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न घर न ठिकाना, आश्रम भी नहीं जाना, सड़क पर सुकून में क्यों हैं बेबस बुजुर्ग?

इंदौर में अतिक्रमण के वाहन में बुजुर्गों को जानवरों की तरह भरने का मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है. इस मामले में नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. तो वहीं ग्वालियर में बेसहारा बुजुर्ग लोगों की मॉनिटरिंग जाती है. प्रशासन द्वारा संचालित होने वाले आश्रमों में उन्हें ले जाकर देखरेख की जाती है. पढ़िए हमारी विशेष रिर्पोट...

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सड़क पर सुकून में क्यों हैं बेबस बुजुर्ग?
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Published : Jan 31, 2021, 12:40 AM IST

ग्वालियर: इंदौर में मानवीय मूल्यों को दरकिनार कर देने वाले वीडियो ने एक बार फिर बहस को जन्म दिया है कि जिनका इस दुनिया में कोई नहीं होता है उनके साथ जानवरों से सलूक किया जाता है. इस बात की पुष्ठी कल वायरल हुए एक वीडियो ने कर दी है. जिस पर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संज्ञान लेते हुए इंदौर नगर निगम के अपर आयुक्त को बर्खास्त कर दिया है. यदि हम ग्वालियर की बात करें तो शहर में कई जगह पर बेसहारा बुजुर्ग सड़कों पर रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन सड़कों पर सबसे ज्यादा ऐसे बेसहारा बुजुर्ग है जो अपनी मर्जी से रह रहे हैं. नगर निगम की तरफ से शहर में स्वर्ण सदन और मंगल आश्रम संचालित हो रहे हैं जिसमें ज्यादातर बुजुर्ग अपना जीवन यापन कर रहे हैं. उनकी अच्छे तरीके से देखभाल की जाती है, साथ ही वहां पर खाने-पीने की व्यवस्थाएं जिला प्रशासन और समाजसेवियों के द्वारा हो रही है.

सड़क पर सुकून में क्यों हैं बेबस बुजुर्ग?

बेटा होने के बाद भी बुजुर्गों 'बेसहारा'

जब बेसहारा बुजुर्गों महिला से पूछा गया कि उन्हें कोई लेने नहीं आता है तो उन्होंने इसका जबाव ना में जबाव देते हुए दिया. बेसहारा बुजुर्गों महिला ने बताया कि उनके घर में एक बेटा है. उन्होंने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है वह तभी से बेसहरा बैठी है. जब उनसे कहा कि आप तो आश्रम लेने कोई आता है तो उन्होंने कहा कि नहीं वे आश्रम नहीं जाना चाहती है.

आश्रम में नहीं जाना चाहते हैं बुजुर्ग

ग्वालियर में बेसहारा बुजुर्ग घूमते हैं, साथ ही कई ऐसे बेसहारा बुजुर्ग है जो मंदिर के पास रहकर अपने खाने-पीने का इंतजाम से करते हैं. बाकायदा समाजसेवी हर दिन इनके लिए खाना की व्यवस्था करते हैं. यह ऐसे बेसहारा बुजुर्ग है जो आश्रम में जाना नहीं चाहते हैं, लेकिन शहर के ज्यादातर बेसहारा बुजुर्ग नगर निगम और जिला प्रशासन के द्वारा संचालित आश्रमों में रह रहे हैं और वहीं पर उनके खाना पीना की व्यवस्था की जाती है.

दानियों की कृपा से भरता है पेट

ऐसे में बेसहारा बुजुर्ग ने बताया कि हम तो दानियों की ही कृपा रहती है. प्रशासन से उम्मीद करना बेइमानी है. उन्होंने कहा कि हमे प्रशासन से किसी भी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं है. जब उनसे भी आश्रम जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारा आश्रम यही है.

बेसहारा बुजुर्गों के लिए टोल फ्री नंबर

ग्वालियर के दो स्वर्ण सदन आश्रम और मंगल आश्रम में कुल 96 बेसहारा बुजुर्ग रह रहे हैं. आश्रम के केयर टेकर विकास मिश्रा का कहना है आश्रम की तरफ से शहर में हमारी टोल फ्री नंबर बांटे गए हैं अगर हमें कोई सूचित करता है तो हम आश्रम की एंबुलेंस से उन्हें अच्छे तरीके से आश्रम में लाते हैं उनको नहला धुला कर उनका ट्रीटमेंट होता है और उसके बाद यहां पर अच्छी तरीके से उनकी देखभाल की जाती है.

आश्रम में रहते हैं 21 साल से लेकर 90 उम्र के लोग

बेसहारा के लिए हमारी टीम दिन रात काम करती है. इसके लिए हम लोग स्टेशन, सड़क, अस्पतालों और अन्य जगहों पर जाकर उनकी तलाश करते रहते हैं. इसके साथ ही हमने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है. इस नंबर के माध्यम से हम लोग जनता से अपील करते हैं कि जहां किसी को भी बेसहारा, वृद्ध दिखाई दे तो इनकी सूचना तुंरत हमें दे. प्रभारी मनीष मिश्रा ने बताया कि उनके आश्रम में 46 लोग है. निराश्रित लोग है जिनका कोई नहीं है. उम्र के लिहाज से उनके आश्रम में 21 साल से लेकर 90 और 100 साल के लोग भी रह रहे हैं.

