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छत्तीसगढ़ में 'यमराज' बने सड़क हादसे, महज 4 महीने में 2 हजार से अधिक लोगों की मौत

छत्तीसगढ़ में तमाम सुरक्षा उपायों और जागरूकता के बाद भी सड़क हादसे कम नहीं हो रहे हैं. एक तरफ जहां सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं. वहीं मरने वालों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. सबसे हैरानी वाली बात ये है कि 2020 के मुकाबले 2021 में ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं.

road accidents on the rise in chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में बढ़ा सड़क हादसा
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Published : Jun 24, 2021, 10:57 PM IST

रायपुर: बीते डेढ़ साल से भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना महामारी से जूझ रही है. खासकर कोरोना की दूसरी लहर ने तो देश में जमकर कहर बरपाया. इसमें छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रहा. प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या के साथ-साथ मौत के आंकड़े भी यहां डराने वाले थे. लेकिन कोरोना के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों (road accident in chhattisgarh) ने भी कम कहर नहीं बरपाया है. लॉकडाउन के बाद भी रोड एक्सीडेंट में मरने वालों का डाटा परेशान करने के लिए काफी है.

छत्तीसगढ़ में सड़क हादसे बढ़े

2020 के मुकाबले 2021 में ज्यादा सड़क हादसे

छत्तीसगढ़ में तमाम सुरक्षा उपायों और जागरूकता के बाद भी सड़क हादसे कम नहीं हो रहे हैं. एक तरफ जहां सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं. वहीं मरने वालों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. सबसे हैरानी वाली बात ये है कि 2020 के मुकाबले 2021 में ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं. 2021 में सिर्फ चार महीने यानी जनवरी से लेकर अप्रैल तक 4576 सड़क हादसे हुए. जिसमें 2064 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. वहीं 4150 लोग घायल हुए. वहीं बात 2020 की करें तो कुल 3880 सड़क हादसे हुए, जिसमें 3777 लोग घायल हुए. वहीं 1462 लोगों को जान गंवानी पड़ी.

लॉकडाउन में भी कम नहीं हुआ हादसा

जनवरी 2020 से लेकर अप्रैल 2021 तक इन डेढ़ सालों में करीब 6 महीने से ज्यादा का समय लॉकडाउन का भी था. जिसमें तमाम तरह की पाबंदियां लागू थी. बावजूद इसके सड़क हादसों में कोई कमी नहीं आई है.

छत्तीसगढ़ में जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 तक के सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े

साल 2020 (जनवरी से दिसंबर तक) साल 2021 (अप्रैल तक)
कुल सड़क हादसा 3880 4576
मृतकों की संख्या 1462 2064
घायलों की संख्या 37774150


राजधानी रायपुर के मौजूदा ब्लैक स्पॉट

  • मेटल पार्क मोड़ धनेली नाला
  • भनपुरी तिराहा से यातायात थाना
  • राजबंधा मैदान से सिंघानिया चौक
  • मित्तल धर्म कांटा से बाजार बजरंग मैट्रिक्स सरोरा
  • तेलीबांधा चौक से सरोना ओवर ब्रिज
  • पिंटू ढाबा से सिरीखेड़ी ओवर ब्रिज
  • जिंदल मोड़ से रिंग रोड 3 तिराहा
  • बस स्टैंड चौक मंदिर हसौद
  • गडरिया नाला बेमेतरा
  • विलेज शंकरा
  • निमोर चौक बजरंगबली मंदिर से पंचायत मोड़ तक
  • व्यास तालाब तिराहा से विनु पेट्रोल पंप
  • जोरा ब्रिज
  • पचपेड़ी नाका
  • माना मोड़ से शंकराचार्य आश्रम
  • सरदारनी दरबार से धनेली मोड
  • बंगाली परा
  • रिंग रोड नंबर 1 टोल प्लाजा
  • महात्मा गांधी सेतु महानदी पारा गांव

