रायपुर : चैत्र शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को नवरात्रि मनाई जाती है. लेकिन इस दिन सिंधियों को त्यौहार भी आता है. चंद्र दर्शन की तिथि के अवसर पर सिंधी चेटी चंद मनाते हैं. सिंधी समाज इस पर्व को उत्साह उमंग और उल्लास के साथ मनाता है. चेटीचंद पर्व के दिन सिंधी घरों में महिलाएं दिया जलाकर पर्व की शुरुआत करती हैं. इस दिन झूलेलाल मंदिर में जाकर पूजा अर्चना और आराधना की जाती है.
भगवान झूलेलाल की आराधना : सिंधी धर्म के अनुयायियों ने बताया कि "राजस्थान के जयपुर में झूलेलाल जी के मंदिर से पूजा शुरु की जाती है. भगवान झूलेलाल जी को लाल साईं, वरुण देव, झूलेलाल और अमर लाल के नाम से भी जाना जाता है. भगवान झूलेलाल जल के देवता भी माने गए हैं. नए चंद्रमा के दर्शन के साथ ही इस पर्व को मनाया जाता है. गुड़ी पड़वा, उगादि और नवरात्रि का पर्व भी चेटीचंद उत्सव के साथ ही आते हैं.''
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कैसे की जाती है पूजा : अनुयायियों के मुताबिक '' इस दिन घर व्यापार ऑफिस पूरी तरह से साफ किया जाता है. सिंधी समाज के लोग इस दिन को दीपावली के जैसा ही मानते हैं. यह सिंधी समाज का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. इस पर्व को अनंत उत्साह भाईचारा और समृद्धि के साथ मनाने की परंपरा है. कई जगहों पर शोभायात्रा निकाली जाती है. इस शोभायात्रा में सभी लोग रीति रिवाज के अनुसार और परंपराओं के अनुसार लोकगीत गाते गुनगुनाते और भगवान झूलेलाल जी के भक्ति में नारे लगाते हुए इस पर्व को मनाते हैं."