ग्वालियर: इंदौर में मानवीय मूल्यों को दरकिनार कर देने वाले वीडियो ने एक बार फिर बहस को जन्म दिया है कि जिनका इस दुनिया में कोई नहीं होता है उनके साथ जानवरों से सलूक किया जाता है. इस बात की पुष्ठी कल वायरल हुए एक वीडियो ने कर दी है. जिस पर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संज्ञान लेते हुए इंदौर नगर निगम के अपर आयुक्त को बर्खास्त कर दिया है. यदि हम ग्वालियर की बात करें तो शहर में कई जगह पर बेसहारा बुजुर्ग सड़कों पर रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन सड़कों पर सबसे ज्यादा ऐसे बेसहारा बुजुर्ग है जो अपनी मर्जी से रह रहे हैं. नगर निगम की तरफ से शहर में स्वर्ण सदन और मंगल आश्रम संचालित हो रहे हैं जिसमें ज्यादातर बुजुर्ग अपना जीवन यापन कर रहे हैं. उनकी अच्छे तरीके से देखभाल की जाती है, साथ ही वहां पर खाने-पीने की व्यवस्थाएं जिला प्रशासन और समाजसेवियों के द्वारा हो रही है.

सड़क पर सुकून में क्यों हैं बेबस बुजुर्ग?

बेटा होने के बाद भी बुजुर्गों 'बेसहारा'

जब बेसहारा बुजुर्गों महिला से पूछा गया कि उन्हें कोई लेने नहीं आता है तो उन्होंने इसका जबाव ना में जबाव देते हुए दिया. बेसहारा बुजुर्गों महिला ने बताया कि उनके घर में एक बेटा है. उन्होंने बताया कि जब से लॉकडाउन लगा है वह तभी से बेसहरा बैठी है. जब उनसे कहा कि आप तो आश्रम लेने कोई आता है तो उन्होंने कहा कि नहीं वे आश्रम नहीं जाना चाहती है.

आश्रम में नहीं जाना चाहते हैं बुजुर्ग

ग्वालियर में बेसहारा बुजुर्ग घूमते हैं, साथ ही कई ऐसे बेसहारा बुजुर्ग है जो मंदिर के पास रहकर अपने खाने-पीने का इंतजाम से करते हैं. बाकायदा समाजसेवी हर दिन इनके लिए खाना की व्यवस्था करते हैं. यह ऐसे बेसहारा बुजुर्ग है जो आश्रम में जाना नहीं चाहते हैं, लेकिन शहर के ज्यादातर बेसहारा बुजुर्ग नगर निगम और जिला प्रशासन के द्वारा संचालित आश्रमों में रह रहे हैं और वहीं पर उनके खाना पीना की व्यवस्था की जाती है.

दानियों की कृपा से भरता है पेट

ऐसे में बेसहारा बुजुर्ग ने बताया कि हम तो दानियों की ही कृपा रहती है. प्रशासन से उम्मीद करना बेइमानी है. उन्होंने कहा कि हमे प्रशासन से किसी भी प्रकार की कोई उम्मीद नहीं है. जब उनसे भी आश्रम जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमारा आश्रम यही है.

बेसहारा बुजुर्गों के लिए टोल फ्री नंबर

ग्वालियर के दो स्वर्ण सदन आश्रम और मंगल आश्रम में कुल 96 बेसहारा बुजुर्ग रह रहे हैं. आश्रम के केयर टेकर विकास मिश्रा का कहना है आश्रम की तरफ से शहर में हमारी टोल फ्री नंबर बांटे गए हैं अगर हमें कोई सूचित करता है तो हम आश्रम की एंबुलेंस से उन्हें अच्छे तरीके से आश्रम में लाते हैं उनको नहला धुला कर उनका ट्रीटमेंट होता है और उसके बाद यहां पर अच्छी तरीके से उनकी देखभाल की जाती है.

आश्रम में रहते हैं 21 साल से लेकर 90 उम्र के लोग

बेसहारा के लिए हमारी टीम दिन रात काम करती है. इसके लिए हम लोग स्टेशन, सड़क, अस्पतालों और अन्य जगहों पर जाकर उनकी तलाश करते रहते हैं. इसके साथ ही हमने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है. इस नंबर के माध्यम से हम लोग जनता से अपील करते हैं कि जहां किसी को भी बेसहारा, वृद्ध दिखाई दे तो इनकी सूचना तुंरत हमें दे. प्रभारी मनीष मिश्रा ने बताया कि उनके आश्रम में 46 लोग है. निराश्रित लोग है जिनका कोई नहीं है. उम्र के लिहाज से उनके आश्रम में 21 साल से लेकर 90 और 100 साल के लोग भी रह रहे हैं.

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