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makar sankranti 2023: सूर्य देव को प्रिय है तिल के लड्डू, महिलाएं मना रही मकर संक्रांति का त्योहार

मकर संक्रांति का त्योहार पूरे देश में बड़े ही उत्साह और भक्तिपूर्ण तरीके से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में इस दिन काले और सफेद तिल के लड्डू बनाकर भगवान सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है. महिलाएं ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य देना बहुत ही शुभ मानती हैं.

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Published : Jan 13, 2023, 10:00 PM IST

makar sankranti celebration
मकर संक्रांति उत्सव
मकर संक्रांति उत्सव

रायपुर: रायपुर के संतोषी नगर इलाके के कुछ घरेलू महिलाओं से इस त्योहार को लेकर बातचीत की गई और तिल के लड्डू बनाने की विधि भी जानी गई. इसी कड़ी में रमा दूबे ने ईटीवी भारत को बताया कि "मकर संक्रांति के दिन सुबह नहाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है और काले तिल का दान कर शनि देव को शांत किया जाता है. साथ ही सूर्य देव को भी तिल चढ़ाना शुभ माना जाता है."

ऐसे बनता है तिल का लड्डू: अनिता तम्बोली ने बताया कि "मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश मे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. हमारे छत्तीसगढ़ में तिल और गुड़ के लड्डू बनाकर कुलदेव, शनिदेव और सूर्यदेव को चढ़ाया जाता है. यह स्नानदान का पर्व है, स्नान कर दान दिया जाता है. वहीं शनिदेव की भी शांत करने हेतु पूजा की जाती है. इस त्यौहार में बनाये जाने वाले तिल के लड्डू के लिए पहले तिल को फ्राई किया जाता है. उसके बाद गुड़ की चाशनी बनाकर दोनों को मिला लिया जाता है. जिसके बाद हाथों से ही मिक्स तिल और गुड़ की चाशनी को गोल आकृति देकर लड्डू बांधा जाता है."

तिल खिचड़ी का दान किया जाता है: मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते है. इस दिन मकर राशि में सूर्य प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. बहुत सी जगहों पर इसे खिचड़ी और उत्तरायण भी कहते हैं. मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है. इस शुभ दिन तिल खिचड़ी का दान करते हैं. ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन किसी भी तरह के नशे जैसे सिगरेट, शराब, गुटका आदि से खुद को दूर रखें. साथ ही इस दिन मसालेदार भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इस दिन तिल और मूंग दाल की खिचड़ी का सेवन करना अच्छा माना जाता है.


मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. खगोलशास्त्र के मुताबिक देखें तो सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं तो उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं. उनके घर में सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है. क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नकारात्मकता नहीं टिक सकती है.

यह भी पढ़ें: makar sankranti 2023: रायपुर में बिक रहे 5 रुपए से 1600 के पतंग

मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना: मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और इनसे संबंधित दान करने से सारे शनि जनित दोष दूर हो जाते हैं. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है. लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है. पूरा वर्ष उत्तरायण एवं दक्षिणायन दो भागों में बराबर-बराबर बंटा होता है. जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है. उसे संक्रमण काल कहा जाता है. हमारी पृथ्वी का अधिकांश भाग भूमध्य रेखा के उत्तर में यानी उत्तरी गोलार्द्ध में ही आता है. अत: मकर संक्रांति को ही विशेष महत्व दिया गया है.

मकर संक्रांति उत्सव

रायपुर: रायपुर के संतोषी नगर इलाके के कुछ घरेलू महिलाओं से इस त्योहार को लेकर बातचीत की गई और तिल के लड्डू बनाने की विधि भी जानी गई. इसी कड़ी में रमा दूबे ने ईटीवी भारत को बताया कि "मकर संक्रांति के दिन सुबह नहाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है और काले तिल का दान कर शनि देव को शांत किया जाता है. साथ ही सूर्य देव को भी तिल चढ़ाना शुभ माना जाता है."

ऐसे बनता है तिल का लड्डू: अनिता तम्बोली ने बताया कि "मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश मे अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. हमारे छत्तीसगढ़ में तिल और गुड़ के लड्डू बनाकर कुलदेव, शनिदेव और सूर्यदेव को चढ़ाया जाता है. यह स्नानदान का पर्व है, स्नान कर दान दिया जाता है. वहीं शनिदेव की भी शांत करने हेतु पूजा की जाती है. इस त्यौहार में बनाये जाने वाले तिल के लड्डू के लिए पहले तिल को फ्राई किया जाता है. उसके बाद गुड़ की चाशनी बनाकर दोनों को मिला लिया जाता है. जिसके बाद हाथों से ही मिक्स तिल और गुड़ की चाशनी को गोल आकृति देकर लड्डू बांधा जाता है."

तिल खिचड़ी का दान किया जाता है: मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होते है. इस दिन मकर राशि में सूर्य प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए ही इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. बहुत सी जगहों पर इसे खिचड़ी और उत्तरायण भी कहते हैं. मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है. इस शुभ दिन तिल खिचड़ी का दान करते हैं. ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन किसी भी तरह के नशे जैसे सिगरेट, शराब, गुटका आदि से खुद को दूर रखें. साथ ही इस दिन मसालेदार भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इस दिन तिल और मूंग दाल की खिचड़ी का सेवन करना अच्छा माना जाता है.


मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. खगोलशास्त्र के मुताबिक देखें तो सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं तो उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं. उनके घर में सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है. क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नकारात्मकता नहीं टिक सकती है.

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मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना: मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और इनसे संबंधित दान करने से सारे शनि जनित दोष दूर हो जाते हैं. मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है. लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है. पूरा वर्ष उत्तरायण एवं दक्षिणायन दो भागों में बराबर-बराबर बंटा होता है. जिस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है. उसे संक्रमण काल कहा जाता है. हमारी पृथ्वी का अधिकांश भाग भूमध्य रेखा के उत्तर में यानी उत्तरी गोलार्द्ध में ही आता है. अत: मकर संक्रांति को ही विशेष महत्व दिया गया है.

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