रायपुर: केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानून को छत्तीसगढ़ में लागू करने से कैसे रोका जाए, इसे लेकर राज्य सरकार बड़े स्तर पर मंथन कर रही है. इसके लिए राज्य सरकार राजनीतिक परामर्श सहित कानूनी मदद लिए जाने की तैयारी में है.
राज्य सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. जो इस बात का ड्राफ्ट तैयार करेगी कि प्रदेश में कृषि कानून को लागू होने से कैसे रोका जाए. इस उच्च स्तरीय समिति की बैठक सोमवार को कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के निवास पर हुई.
हम अपना कानून बनाएंगे: रविंद्र चौबे
बैठक के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है, हमें इस पर कानून बनाने से कौन रोक सकता है. चौबे ने बताया कि केंद्र के कानून को कैसे लागू करना है, ये बाद की बात है. हम छत्तीसगढ़ में कृषि का कानून बनाएंगे, मजदूरों के लिए कानून बनाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को आगे भी धान का 2500 रुपये समर्थन मूल्य मिलेगा. बैठक में विस्तृत चर्चा हुई है. चौबे ने बताया कि अगले बैठक में ड्राफ्ट बनाकर कानून को कैसे लागू किया जा सकता है इस पर बात होगी. जरूरत पड़ी तो विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे और विंटर सेशन से पहले कानून बनाएंगे. केंद्र स्तर पर जो कानून बने हैं, उसे लागू करना केंद्र का काम है, हम अपना कानून लाएंगे.
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कानून से बढ़ेगी जमखोरी: रविंद्र चौबे
रविंद्र चौबे ने प्रदेश के किसानों को आश्वस्त किया है कि किसी भी परिस्थिति में धान का समर्थन मूल्य 2500 से कम नहीं किया जाएगा. इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले ही अपनी मंशा जाहिर कर दी है. मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के कानून से कालाबाजारी जमाखोरी बढ़ेगी. किसान अपने ही खेत में मजदूर बन जाएंगे. इन कानूनों से हित संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ में कानून बनाया जाएगा. बैठक में कमेटी के सदस्य मंत्री रविंद्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम मौजूद थे.