ETV Bharat / state

चिंता का विषय है पत्रकारों की सुरक्षा, क्या नई सरकार निभाएगी वादा ?

छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य है. जाहिर सी बात है कि यहां पत्रकारिता करना किसी चुनौती से कम नहीं है. पत्रकारों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है. इस पर ETV भारत ने छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकारों से खास बातचीत की.

इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्टस
author img

By

Published : Nov 2, 2019, 3:22 PM IST

Updated : Nov 2, 2019, 5:55 PM IST

रायपुर: आज दुनिया भर में पत्रकारों की सुरक्षा चिंता का विषय बना हुआ है. जिस तेजी से संचार के माध्यम बढ़ रहे हैं उसी तेजी से पत्रकार भी कहीं ना कहीं निशाने पर आ रहे हैं.

चिंता का विषय है पत्रकारों की सुरक्षा

विश्वभर के कई देशों में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि वहां स्वतंत्र पत्रकारिता करना आसान काम नहीं रहा. पत्रकार खौफ के साये में रहकर अपना काम कर रहे हैं. बात अगर भारत की, की जाए तो कई राज्यों में पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू करने की मांग कर रहे है. इनमें हमारा राज्य छत्तीसगढ़ भी शामिल है. जहां इस तरह के कानून बनाए जाने की बात कही जा रही है.

छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की हालत

छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य है. जाहिर सी बात है कि यहां पत्रकारिता करना किसी चुनौती से कम नहीं है. खासतौर पर बस्तर की बात की जाए तो वहां पत्रकार कई बार मुखबिर मान लिए जाते हैं और लाल आतंक का निशाना बन जाते हैं. सरकारी महकमा भी कई बार उन्हें संदेह भरी निगाह से देखता है. इन दोनों स्थितियों में पत्रकार की सुरक्षा दांव पर लगी होती है. इसी सुरक्षा की चिंता में बस्तर के अंदरूनी हालात कई बार आम जनता के सामने नहीं आ पाते क्योंकि वहां जाकर रिपोर्टिंग करना सीधा-सीधा अपने सुरक्षा को खतरे में डालने वाली बात है.

इस सबके बीच ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारिता के सिपाहियों को कब तक यूं ही डर के साये में अपना काम करना पड़ेगा. अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो पत्रकारिता कैसे चौथे स्तंभ की भूमिका निभा पाएगा.

फोन टैपिंग के मामले बढ़े
हाल ही में पत्रकारों के फोन टैपिंग कराए जाने का मामला सामने आया है. इनमें छत्तीसगढ़ के भी कुछ पत्रकार शामिल हैं. इसको लेकर भी पत्रकारिता जगत में चिंता के बादल छाए हुए हैं.

2 नवंबर को ही क्यों मनाते हैं ये दिन
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2013 में हर साल 2 नवंबर को ये खास दिन मनाने की घोषणा की थी. महासभा में पास किए गए प्रस्ताव में सभी सदस्यों से पत्रकारों के खिलाफ किए गए अपराध से दंड मुक्ति खत्म करने का आह्वान किया गया.

दो पत्रकारों की हुई थी हत्या
इस दिन को 2 नवंबर को ही मनाए जाने के पीछे एक वजह है. फ्रांस के दो रेडियो पत्रकार क्लाउदे वेरलोन और गिसिलेन दुपोंत को अफ्रीका के नॉर्थ माली से अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई थी. इन दोनों पत्रकारों के याद में भी इस दिन को इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट के रूप में मनाया जाता है.

700 से ज्यादा पत्रकारों की हो चुकी है हत्या
संयुक्त राष्ट्र के मुताबक पिछले एक दशक में दुनिया भर में 700 से ज्यादा पत्रकार अपने ड्यूटी के दौरान मारे जा चुके हैं. हालांकि इनमें दूरदराज होने वाली घटनाओं के आंकड़े शामिल नहीं हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में पत्रकारिता करना कितनी बड़ी चुनौती बनती जा रही है.

