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राजनांदगांव: बारिश ने उजाड़ा घर, खानाबदोश सी जिंदगी जीने को मजबूर परिवार

छुरिया ब्लॉक के ग्राम पांगरीकला में एक परिवार सामुदायिक भवन में गुजारा करने को मजबूर है. बारिश के कारण उनका मकान ढह गया. उन्हें ना राशन मिल रहा है और ना ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अब तक मिला पाया है.

family living in community building
मुश्किल में परिवार
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Published : Oct 18, 2020, 10:05 AM IST

Updated : Oct 18, 2020, 11:10 AM IST

राजनांदगांव/डोंगरगांव: पहले कोरोना ने रोजगार छीन लिया फिर बारिश ने आशियाना उजाड़ दिया. ग्राम पांगरीकला का साहू परिवार अब खानाबदोश की जिंदगी जी रहा है. छुरिया ब्लॉक के ग्राम पांगरीकला में तीन महीने पहले भारी बारिश के कारण साहू परिवार का मकान ढह गया. जिसके बाद परिवार ने गांव के सामुदायिक भवन में शरण ली. पांच सदस्यीय इस परिवार में वृद्ध मां पारिवारिक बंटवारे के बाद अलग है और उसके दोनों बेटे अलग हैं.

बारिश ने उजाड़ा घर

जिसमें एक बेटे डिलेश साहू और उसकी मां एक ही मकान में रहते थे और यह मकान अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. लेकिन दो महीने से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी इन्हें शासन-प्रशासन से कोई मुआवजा नहीं मिला है. ग्राम पंचायत ने तात्कालिक व्यवस्था कर परिवार को सामुदायिक भवन में शरण दी है. लेकिन पीड़ित परिवार ने कहा कि घर से बाहर रहने पर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है. रसोई से लेकर बाड़ी और गोधन को रखने की बड़ी समस्या है. ईंधन के रूप में लकड़ी का चूल्हा है. जिसे भवन में नहीं जला पाते हैं.

न राशन मिला, न मिला मकान

बुजुर्ग महिला ने बताया कि उसके पति के नाम पर दो साल पहले आवास स्वीकृत होने की बात पंचायत पदाधिकारी ने बताई थी. जो उनके पति केजूराम के नाम पर था. जिनका निधन हो गया. जिसके बाद सर्वे दल के अनुसार आवास के लिए बुजुर्ग महिला के नाम पर ग्राम पंचायत द्वारा अनुमोदन कर उच्च कार्यालय को भेज भी दिया गया है. लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हो पाई है.

पढ़ें-SPECIAL: कोरोना संकट और कर्ज की मार, दाने-दाने को मोहताज हुए ई-रिक्शा चालक

पीड़ित परिवार को मिला सिर्फ 5 किलो चावल

बता दें कि समय रहते आवास योजना का लाभ पीड़ित परिवार को मिल जाता तो इस हादसे से परिवार प्रभावित नहीं होता. डिलेश साहू ने बताया कि बंटवारे के बाद उसने संयुक्त राशन कार्ड से अपना और अपने परिवार का नाम विलोपित कर नया राशन कार्ड बनाने के लिए आवेदन दिया था. लेकिन बीते दो साल में दो बार आवेदन देने के बाद भी ना राशन मिला और ना ही राशन कार्ड. कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान भी शासन की योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल सका क्योकिं उनके पास राशन कार्ड नहीं है. डीलेश को मार्च से लेकर अब तक मात्र 5 किलो चावल मिला है.

हितग्राही को नहीं मिला योजना का लाभ

इस विषय में सचिव अर्जुन सिंह उइके ने बताया कि हितग्राही ने खुद राशन कार्ड से अपना नाम विलोपित कराया था. इस संदर्भ में आवेदक की पत्नी उषा बाई के नाम पर राशन कार्ड बन चुका था. लेकिन पीडीएफ प्रिंट नहीं होने के कारण राशन कार्ड की सुविधा नहीं मिली है. वहीं आवास के संदर्भ में बताया कि बुजुर्ग महिला के पति केजूराम का नाम पीडब्ल्यूए के आवास सूची में दर्ज है. शासन से योजना बंद होने के कारण किसी भी हितग्राही को इसका लाभ नहीं मिला है.

पढ़ें-SPECIAL: बस्तर के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, मामूली इलाज के लिए भी 40 किलोमीटर का सफर

मुआवजे के लिए भेजा गया प्रतिवेदन

सचिव ने कहा कि हितग्राही को ग्राम पंचायत के प्राथमिकता क्रम के पहले नंबर पर रखा जायेगा. सरपंच अंजलि घावड़े ने बताया कि हितग्राही का मकान गिरने के बाद तुरंत व्यवस्था कर सामुदायिक भवन में शिफ्ट किया गया है. वहीं पटवारी को मुआवजे के लिए कहा गया था. पटवारी ज्ञानदास धृतलहरे का कहना है कि प्रभावित परिवार को मुआवजे के लिए प्रतिवेदन तहसीलदार के पास भेजा गया है.

