रायपुर: देश के 8 राज्य ऐसे हैं जो नक्सल प्रभावित राज्यों की सूची में गिने जाते हैं. उनमें से एक छत्तीसगढ़ का नाम भी शामिल है. छत्तीसगढ़ पिछले तीन दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. राज्य में नक्सलवाद की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए 2009-10 से यहां बीएसफ यानी की सीमा सुरक्षा बल की तैनाती की गई है. पिछले एक दशक से अधिक समय से सीमा सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खात्मे को लेकर काम कर रहा है. वर्तमान में सीमा सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ के कांकेर, नारायणपुर और कोंडागांव जिले में तैनात है. राज्य में नक्सल समस्या से निपटने के लिए बीएसएफ किस तरह से भूमिका निभा रही है आइए जानते हैं.
बीएसएफ ने एक दशक में 1650 नक्सलियों को गिरफ्तार किया
पिछले एक दशक से अधिक समय से नक्सल प्रभावित इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है. इस दौरान बीएसएफ ने 1650 नक्सलियों को गिरफ्तार किया है. वहीं बीएसएफ के खौफ के चलते 891 नक्सलियों ने सरेंडर किया है. इसके साथ ही 18 हार्डकोर नसकलियों को मार गिराने में बीएसएफ ने कामयाबी हासिल की है. नक्सलियों के साथ हुए मुठभेड़ में बीएसएफ ने कई नक्सलियों को पीछे हटने पर मजबूर किया.
बीएसएफ ने कार्रवाई में 1473 हथियार, 958 आईईडी, 3176 किलो ग्राम बारूद जब्त किए हैं. बीएसएफ ने राज्य के जिन क्षेत्रों में मोर्चा संभाला है उन इलाकों में नक्सली पीछे हटने पर मजबूर हुए हैं.
16 कमांडो की टीम ने पुलिस के साथ मिलकर की कार्रवाई
बीएसफ एडीजी आरएस भट्टी कहते हैं कि, एक दशक से अधिक समय हो गया है. शुरुआत में छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 41 सीओबी/ पोस्ट से नक्सल विरोधी अभियान की शुरुआत की गई थी. आज बढ़कर 108 सीओबी तक पहुंच गए. पिछले 2 साल में छत्तीसगढ़ में 8 और ओडिशा में 6 नए सीओबी की स्थापना की गई है. नक्सल विरोधी अभियान को तेज करने के लिए बीएसएफ के दो डीआईजी के मुख्यालय हाल ही में कांकेर और भानुप्रतापपुर में स्थानांतरित किए गए हैं. भट्टी बताते हैं कि बीएसएफ को तीन मुख्य उद्देश्य के तहत तैनात किया गया है.
राज्य की पुलिस को नक्सल अभियान में सहायता करना, स्थानीय नागरिकों के मन में सुरक्षा की भावना को मजबूत करना और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों में सहयोग करना. इसी उद्देश्य के तहत हमने हाल ही में राज्य पुलिस के साथ एक संयुक्त कार्रवाई की है जिसमें पुलिस के साथ हमारे 16 कमांडो की टीम शामिल थी. जिसका प्रतिसाद भी बहुत अच्छा मिला. बीएसएफ की तैनाती होने से राज्य में नक्सली विचारधारा के प्रति आकर्षण में भारी कमी आई है. साथ ही नक्सलियों की भर्ती भी कम होने लगी है.
ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में भी बीएसएफ की भूमिका
बीएसएफ एडीजी आरएस भट्टी बताते हैं कि बीएसएफ के द्वारा ग्रामीणों को चिकित्सकीय सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है. वर्ष 2020-21 में कांकेर, नारायणपुर जिले में कुल 24 चिकित्सा कैंप लगाए गए. जिसमें आंख ,दांत, स्त्री रोग, हड्डी आदि के विशेषज्ञ चिकित्सक की भी उपलब्धता सुनिश्चित की गई. इसके माध्यम से लगभग 240 गांव के 6438 लोगों को लाभ उपलब्ध कराया गया. ये उन इलाके के लोग हैं जो बेहद ही अंदरूनी क्षेत्र से आते हैं. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए सहायता कार्यक्रम भी संचालित किया जा रहा है. जिसके तहत 1.44 करोड़ रुपए की आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई गई है. जिससे लगभग 17,000 लोगों को लाभ होगा.
इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों को कृषि यंत्र, मच्छरदानी, जरूरी बर्तन, साइकिल, विकलांगों के लिए ट्राई साइकिल, स्कूली बच्चों के लिए किताबें और स्टेशनरी इत्यादि मुहैया कराई गई है. वहीं स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत कांकेर जिले के 60 लड़के और लड़कियों को ट्रेनिंग दी गई है. जिससे कि उन्हें रोजगार मिल सके. वही जनजाति युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम भी बीएसएफ द्वारा संचालित किया गया. जिसके तहत लगभग ढाई सौ युवक एवं युवतियों को देश की विभिन्न ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थानों का भ्रमण कराने का इंतजाम किया गया.
सड़क निर्माण के कार्य में भी बीएसएफ के जवान तैनात
बीएसएफ सड़क निर्माण की सुरक्षा में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. बस्तर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां नक्सली आए दिन सड़क निर्माण के कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं. ऐसे में बीएसएफ के जवानों को निर्माण कार्य की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है. जो दिन रात डटे हुए हैं. जिसकी बदौलत कांकेर और नारायणपुर के कई इलाकों में सड़क निर्माण में तेजी आई है. वहीं नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास को गति देने और लोगों को मुख्य क्षेत्रों से जोड़ने में टेलीफोन/मोबाइल फोन का योगदान सबसे ज्यादा होता है. बीएसएफ ने नारायणपुर और कांकेर में 91 मोबाइल फोन टावर को नक्सलियों से बचाने में महत्वपूर्ण सहयोग किया है.
बीएसएफ की भूमिका पर क्या कहतें हैं एक्सपर्ट
छत्तीसगढ़ राज्य वनांचल, जनजाति संस्कृति और अद्भुत वन उत्पाद के नाम से जाना जाता था. लेकिन पिछले कुछ दशकों से नक्सल प्रभावित राज्यों की श्रेणी में दुर्भाग्य वश अग्रणी स्थान पर काबिज है. चूंकि यहां के नक्सली हार्डकोर नक्सली माने जाते हैं. क्योंकि कई राज्यों की सीमा से छत्तीसगढ़ से लगी हुई है. ऐसे में किसी भी वारदात को अंजाम देकर फरार होने में कामयाब हो जाते हैं. इसलिए नक्सलियों और लाल आतंक को रोकने में छत्तीसगढ़ में बीएसएफ का महत्व काफी बढ़ जाता है.
चूंकि बीएसएफ की ट्रेनिंग कैपिबिलिटी बहुत ही शानदार होती है. दुश्मन के प्रति जो सरवाइवल का एथिक होता है वह बहुत ही स्ट्रांग होता है. लेकिन इसमें एक और चीज करने की जरूरत होगी. जब तक हम किसी ऑपरेशन में सक्सेस नहीं होते, जब हम वहां जिओ स्ट्रेटजिक सॉल्यूशन की तरफ मूवमेंट नहीं करते. जिओ स्ट्रेटेजिक सॉल्यूशन मैं केवल टैरेन को जान लेना संपूर्ण नहीं होगा वहां की आम जनता उनकी स्थानीय भाषा वहां की समस्याओं इन सब से भी जमीनी स्तर पर भी रूबरू होना एक चुनौती हो सकती है. परंतु यह जो फोर्सेस होती है वह बहुत ही स्ट्रांग होती है और निस्संदेह यह बहुत ही अच्छा कार्य करेंगे.