बाद भी नगर निगम सफाई का ठेका चार्ज अलग से वसूल रही है. इससे जनता पर दोहरी मार पड़ रही है. नगर निगम से बनाई गई स्वावलंबन योजना की दुकानों में की गई बंदरबांट को लेकर भी व्यापारियों में आक्रोश है, जो कि इस बार चुनाव में कई वार्डों में बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

एक नजर में नगर निगम चुनाव फैक्ट फाइल

  • कुल वार्ड- 51
  • कुल मतदाता- 124601
  • महिला वोटर- 63860
  • पुरुष वोटर-60739
  • कुल पार्षद प्रत्याशी- 198
  • मतदान तिथि - 21 दिसंबर
  • मतदान समय - 8 से 5 बजे तक
  • मतदान केंद्र- 150
  • मतगणना - 24 दिसंबर
  • निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या- 96

बहरहाल, नगर निगम राजनांदगांव के चुनाव में इस बार भी पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है. पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की 6 सीटों में केवल एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी जीत कर आई थी, जो कि स्वयं रमन सिंह थे. अब उनके विधानसभा क्षेत्र के एकमात्र नगर निगम में भाजपा प्रत्याशी को महापौर पद पर बिठाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेसी अपने 1 साल के राज्य सरकार के कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रही है, जिसमें बिजली बिल हाफ और पट्टा वितरण जैसे मुद्दों को भुनाने में लगी हुई है. अब देखना है कि इस चुनाव में जनता किसे वार्डों का राजा बनाकर ताजपोशी करती है.

राजनांदगांव: नगरीय निकाय चुनाव में इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनने की व्यवस्था ने भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टी के लोगों को टेंशन में डाल दिया है. राजनांदगांव नगर निगम की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव है, तो वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम लेकर आई कांग्रेस ने इस बार नगरीय निकाय की सत्ता हथियाने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर रखी है. इतना ही नहीं निर्दलियों ने भी अपने मजबूत कदम वार्डों में जमा रखे हैं.

रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी

राजनांदगांव नगर निगम चुनाव को अगर राजनीतिक रूप से देखें, तो नगर निगम की सत्ता पर पांच बार भाजपा ने कब्जा जमाया है. वहीं एक बार निर्दलीय तो दो बार कांग्रेस ने अपना महापौर बनाया है. बता दें कि यह पहली बार ही नहीं है जब राजनांदगांव नगर निगम का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है. इसके पहले भी दो बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव हुए हैं. दोनों ही चुनाव में भाजपा ने अपना महापौर बनाया है.

पढ़ें: ETV ETV ETV नगर सरकार : दुर्ग नगर निगम के मुद्दे और समस्याएं

ओबीसी और जनरल का है ज्यादा वोट
नगर निगम राजनांदगांव में 51वार्ड आते हैं. इन वार्डों में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग की जनसंख्या है और इसके बाद जनरल कैटेगरी के मतदाताओं की संख्या है. वर्तमान में 124601 मतदाता हैं, जिनमें महिला वोटर की संख्या 63860 है. वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 60739 है. आरक्षण के बाद 18 वार्डों में परसीमन का कोई असर नहीं पड़ा है. इन वार्डों में जनसंख्या को लेकर कोई बदलाव नहीं हुए हैं. वहीं शहर में दो नए वार्ड अस्तित्व में आए हैं. इसके अलावा 21 वार्डों की सीमाओं और जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है. इसके चलते राजनीतिक समीकरण भी बदले हैं.

पढ़ें: नगर सरकार: देश के दूसरे सबसे साफ शहर अंबिकापुर में क्या हैं चुनावी मुद्दे ?