रायपुर: आज दुनिया भर में पत्रकारों की सुरक्षा चिंता का विषय बना हुआ है. जिस तेजी से संचार के माध्यम बढ़ रहे हैं उसी तेजी से पत्रकार भी कहीं ना कहीं निशाने पर आ रहे हैं.

चिंता का विषय है पत्रकारों की सुरक्षा

विश्वभर के कई देशों में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि वहां स्वतंत्र पत्रकारिता करना आसान काम नहीं रहा. पत्रकार खौफ के साये में रहकर अपना काम कर रहे हैं. बात अगर भारत की, की जाए तो कई राज्यों में पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू करने की मांग कर रहे है. इनमें हमारा राज्य छत्तीसगढ़ भी शामिल है. जहां इस तरह के कानून बनाए जाने की बात कही जा रही है.

छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की हालत

छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य है. जाहिर सी बात है कि यहां पत्रकारिता करना किसी चुनौती से कम नहीं है. खासतौर पर बस्तर की बात की जाए तो वहां पत्रकार कई बार मुखबिर मान लिए जाते हैं और लाल आतंक का निशाना बन जाते हैं. सरकारी महकमा भी कई बार उन्हें संदेह भरी निगाह से देखता है. इन दोनों स्थितियों में पत्रकार की सुरक्षा दांव पर लगी होती है. इसी सुरक्षा की चिंता में बस्तर के अंदरूनी हालात कई बार आम जनता के सामने नहीं आ पाते क्योंकि वहां जाकर रिपोर्टिंग करना सीधा-सीधा अपने सुरक्षा को खतरे में डालने वाली बात है.

इस सबके बीच ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारिता के सिपाहियों को कब तक यूं ही डर के साये में अपना काम करना पड़ेगा. अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो पत्रकारिता कैसे चौथे स्तंभ की भूमिका निभा पाएगा.

फोन टैपिंग के मामले बढ़े
हाल ही में पत्रकारों के फोन टैपिंग कराए जाने का मामला सामने आया है. इनमें छत्तीसगढ़ के भी कुछ पत्रकार शामिल हैं. इसको लेकर भी पत्रकारिता जगत में चिंता के बादल छाए हुए हैं.

2 नवंबर को ही क्यों मनाते हैं ये दिन
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2013 में हर साल 2 नवंबर को ये खास दिन मनाने की घोषणा की थी. महासभा में पास किए गए प्रस्ताव में सभी सदस्यों से पत्रकारों के खिलाफ किए गए अपराध से दंड मुक्ति खत्म करने का आह्वान किया गया.

दो पत्रकारों की हुई थी हत्या
इस दिन को 2 नवंबर को ही मनाए जाने के पीछे एक वजह है. फ्रांस के दो रेडियो पत्रकार क्लाउदे वेरलोन और गिसिलेन दुपोंत को अफ्रीका के नॉर्थ माली से अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई थी. इन दोनों पत्रकारों के याद में भी इस दिन को इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट के रूप में मनाया जाता है.

700 से ज्यादा पत्रकारों की हो चुकी है हत्या
संयुक्त राष्ट्र के मुताबक पिछले एक दशक में दुनिया भर में 700 से ज्यादा पत्रकार अपने ड्यूटी के दौरान मारे जा चुके हैं. हालांकि इनमें दूरदराज होने वाली घटनाओं के आंकड़े शामिल नहीं हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में पत्रकारिता करना कितनी बड़ी चुनौती बनती जा रही है.