राजनांदगांव/डोंगरगांव: पहले कोरोना ने रोजगार छीन लिया फिर बारिश ने आशियाना उजाड़ दिया. ग्राम पांगरीकला का साहू परिवार अब खानाबदोश की जिंदगी जी रहा है. छुरिया ब्लॉक के ग्राम पांगरीकला में तीन महीने पहले भारी बारिश के कारण साहू परिवार का मकान ढह गया. जिसके बाद परिवार ने गांव के सामुदायिक भवन में शरण ली. पांच सदस्यीय इस परिवार में वृद्ध मां पारिवारिक बंटवारे के बाद अलग है और उसके दोनों बेटे अलग हैं.

बारिश ने उजाड़ा घर

जिसमें एक बेटे डिलेश साहू और उसकी मां एक ही मकान में रहते थे और यह मकान अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. लेकिन दो महीने से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी इन्हें शासन-प्रशासन से कोई मुआवजा नहीं मिला है. ग्राम पंचायत ने तात्कालिक व्यवस्था कर परिवार को सामुदायिक भवन में शरण दी है. लेकिन पीड़ित परिवार ने कहा कि घर से बाहर रहने पर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है. रसोई से लेकर बाड़ी और गोधन को रखने की बड़ी समस्या है. ईंधन के रूप में लकड़ी का चूल्हा है. जिसे भवन में नहीं जला पाते हैं.

न राशन मिला, न मिला मकान

बुजुर्ग महिला ने बताया कि उसके पति के नाम पर दो साल पहले आवास स्वीकृत होने की बात पंचायत पदाधिकारी ने बताई थी. जो उनके पति केजूराम के नाम पर था. जिनका निधन हो गया. जिसके बाद सर्वे दल के अनुसार आवास के लिए बुजुर्ग महिला के नाम पर ग्राम पंचायत द्वारा अनुमोदन कर उच्च कार्यालय को भेज भी दिया गया है. लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हो पाई है.

पढ़ें-SPECIAL: कोरोना संकट और कर्ज की मार, दाने-दाने को मोहताज हुए ई-रिक्शा चालक

पीड़ित परिवार को मिला सिर्फ 5 किलो चावल

बता दें कि समय रहते आवास योजना का लाभ पीड़ित परिवार को मिल जाता तो इस हादसे से परिवार प्रभावित नहीं होता. डिलेश साहू ने बताया कि बंटवारे के बाद उसने संयुक्त राशन कार्ड से अपना और अपने परिवार का नाम विलोपित कर नया राशन कार्ड बनाने के लिए आवेदन दिया था. लेकिन बीते दो साल में दो बार आवेदन देने के बाद भी ना राशन मिला और ना ही राशन कार्ड. कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान भी शासन की योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल सका क्योकिं उनके पास राशन कार्ड नहीं है. डीलेश को मार्च से लेकर अब तक मात्र 5 किलो चावल मिला है.

हितग्राही को नहीं मिला योजना का लाभ

इस विषय में सचिव अर्जुन सिंह उइके ने बताया कि हितग्राही ने खुद राशन कार्ड से अपना नाम विलोपित कराया था. इस संदर्भ में आवेदक की पत्नी उषा बाई के नाम पर राशन कार्ड बन चुका था. लेकिन पीडीएफ प्रिंट नहीं होने के कारण राशन कार्ड की सुविधा नहीं मिली है. वहीं आवास के संदर्भ में बताया कि बुजुर्ग महिला के पति केजूराम का नाम पीडब्ल्यूए के आवास सूची में दर्ज है. शासन से योजना बंद होने के कारण किसी भी हितग्राही को इसका लाभ नहीं मिला है.

पढ़ें-SPECIAL: बस्तर के ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, मामूली इलाज के लिए भी 40 किलोमीटर का सफर

मुआवजे के लिए भेजा गया प्रतिवेदन

सचिव ने कहा कि हितग्राही को ग्राम पंचायत के प्राथमिकता क्रम के पहले नंबर पर रखा जायेगा. सरपंच अंजलि घावड़े ने बताया कि हितग्राही का मकान गिरने के बाद तुरंत व्यवस्था कर सामुदायिक भवन में शिफ्ट किया गया है. वहीं पटवारी को मुआवजे के लिए कहा गया था. पटवारी ज्ञानदास धृतलहरे का कहना है कि प्रभावित परिवार को मुआवजे के लिए प्रतिवेदन तहसीलदार के पास भेजा गया है.

Last Updated : Oct 18, 2020, 11:10 AM IST
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