दो बार कांग्रेस, 5 बार भाजपा और एक बार निर्दलीय का रहा कब्जा

  • नगर निगम की सत्ता में 5 बार भारतीय जनता पार्टी के महापौर का कब्जा रहा है. वहीं दो बार कांग्रेस प्रत्याशी महापौर चुने गए. एक बार विजय पांडेय के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी ने प्रत्यक्ष चुनाव से जीत दर्ज कर महापौर की सत्ता हथियाई थी.
  • सन 1994 में शरद वर्मा महापौर बने. इसके बाद राजनीतिक उठापटक के चलते साल 1996 में अजीत जैन महापौर बने.
  • 1999 में हुए चुनाव में विजय पांडेय को प्रत्यक्ष प्रणाली से जीत हासिल हुई और वे महापौर बने.
  • इसके बाद राज्य शासन से उन्हें हटाकर कार्यवाहक महापौर के रूप में सुदेश देशमुख को कमान सौंपी. सन 2004 में भाजपा की सत्ता आने के बाद राजनांदगांव नगर निगम में मधुसूदन यादव को कार्यवाहक महापौर बनाया गया.
  • साल 2005 में शोभा सोनी महापौर बनी जो कि भाजपा से चुनकर आई थी. फिर इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी नरेश डाकलिया महापौर बने. इसके बाद सन 2015 में महापौर की कमान वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव के हाथों में जनता ने सौंपी.

ओबीसी महिला के खाते में आई महापौर की सीट

  • राजनांदगांव नगर निगम में आरक्षण होने के बाद ओबीसी महिला के खाते में राजनांदगांव महापौर की सीट आई है.
  • 10 साल बाद महिला महापौर नगर निगम को मिलेगा. राजनांदगांव नगर निगम में कुल 51 वार्ड आते हैं.
  • इनमें 17 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित है. वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए 3 अनुसूचित जाति के लिए 6 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 13 वार्डों का आरक्षण किया गया है. 29 वार्ड अनारक्षित है.

पढ़ें: नगर सरकार : अंबिकापुर के वार्ड नंबर 41 के लोगों की समस्याएं और मुद्दे


बिजली पानी सड़क का मुद्दा गरमाया

  • रमन सिंह के तीन बार यहां से विधायक होने के बाद भी नगर निगम राजनांदगांव क्षेत्र में बिजली, पानी और सड़क की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है.
  • खासकर पेयजल को लेकर के जल आवर्धन योजना और अमृत मिशन योजना लाई गई.
  • इनमें से जल आवर्धन योजना फेल हो गई है. वहीं अमृत मिशन योजना अभी अधर में है.
  • इसके चलते शहर के पेयजल की समस्या तकरीबन 15 साल से यथावत बनी हुई है.

भाजपा पर लोगों का आरोप

शहर में भाजपा को लेकर काफी आक्रोश है. सड़क की बात करें, तो हर दूसरे साल में डामरीकरण किया जा रहा है, लेकिन गुणवत्ता को लेकर के लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. नगर निगम की सत्ता में जिस तरीके से ठेकेदारी प्रथा की शुरुआत भाजपा ने कि इस बात से लोगों में काफी आक्रोश है. क्योंकि सीधे तौर पर भाजपाई ठेकेदारों के हाथ में ठेका आने से गुणवत्ता में समझौता किया गया. सत्ता में बैठे भाजपा के नेताओं ने इसे कमीशन के चलते नजरअंदाज किया, जो कि अब इस चुनाव में बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

पढ़ें: नगर सरकार : रायपुर के शंकर नगर वार्ड के जनता की राय

कॉलोनियों में बिजली नहीं
अवैध कालोनियों का नियमितीकरण नहीं होना भी शहर में बड़ा मुद्दा है. कॉलोनियों में बिजली नहीं पहुंचने से लोगों में काफी आक्रोश है. इसके अलावा निचली बस्तियों में सफाई व्यवस्था ठेके पर दिए जाने को लेकर के आक्रोश है. लोगों का कहना है कि समिति कर लेने के बाद भी नगर निगम सफाई का ठेका चार्ज अलग से वसूल रही है. इससे जनता पर दोहरी मार पड़ रही है. नगर निगम से बनाई गई स्वावलंबन योजना की दुकानों में की गई बंदरबांट को लेकर भी व्यापारियों में आक्रोश है, जो कि इस बार चुनाव में कई वार्डों में बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

एक नजर में नगर निगम चुनाव फैक्ट फाइल

  • कुल वार्ड- 51
  • कुल मतदाता- 124601
  • महिला वोटर- 63860
  • पुरुष वोटर-60739
  • कुल पार्षद प्रत्याशी- 198
  • मतदान तिथि - 21 दिसंबर
  • मतदान समय - 8 से 5 बजे तक
  • मतदान केंद्र- 150
  • मतगणना - 24 दिसंबर
  • निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या- 96

