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story behind bhaidooj : क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्यौहार, कथा और महत्व

Bhai dooj 2022 भाई दूज भारत में मनाए जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है जो की भारत के कोने कोने में मनाया जाता है. भाई दोज एक हिंदू त्यौहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है. यह पर्व हिन्दू धर्म के अनुयाई द्वारा मनाया जाता है. यह पर्व भाई और बहन के पावन रिश्ते के महत्व को दर्शाता है.इस दिन के अनुष्ठान और उत्सव ‘रक्षा बंधन’ जैसे लोकप्रिय उत्सव के समान हैं.इस विशेष अवसर पर भाई अपनी बहनों को कई उपहारों देते हैं और बदले में बहनें अपने भाइयों को मिठाई देती हैं.

क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्यौहार
क्यों मनाया जाता है भाई दूज का त्यौहार
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Published : Oct 25, 2022, 6:00 PM IST

Bhai dooj 2022 : हिंदूओं के प्रमुख त्योहार में भाईदूज का भी बहुत महत्व है. भाईदूज का पर्व दीपावली से 2 दिन बाद आता है, इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती हैं.स्कंदपुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस साल यह पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इसको मनाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित (why Bhai dooj is celebrated) है.

यम और यमुना की कहानी : शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य नारायण और संज्ञा के दो संतानें- एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना थी. मगर एक समय ऐसा आया जब संज्ञा सूर्य का तेज सहन कर पाने में असमर्थ होने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी. जिसके कारण ताप्ती नदी और शनिदेव का जन्म हुआ. उत्तरी ध्रुव में बसने के बाद संज्ञा (छाया) का यम और यमुना के साथ व्यवहार में अंतर आ गया. इससे व्यथित होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई. वहीं यमुना अपने भाई यम को यमपुरी में पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वह गोलोक में निवास करने लगीं. लेकिन यम और यमुना दोनों भाई-बहन में बहुत स्नेह था.

इसी तरह समय व्यतीत होता रहा, फिर अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आई. यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे, लेकिन काम की व्यस्तता के चलते अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे.फिर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन यमुना ने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया. ऐसे में यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं (story behind Bhai dooj 2022 ) रहा.

यमुना ने स्नान के बाद पूजन करके, स्वादिष्ट व्यंजन परोसकर यमराज को भोजन कराया. यमुना द्वारा किए गए इस आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया. फिर यमुना ने कहा कि, ‘हे भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो और मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर-सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे.’ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान किया.तभी से इस दिन से ये पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है. इसी कारण ऐसी मान्यता है कि भाईदूज के दिन यमराज तथा यमुना का पूजन भी अवश्य करना चाहिए.

Bhai dooj 2022 : हिंदूओं के प्रमुख त्योहार में भाईदूज का भी बहुत महत्व है. भाईदूज का पर्व दीपावली से 2 दिन बाद आता है, इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती हैं.स्कंदपुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस साल यह पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इसको मनाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित (why Bhai dooj is celebrated) है.

यम और यमुना की कहानी : शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य नारायण और संज्ञा के दो संतानें- एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना थी. मगर एक समय ऐसा आया जब संज्ञा सूर्य का तेज सहन कर पाने में असमर्थ होने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी. जिसके कारण ताप्ती नदी और शनिदेव का जन्म हुआ. उत्तरी ध्रुव में बसने के बाद संज्ञा (छाया) का यम और यमुना के साथ व्यवहार में अंतर आ गया. इससे व्यथित होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई. वहीं यमुना अपने भाई यम को यमपुरी में पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वह गोलोक में निवास करने लगीं. लेकिन यम और यमुना दोनों भाई-बहन में बहुत स्नेह था.

इसी तरह समय व्यतीत होता रहा, फिर अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आई. यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे, लेकिन काम की व्यस्तता के चलते अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे.फिर कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन यमुना ने भाई यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया. ऐसे में यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं (story behind Bhai dooj 2022 ) रहा.

यमुना ने स्नान के बाद पूजन करके, स्वादिष्ट व्यंजन परोसकर यमराज को भोजन कराया. यमुना द्वारा किए गए इस आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया. फिर यमुना ने कहा कि, ‘हे भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो और मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर-सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे.’ यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान किया.तभी से इस दिन से ये पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है. इसी कारण ऐसी मान्यता है कि भाईदूज के दिन यमराज तथा यमुना का पूजन भी अवश्य करना चाहिए.

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