यातायात नियम न मानना हादसे का बड़ा कारण

रायपुर के निवासी अनुराग दीक्षित ने बताया कि सड़क हादसे बनने का प्रमुख कारण यातायात नियमों का पालन ठीक ढंग से नहीं करना शामिल है. गाड़ी चलाते समय सबसे जरूरी है कि आप हेलमेट पहनें. लोग लापरवाह होते जा रहे हैं. जब तक पुलिस चालान काट रही थी तब तक लोगों ने हेलमेट पहना और पुलिस ने थोड़ी ढील दी तो लोगों ने हेलमेट पहनना छोड़ दिया. अनुराग ने बताया कि ट्रैफिक नियम तोड़ने में 20-30 साल से युवा ज्यादा हैं. उनको यही लगता है कि ट्रैफिक नियम या तो बड़ों के लिए है या बेफिजूल बनाए गए हैं. पेरेंट्स बच्चों को इतनी छोटी उम्र में गाड़ी दे रहे हैं कि वह गाड़ी संभाल नहीं पाते. कई बार तो ऐसा होता है कि जिन बच्चों के पेर गाड़ी पर बैठने के बाद जमीन तक नहीं छू पाते. वह बच्चे भी गाड़ी गाड़ी चलाते हैं. इस कारण वे हादसे का शिकार हो जाते हैं. पेरेंट्स को बताना पड़ेगा बच्चों को कि कैसे गाड़ी चलाएं और कैसे नियमों का पालन करें. अगर बच्चों को जब भी गाड़ी चलाने दिया जाता है तो हेलमेट भी साथ में दें.

छोटी उम्र में ही बच्चों को थमा देते हैं गाड़ी

रायपुर के रहने वाले हुमायूं ने बताया कि इस साल 2 महीने प्रदेश में लॉकडाउन रहा. वहीं पिछले साल भी पूरे देश में 2 से 3 महीने लॉकडाउन था. लॉकडाउन में लोग घरों में ज्यादा रह रहे थे. बावजूद इसके सड़कों पर लगातार हादसे बढ़ते चले गए. इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि खाली सड़क देखकर पेरेंट्स अपने बच्चों को गाड़ी सिखाने निकल जाते थे. वहीं कई बच्चे भी खाली सड़क देखकर घर से गाड़ी लेकर निकल जाते. खाली रोड पर लोग तेज स्पीड से गाड़ी चलाते हैं, जिससे गाड़ी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है और हादसा हो जाता. ऐसे में पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि अंडर एज के बच्चे गाड़ी न चलाने दें. जब तक उनका ड्राइविंग लाइसेंस न बने या उन्हें अच्छे से ड्राइविंग ना न आए तब तक उन्हें गाड़ी चलाने ना दिया जाए.

यातायात विभाग चला रहा जागरूकता अभियान

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात एमआर मंडावी ने बताया कि पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिली थी. वहीं इस साल भी जनवरी से अप्रैल तक सड़क हादसे पिछली बार की तुलना में ज्यादा हुए हैं. ऐसी स्थिति में हम लोग यही कोशिश कर रहे हैं कि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करें. इसको लेकर जनवरी महीने में ट्रैफिक सुरक्षा माह हमने मनाया था. वहीं लगातार हम लोगों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं. कैंपेनिंग कर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं. ऐसे ही छोटे-छोटे समझाइश की प्रक्रिया हम जारी रख रहे हैं, ताकि लोग ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक हो सकें और शहरों में हो रहे हादसे कम हों.

आईटीएमएस और स्पीड रडार गन से तेज वाहनों की जाती है मॉनिटरिंग

एमआर मंडावी ने बताया कि शहर में युवाओं में ज्यादा देखने को मिलता है कि वे खाली रोड देखकर तेज बाइक चलाते हैं. ऐसे ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वाले युवाओं को पकड़ने के लिए हमारे आईटीएमएस सिस्टम लगे हुए हैं. जो लोग तेज रफ्तार गाड़ी चलाते हैं उनको हम डिटेक्ट करते हैं और कार्रवाई करते हैं. इसी प्रकार से हमारे पास स्पीड रडार गन है जो विभिन्न चौक-चौराहों पर तेज रफ्तार गाड़ी चला रहे लोगों के गाड़ी को मॉनिटर करते हैं. तेज रफ्तार गाड़ी पाए जाने पर उन पर भी चालानी कार्रवाई की जाती है.

ब्लैक स्पॉट को घटाने की जा रही है कोशिश

ASP यातायात एमआर मंडावी ने बताया कि सड़क हादसों का बड़ा कारण ब्लैक स्पॉट हैं. राजधानी रायपुर में कोलकाता- मुंबई नेशनल हाईवे में 5 ब्लैक स्पॉट हैं. जिन जगहों पर यह ब्लैक स्पॉट है, वहां दो जगहों पर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. ब्रिज बनने के बाद हादसों की संभावना कम हो जाएगी. इसके अलावा तीन ब्लैक स्पॉट और बचेंगे जिसके लिए हमने एक प्रपोजल भेजा है. अगर कुछ उसमें सुधार किया जाएगा तो निश्चित तौर पर वह हादसे कम होंगे.