Intro:आज दुनिया भर में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है जिस तेजी से संचार के माध्यम बढ़ रहे हैं उसी तेजी से पत्रकार भी कहि ना कहि निशाने पर आ रहे है।।

विश्व के कई देशों में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि वहां स्वतंत्र पत्रकारिता करना बेहद कठिन काम हो चला है। आज इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट के मौके पर हम पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चर्चा करना चाह रहे हैं बात अगर देश की की जाए तो कई राज्यों में पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू करने की मांग चल रही है इनमें हमारा राज्य छत्तीसगढ़ भी शामिल है जहां इस तरह के कानून बनाए जाने की बात कही जा रही है।।





Body:इस सबके बीच यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को अपनी सुरक्षा के लिए चिंता करना पड़ रहा हो अगर ऐसे ही हालात बनते जाएंगे तो पत्रकारिता कैसे चौथे स्तंभ की भूमिका निभा पाएगा।।

इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकारों ने भी चिंता जताई है

1 बाईट

ललित सुरजन

वरिष्ठ पत्रकार

2 बाईट

रमेश नैय्यर


एक और जहां पत्रकारों को वाकई सुरक्षा की जरूरत है तो दूसरी ओर उन्हें अपने पैसे की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए उच्चतम चारित्रिक गुण व्यवहार में लाने की भी जरूरत है तभी एक पत्रकार समाज में उस तरह सम्मान पा सकता है जिसकी वह कामना करता है।


Conclusion:छत्तीसगढ़ एक नक्सल प्रभावित राज्य है जाहिर सी बात है यहां पत्रकारिता करना किसी चुनौती से कम नहीं है खासतौर पर बस्तर की बात की जाए तो वहां पत्रकार कई बार मुखबीर मान लिए जाते हैं और वे लाल आतंक का निशाना बन जाते हैं सरकारी महकमा भी कई बार उन्हें संदेह भरी निगाह से देखता है।।


इन दोनों स्थितियों में पत्रकार की सुरक्षा दांव पर लगी होती है इसी सुरक्षा की चिंता में बस्तर के अंदरूनी हालात कई बार आम जनता के सामने नहीं आ पाते क्योंकि वहां जाकर रिपोर्टिंग करना सीधा सीधा अपने सुरक्षा को खतरे में डालने वाली बात है।।


2 नवंबर को क्यों मनाते हैं इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट


संयुक्त संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2013 में हर साल 2 नवंबर को यह खास दिवस मनाने की घोषणा की थी महासभा में पास किए गए प्रस्ताव में सभी सदस्यों से पत्रकारों के खिलाफ किए गए अपराध से दंड मुक्ति समाप्त करने का आह्वान किया गया।
इस दिवस को 2 नवंबर को ही मनाए जाने के पीछे फ्रांस के दो रेडियो पत्रकार क्लाउदे वेरलोन और गिसिलेन दुपोंत को अफ्रीका के नॉर्थ माली से अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई थी इन दोनों पत्रकारों के याद में भी इस दिन को इस दिवस के रुप में मनाया जाता है।।

भारत सरकार के एनसीआरबी अब पत्रकारों के खिलाफ हो रहे अपराध का अलग से डाटा तैयार कर रहा है आने वाले वक्त में भारत में हो रहे पत्रकारों के खिलाफ अपराध के शुद्ध आंकड़े सामने आ सकते हैं।।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार पिछले एक दशक में दुनिया भर में 700 से ज्यादा पत्रकार अपने ड्यूटी के दौरान मारे जा चुके हैं। हालांकि इनमें दूरदराज होने वाली घटनाओं के आंकड़े शामिल नहीं है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में पत्रकारिता करना कितनी बड़ी चुनौती बनती जा रही है पाकिस्तान अफगानिस्तान जैसे देशों में पत्रकारिता बेहद खतरनाक माना जाता है।

हाल ही में पत्रकारों के फोन टैपिंग कराए जाने का मामला सामने आया है इनमें छत्तीसगढ़ के भी कुछ पत्रकार शामिल है इसको लेकर भी पत्रकारिता जगत में चिंता के बादल छाए हुए हैं के आखिर पत्रकार खुद को कैसे सुरक्षित रख सके।।


नोट - 2 नवंबर के लिए प्रकाशनार्थ
Last Updated : Nov 2, 2019, 5:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.