बहरहाल, नगर निगम राजनांदगांव के चुनाव में इस बार भी पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है. पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की 6 सीटों में केवल एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी जीत कर आई थी, जो कि स्वयं रमन सिंह थे. अब उनके विधानसभा क्षेत्र के एकमात्र नगर निगम में भाजपा प्रत्याशी को महापौर पद पर बिठाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है. हालांकि कांग्रेसी अपने 1 साल के राज्य सरकार के कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रही है, जिसमें बिजली बिल हाफ और पट्टा वितरण जैसे मुद्दों को भुनाने में लगी हुई है. अब देखना है कि इस चुनाव में जनता किसे वार्डों का राजा बनाकर ताजपोशी करती है.

Intro:राजनांदगांव. नगरीय निकाय चुनाव में इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनने की व्यवस्था ने भाजपा कांग्रेस दोनों ही पार्टी के लोगों को टेंशन में डाल दिया है राजनांदगांव नगर निगम की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम लेकर आई कांग्रेस पार्टी ने इस बार नगरीय निकाय की सत्ता हथियाने के लिए बेहतर रणनीति तैयार कर रखी है वही निर्दलीयों ने भी अपने मजबूत कदम वार्डों में जमा रखे हैं राजनांदगांव नगर निगम चुनाव इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के विधानसभा क्षेत्र का एकमात्र नगर निगम है इसलिए विधायक होने के नाते उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.


Body:राजनांदगांव नगर निगम चुनाव को अगर राजनीतिक रूप से देखें तो नगर निगम की सत्ता पर पांच बार भाजपा ने कब्जा जमाया है वही एक बार निर्दलीय तो दो बार कांग्रेस ने अपना महापौर बनाया है. बता दें कि यह पहली बार ही नहीं है जब राजनांदगांव नगर निगम का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा है इसके पहले भी दो बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव हुए हैं दोनों ही चुनाव में भाजपा ने अपना महापौर बनाया है.
ओबीसी और जनरल का है ज्यादा वोट
नगर निगम राजनांदगांव में 51वार्ड आते हैं इन वार्डों में सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग की जनसंख्या है और इसके बाद जनरल कैटेगरी के मतदाताओं की संख्या है वर्तमान में 124601 मतदाता हैं जिनमें महिला वोटर की संख्या 63860 है वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 60739 है. आरक्षण के बाद 18 वार्डो पर परसीमन का कोई असर नहीं पड़ा है इन वार्डों में जनसंख्या को लेकर कोई बदलाव नहीं किए गए हैं वहीं शहर में दो नए वार्ड अस्तित्व में आए हैं इसके अलावा 21 वार्डों की सीमाओं और जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है इसके चलते राजनीतिक समीकरण भी बदले हैं.