रायपुर: बीते डेढ़ साल से भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना महामारी से जूझ रही है. खासकर कोरोना की दूसरी लहर ने तो देश में जमकर कहर बरपाया. इसमें छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रहा. प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या के साथ-साथ मौत के आंकड़े भी यहां डराने वाले थे. लेकिन कोरोना के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों (road accident in chhattisgarh) ने भी कम कहर नहीं बरपाया है. लॉकडाउन के बाद भी रोड एक्सीडेंट में मरने वालों का डाटा परेशान करने के लिए काफी है.

छत्तीसगढ़ में सड़क हादसे बढ़े

2020 के मुकाबले 2021 में ज्यादा सड़क हादसे

छत्तीसगढ़ में तमाम सुरक्षा उपायों और जागरूकता के बाद भी सड़क हादसे कम नहीं हो रहे हैं. एक तरफ जहां सड़क दुर्घटनाएं बढ़ी हैं. वहीं मरने वालों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. सबसे हैरानी वाली बात ये है कि 2020 के मुकाबले 2021 में ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं. 2021 में सिर्फ चार महीने यानी जनवरी से लेकर अप्रैल तक 4576 सड़क हादसे हुए. जिसमें 2064 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. वहीं 4150 लोग घायल हुए. वहीं बात 2020 की करें तो कुल 3880 सड़क हादसे हुए, जिसमें 3777 लोग घायल हुए. वहीं 1462 लोगों को जान गंवानी पड़ी.

लॉकडाउन में भी कम नहीं हुआ हादसा

जनवरी 2020 से लेकर अप्रैल 2021 तक इन डेढ़ सालों में करीब 6 महीने से ज्यादा का समय लॉकडाउन का भी था. जिसमें तमाम तरह की पाबंदियां लागू थी. बावजूद इसके सड़क हादसों में कोई कमी नहीं आई है.

छत्तीसगढ़ में जनवरी 2020 से अप्रैल 2021 तक के सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े

साल 2020 (जनवरी से दिसंबर तक) साल 2021 (अप्रैल तक)
कुल सड़क हादसा 3880 4576
मृतकों की संख्या 1462 2064
घायलों की संख्या 37774150


राजधानी रायपुर के मौजूदा ब्लैक स्पॉट

  • मेटल पार्क मोड़ धनेली नाला
  • भनपुरी तिराहा से यातायात थाना
  • राजबंधा मैदान से सिंघानिया चौक
  • मित्तल धर्म कांटा से बाजार बजरंग मैट्रिक्स सरोरा
  • तेलीबांधा चौक से सरोना ओवर ब्रिज
  • पिंटू ढाबा से सिरीखेड़ी ओवर ब्रिज
  • जिंदल मोड़ से रिंग रोड 3 तिराहा
  • बस स्टैंड चौक मंदिर हसौद
  • गडरिया नाला बेमेतरा
  • विलेज शंकरा
  • निमोर चौक बजरंगबली मंदिर से पंचायत मोड़ तक
  • व्यास तालाब तिराहा से विनु पेट्रोल पंप
  • जोरा ब्रिज
  • पचपेड़ी नाका
  • माना मोड़ से शंकराचार्य आश्रम
  • सरदारनी दरबार से धनेली मोड
  • बंगाली परा
  • रिंग रोड नंबर 1 टोल प्लाजा
  • महात्मा गांधी सेतु महानदी पारा गांव

