रायपुर: 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी है, लेकिन कोविड-19 का खतरा इस साल गणेश चतुर्थी पर भी मंडरा रहा है. इस बार गणेशोत्सव पहले की तरह सड़कों पर नहीं मनाया जा सकता है. हालांकि तय गाइडलाइन के तहत पूजा किया जा सकता है. इन सबके बीच कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग मूर्तियों का ऑर्डर नहीं दे रहे हैं. ऐसे में अब मूर्तिकारों को रोजी-रोटी के साथ भारी नुकसान का चिंता सताने लगी है.
मूर्तिकार ने बताया गणेश भगवान की मूर्ति तकरीबन 3 महीने पहले से ही बनाना शुरू कर देते हैं, लेकिन इस बार मूर्तियां कोरोना के कारण काफी देर से बननी शुरू हुई है, जिससे मूर्तिकार खासा परेशान हैं. मूर्तिकार माणिक ठाकुर ने बताया कि गणेश मूर्ति बनाने के लिए रायपुर समेत अन्य शहरों से मूर्तियों के लिए ऑर्डर मिलते थे, लेकिन इस साल कितने फिट की मूर्ति बनानी है, किस थीम पर बनानी है, कुछ नहीं पता है, जिससे मूर्तिकार असमंजस में हैं.
दो वक्त का खाना मिलना भी नसीब नहीं
मूर्तिकार माणिक ठाकुर का कहना है अगर कुछ दिनों में ऑर्डर नहीं आया, तो बड़े साइज की मूर्तियां समय पर नहीं बन पाएंगी. साथ ही समय कम होने से लागत भी अधिक हो जाएगी, जिससे कीमतों में भी इजाफा होगा. अगर ऐसा ही रहा, तो मूर्तिकारों की हालत काफी खराब हो जाएगी. दो वक्त का खाना मिलना भी नसीब नहीं हो पाएगा.
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कम समय में काम पूरा कर पाना नामुमकिन
मूर्तिकारों ने बताया कि ऑर्डर नहीं मिलने की वजह से उन्हें अभी छोटी मूर्ति ही बनानी पड़ रही है. मूर्ति की कीमत फिलहाल पिछले वर्ष की तरह ही है, जो लोग ऑर्डर देने आ रहे हैं. वह भी असमंजस में हैं कि वे बड़ी मूर्तियों का आर्डर दें या छोटे मूर्ति का. जिस वजह से वह आर्डर भी नहीं दे पा रहे हैं. अगर गणेश चतुर्थी नजदीक आने तक मूर्तियों की साइज को लेकर ऑर्डर मिले, तो कम समय में काम पूरा कर पाना नामुमकिन हो जाएगा.
छोटी मूर्तियां अधिक बनाई जा रही
मूर्तिकार ने बताया कि हर साल मूर्ति ट्रेंड के अनुसार बदलते रहते हैं. इस साल भी हमने काफी थीम सोच रखी थी, लेकिन अब लगता है कि समय ही नहीं बचा कि हम किसी भी थीम को लेकर गणेश प्रतिमा बना पाएं. उन्होंने बताया कि हर साल मूर्ति बनाने के लिए दूसरे राज्यों से कारीगर आते हैं, लेकिन सरकार के आदेश नहीं होने से अब तक दूसरे राज्य के मूर्तिकार भी नहीं पहुंच पाए हैं. अभी सिर्फ छोटी मूर्तियों पर ही काम चल रहा है. इस साल छोटी मूर्तियां अधिक बनाई जा रही है.