दो बार कांग्रेस 5 बार भाजपा और एक बार निर्दलीय का रहा है कब्जा

नगर निगम की सत्ता में 5 बार भारतीय जनता पार्टी के महापौर का कब जा रहा वहीं दो बार कांग्रेस प्रत्याशी महापौर चुने गए इसके अलावा एक बार विजय पांडे के रूप में निर्दलीय प्रत्याशी ने प्रत्यक्ष चुनाव से जीत दर्ज कर महापौर की सत्ता हथियाई थी.
सन 1994 में शरद वर्मा महापौर बने इसके बाद राजनीतिक उठापटक के चलते 1996 में अजीत जैन महापौर बने 1999 में हुए चुनाव में विजय पांडे को प्रत्यक्ष प्रणाली से जीत हासिल हुई और वे महापौर बने इसके बाद राज्य शासन ले उन्हें हटाकर कार्यवाहक महापौर के रूप में सुदेश देशमुख को कमान सौंपी सन 2004 में भाजपा की सत्ता आने के बाद राजनांदगांव नगर निगम में मधुसूदन यादव को कार्यवाहक महापौर बनाया गया इसके बाद 2005 में शोभा सोनी महापौर बनी जो कि भाजपा से चुन कर आई थी फिर इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी नरेश डाकलिया महापौर बने इसके बाद सन 2015 में महापौर की कमान वर्तमान महापौर मधुसूदन यादव के हाथों में जनता ने सौंपी.
ओबीसी महिला के खाते में आई महापौर की सीट
राजनांदगांव नगर निगम में आरक्षण होने के बाद ओबीसी महिला के खाते में राजनांदगांव महापौर की सीट आई है 10 साल बाद महिला महापौर नगर निगम को मिलेगा राजनांदगांव नगर निगम में कुल 51 वार्ड आते हैं इनमें 17 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित है वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए 3 अनुसूचित जाति के लिए 6 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 13 वार्डों का आरक्षण किया गया है 29 वार्ड अनारक्षित है.
बिजली पानी सड़क का मुद्दा गरमाया
पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के तीन बार यहां से विधायक होने के बाद भी नगर निगम राजनांदगांव क्षेत्र में बिजली पानी और सड़क की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है खासकर पेयजल को लेकर के जल आवर्धन योजना और अमृत मिशन योजना लाई गई इनमें से जल आवर्धन योजना फेल हो गई है वहीं अमृत मिशन योजना अभी अधर में है इसके चलते शहर के पेयजल की समस्या तकरीबन 15 साल से यथावत बनी हुई है इस बात को लेकर के शहर के लोगों में काफी आक्रोश है सड़क की बात करें तो हर दूसरे साल में डामरीकरण किया जा रहा है लेकिन गुणवत्ता को लेकर के लोग सवाल खड़े कर रहे हैं नगर निगम की सत्ता में जिस तरीके से ठेकेदारी प्रथा की शुरुआत भाजपा ने कि इस बात से लोगों में काफी आक्रोश है क्योंकि सीधे तौर पर भाजपाई ठेकेदारों के हाथ में ठेका आने से गुणवत्ता में समझौता किया गया और सत्ता में बैठे भाजपा के नेताओं ने इसे कमीशन के चलते नजरअंदाज किया जो कि अब इस चुनाव में बड़ा मुद्दा बना हुआ है अवैध कालोनियों का नियमितीकरण नहीं होना भी शहर में बड़ा मुद्दा है वही कालोनियों में बिजली नहीं पहुंचने से लोगों में काफी आक्रोश है इसके अलावा निचली बस्तियों में सफाई व्यवस्था ठेके पर दिए जाने को लेकर के आक्रोश है लोगों का कहना है कि समिति कर लेने के बाद भी नगर निगम सफाई का ठेका चार्ज अलग से वसूल रही है इससे जनता पर दोहरी मार पड़ रही है. नगर निगम से बनाई गई स्वालंबन योजना की दुकानों में की गई बंदरबांट को लेकर भी व्यापारियों में आक्रोश है जो कि इस बार चुनाव में कई वार्डों में बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

एक नजर में नगर निगम चुनाव फैक्ट फाइल
कुल वार्ड 51
कुल मतदाता 124601
महिला वोटर 63860
पुरुष वोटर 60739
कुल पार्षद प्रत्याशी 198
मतदान तिथि 2 1
मतदान समय 8:00 से 5:00
मतदान केंद्र 150
मतगणना 24 दिसंबर
निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या 96







Conclusion:बहरहाल नगर निगम राजनांदगांव के चुनाव में इस बार भी पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है पिछले विधानसभा चुनाव में जिले की 6 सीटों में केवल एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी जीत कर आई थी जो कि स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह थे अब उनके विधानसभा क्षेत्र के एकमात्र नगर निगम में भाजपा प्रत्याशी को महापौर पद पर बिठाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है हालांकि कांग्रेसी अपने 1 साल के राज्य सरकार के कार्यों को लेकर जनता के बीच जा रही है और बिजली बिल हाफ और पट्टा वितरण जैसे मुद्दों को भुनाने में लगी हुई है अब देखना है कि इस चुनाव में जनता की पसंद क्या होती है।

बाइट उषा श्रीवास्तव बुजुर्ग महिला
बाइट नीरज मिश्रा चश्मा पहने हुए
बाइट मासूम मानकर सफेद शर्ट में दाढ़ी वाले
बाइट हेमा देशमुख हल्का पिंक साड़ी में
बाइट अतुल श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार हाफ ब्राउन जैकेट में
बाइट मधुसूदन यादव महापौर सफेद सफारी में
Last Updated : Dec 18, 2019, 9:25 AM IST
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