यातायात नियम न मानना हादसे का बड़ा कारण

रायपुर के निवासी अनुराग दीक्षित ने बताया कि सड़क हादसे बनने का प्रमुख कारण यातायात नियमों का पालन ठीक ढंग से नहीं करना शामिल है. गाड़ी चलाते समय सबसे जरूरी है कि आप हेलमेट पहनें. लोग लापरवाह होते जा रहे हैं. जब तक पुलिस चालान काट रही थी तब तक लोगों ने हेलमेट पहना और पुलिस ने थोड़ी ढील दी तो लोगों ने हेलमेट पहनना छोड़ दिया. अनुराग ने बताया कि ट्रैफिक नियम तोड़ने में 20-30 साल से युवा ज्यादा हैं. उनको यही लगता है कि ट्रैफिक नियम या तो बड़ों के लिए है या बेफिजूल बनाए गए हैं. पेरेंट्स बच्चों को इतनी छोटी उम्र में गाड़ी दे रहे हैं कि वह गाड़ी संभाल नहीं पाते. कई बार तो ऐसा होता है कि जिन बच्चों के पेर गाड़ी पर बैठने के बाद जमीन तक नहीं छू पाते. वह बच्चे भी गाड़ी गाड़ी चलाते हैं. इस कारण वे हादसे का शिकार हो जाते हैं. पेरेंट्स को बताना पड़ेगा बच्चों को कि कैसे गाड़ी चलाएं और कैसे नियमों का पालन करें. अगर बच्चों को जब भी गाड़ी चलाने दिया जाता है तो हेलमेट भी साथ में दें.

छोटी उम्र में ही बच्चों को थमा देते हैं गाड़ी

रायपुर के रहने वाले हुमायूं ने बताया कि इस साल 2 महीने प्रदेश में लॉकडाउन रहा. वहीं पिछले साल भी पूरे देश में 2 से 3 महीने लॉकडाउन था. लॉकडाउन में लोग घरों में ज्यादा रह रहे थे. बावजूद इसके सड़कों पर लगातार हादसे बढ़ते चले गए. इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि खाली सड़क देखकर पेरेंट्स अपने बच्चों को गाड़ी सिखाने निकल जाते थे. वहीं कई बच्चे भी खाली सड़क देखकर घर से गाड़ी लेकर निकल जाते. खाली रोड पर लोग तेज स्पीड से गाड़ी चलाते हैं, जिससे गाड़ी आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है और हादसा हो जाता. ऐसे में पेरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि अंडर एज के बच्चे गाड़ी न चलाने दें. जब तक उनका ड्राइविंग लाइसेंस न बने या उन्हें अच्छे से ड्राइविंग ना न आए तब तक उन्हें गाड़ी चलाने ना दिया जाए.

यातायात विभाग चला रहा जागरूकता अभियान

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात एमआर मंडावी ने बताया कि पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी देखने को मिली थी. वहीं इस साल भी जनवरी से अप्रैल तक सड़क हादसे पिछली बार की तुलना में ज्यादा हुए हैं. ऐसी स्थिति में हम लोग यही कोशिश कर रहे हैं कि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करें. इसको लेकर जनवरी महीने में ट्रैफिक सुरक्षा माह हमने मनाया था. वहीं लगातार हम लोगों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं. कैंपेनिंग कर लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं. ऐसे ही छोटे-छोटे समझाइश की प्रक्रिया हम जारी रख रहे हैं, ताकि लोग ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक हो सकें और शहरों में हो रहे हादसे कम हों.

आईटीएमएस और स्पीड रडार गन से तेज वाहनों की जाती है मॉनिटरिंग

एमआर मंडावी ने बताया कि शहर में युवाओं में ज्यादा देखने को मिलता है कि वे खाली रोड देखकर तेज बाइक चलाते हैं. ऐसे ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वाले युवाओं को पकड़ने के लिए हमारे आईटीएमएस सिस्टम लगे हुए हैं. जो लोग तेज रफ्तार गाड़ी चलाते हैं उनको हम डिटेक्ट करते हैं और कार्रवाई करते हैं. इसी प्रकार से हमारे पास स्पीड रडार गन है जो विभिन्न चौक-चौराहों पर तेज रफ्तार गाड़ी चला रहे लोगों के गाड़ी को मॉनिटर करते हैं. तेज रफ्तार गाड़ी पाए जाने पर उन पर भी चालानी कार्रवाई की जाती है.

ब्लैक स्पॉट को घटाने की जा रही है कोशिश

ASP यातायात एमआर मंडावी ने बताया कि सड़क हादसों का बड़ा कारण ब्लैक स्पॉट हैं. राजधानी रायपुर में कोलकाता- मुंबई नेशनल हाईवे में 5 ब्लैक स्पॉट हैं. जिन जगहों पर यह ब्लैक स्पॉट है, वहां दो जगहों पर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. ब्रिज बनने के बाद हादसों की संभावना कम हो जाएगी. इसके अलावा तीन ब्लैक स्पॉट और बचेंगे जिसके लिए हमने एक प्रपोजल भेजा है. अगर कुछ उसमें सुधार किया जाएगा तो निश्चित तौर पर वह हादसे कम होंगे.

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