रायपुर: छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी के विजयी सांसदों को इस बार भी अटल सरकार के मंत्रिमंडल जैसी उम्मीदें थी लेकिन छत्तीसगढ़ में भी भारी भरकम बहुमत के बाद प्रदेश के कोटे में सिर्फ एक मंत्री पद ही आया है. जिसे लेकर कांग्रेस ने भी भाजपा पर प्रदेश की अनदेखी के आरोप जड़ दिए हैं. साथ ही राज्य की केंद्र में उपेक्षा का सवाल भी खड़ा हो रहा है.
छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अविभाजित मध्यप्रदेश और सीपीआर के जमाने से छत्तीसगढ़ के नेताओं के दिल्ली में अच्छी खासी दखल रही है. ये परंपरा अटल सरकार में भी जारी रही उस दरमियान छत्तीसगढ़ से डॉक्टर रमन सिंह, दिलीप सिंह जूदेव और रमेश भाई जैसे नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल थे. लेकिन अब तमाम बड़े नेताओं को दरकिनार कर सरगुजा से महिला सांसद रेणुका सिंह को केंद्र में जगह तो मिली है. लेकिन इसके बाद प्रदेश भाजपा के सीनियर लीडरशिप के सामने कई तरह के संकट भी सामने दिख रहे हैं.
इस बार रेणुका सिंह को मिला मौका
छत्तीसगढ़ में सरगुजा से विजयी सांसद रेणुका सिंह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यमंत्री के रूप में शामिल कर लिया है. अपने पूर्व कार्यकाल में मोदी ने अपनी टीम में विष्णुदेव साय को शामिल किया था.
वैसे भाजपा नेता कांग्रेस के पूर्व कार्यकाल में कितनी भी ऊंगली उठाएं पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में छग से वजनदार मंत्री शामिल होते रहे वहीं उन्हें महत्वपूर्ण विभाग भी मिला था. राजनीतिक पंडितों की मानें तो छत्तीसगढ़ के पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल का तो 1966 से ही केन्द्र में उपमंत्री बाद में राज्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड बना हुआ है. वे लगातार मंत्री बनते रहे और उन्हें संचार, गृह, वित्त, रक्षा, योजना, सूचना एवं प्रसारण, नागरिक आपूर्ति, विदेश, संसदीय कार्य तथा जलसंसाधन जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिलते रहे बाद में तो उनकी हैसियत प्रधानमंत्री के बाद मानी जाती रही है.
गैर भाजपा सरकारों में किसे कौन सा पद मिला
वहीं आदिवासी नेता अरविंद नेताम भी उपमंत्री, कृषि राज्यमंत्री के रूप में कार्य संभाल चुके हैं. मोतीलाल वोरा स्वास्थ्य परिवार कल्याण, नागर विमानन मंत्री रहे तो जब पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी तो 1977 से 79 तक बृजलाल वर्मा उद्योग, संचार मंत्री, पुरुषोत्तम कौशिक पर्यटन तथा नागर विमानन, सूचना एवं प्रसारण मंत्री रह चुके हैं, तो नरहरि प्रसाद साय संचार राज्य मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं.
अटल जी के वक्त किसे और क्या विभाग मिला था
बाद के वर्षों में भाजपा सरकार बनी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो रमेश बैस इस्पात एवं खान राज्यमंत्री, रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री बने तो डॉ. रमन सिंह वाणिज्य राज्यमंत्री तथा दिलीप सिंह जूदेव पर्यावरण, वन राज्यमंत्री बनाये गये थे. यानी अटल जी ने छग के 3 लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया था.
कब से केंद्र में कम हुआ प्रदेश का दखल
राज्य गठन के पहले डॉ. रमन सिंह ने इस्तीफा देकर छग के पहले विस चुनाव की कमान संभाली. अलग राज्य बनने के बाद से ही छग की उपेक्षा का दौर शुरू हुआ. छग गठन के बाद प्रदेश में तो भाजपा की सरकार बनी पर केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी. छग से एकमात्र सांसद अजीत जोगी कांग्रेस से चुने गए. वे चुनाव के दौरान ही एक दुर्घटना में बुरी तरह घायल होकर व्हील चेयर पर आ गए इसलिए छग से कोई भी मंत्री यूपीए एक में शामिल नहीं किया गया.
वहीं सन 2009 में यूपीए 2 मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद कांग्रेस के चुने गये एकमात्र सांसद डॉ. चरणदास महंत को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बतौर कृषि राज्यमंत्री शामिल किया गया.
2014 में भी बने सिर्फ एक मंत्री
2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार भाजपा की स्पष्ट बहुमत की सरकार बनी. 11 में 10 लोकसभा सीटें लगातार देने वाले छग से केवल एक राज्य मंत्री विष्णुदेव साय को ही शामिल किया. हालांकि रमेश बैस जैसे अनुभवी वरिष्ठ सांसद भी थे पर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. विष्णुदेव साय ने केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल नहीं हो सके तभी तो उनकी भी इस लोकसभा चुनाव में टिकट काट दी गई.
अब भी है उम्मीद
इस कैबिनेट में सरगुजा से विजयी रेणुका सिंह को मोदी मंत्रिमंडल में आदिवासी मामलों की राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया है. लेकिन इस कतार में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह, भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पांडे और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम का भी नाम चल रहा था क्योंकि पिछली मोदी कैबिनेट में राज्यसभा सांसदों को काफी तवज्जो दी गई थी. ऐसे में सरोज पांडे और रामविचार का नाम सुर्खियों में था. इसे खुद भाजपा के पदाधिकारी भी मान रहे थे. हालांकि मंत्रिमंडल गठन के बाद अभी भी भाजपा पदाधिकारियों को उम्मीद है कि मंत्रिमंडल विस्तार में छत्तीसगढ़ के और नेताओं को जगह मिलेगी.
हालांकि छग भाजपा के बड़े नेता, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह से रेणुका सिंह के मधुर संबंध नहीं है क्योंकि डॉ. रमन ने अपने मंत्रिमंडल से इस एकमात्र महिला मंत्री को हटाकर लता उसेंडी को शामिल किया था. इधर छग में राज्यसभा से सरोज पांडे, रामविचार नेताम जैसे अनुभवी नेता थे पर मोदी ने उन्हें महत्व नहीं देकर केवल रेणुका सिंह को शामिल करके खानापूर्ति ही की है ऐसा कहा जा सकता है.
बहरहाल छग से पहली बार कोई महिला को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिला, वहीं मोदी मंत्रिमंडल में शामिल निर्मला सीतारमन, हरसिमरत कौर, स्मृति इरानी, साध्वी निरंजन ज्योति के बाद पांचवी महिला मंत्री होने का गौरव तो रेणुका के साथ जुड़ ही गया है.