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कोरोनाकाल में आदिवासियों के विकास का रखा गया ख्याल: रेणुका सिंह

केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने लोकसभा में लिखित में जवाब दिया है कि कोविड-19 में जनजातीय समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि जनजातीय मंत्रालय के अनुरोध पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुरूप आदिवासियों को संग्रह, कटाई और जंगलों में नन टिंबर प्रोड्यूस की प्रोसेसिंग के दौरान लॉकडाउन के प्रावधानों में छूट दी गई थी.

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Published : Mar 22, 2021, 10:45 PM IST

renuka singh
रेणुका सिंह

रायपुर: केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने लोकसभा में लिखित में जवाब दिया है कि कोविड-19 में जनजातीय समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि जनजातीय मंत्रालय के अनुरोध पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुरूप आदिवासियों को संग्रह, कटाई और जंगलों में नन टिंबर प्रोड्यूस की प्रोसेसिंग के दौरान लॉकडाउन के प्रावधानों में छूट दी गई थी.

रेणुका सिंह ने बताया कि केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 15 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने संबंधित राज्य नोडल एजेंसियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस की खरीद के लिये जागरूक करने संबंधी पत्र लिखा था. इसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड छत्तीसगढ़, ओडिशा, नागालैंड सहित कुल 15 राज्य शामिल हैं.

कोरोनाकाल में 157.51 करोड़ रुपए की लघु वनपोज की खरीद

रेणुका सिंह ने कहा की कोरोना काल में लघु वनोपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को संशोधित किया गया है. लघु वनोपज की सूची में 37 नई वस्तुओं को जोड़कर कुल लघु वनोपज की संख्या 87 कर दी गई. वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य सरकारों की ओर से 157.51 करोड़ रुपए का लघु वनपोज की खरीद की गई. जिससे आदिवासियों को तत्काल आजीविका प्रदान करने में सहायता मिली.

आदिवासी छात्रों को 1986.31 करोड़ रुपए डायरेक्ट बेनिफिट

मंत्रालय ने 1986.31 करोड़ रुपए 35.2 लाख आदिवासी छात्रों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 2020-21 में वितरित किया. ताकि छात्रों का कोरोना काल के दौरान शिक्षा जारी रह सके.

सांसद संतोष पांडेय ने लोकसभा में उठाया बठेना कांड का मामला

आदिवासियों को अनुदान के रुप में 1539.93 करोड़ रुपए की मदद

मंत्रालय ने विशेष केंद्रीय सहायता, विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों का विकास, लघु वन उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अनुदान दिया. अनुदान के रुप में 1539.93 करोड़ रुपए आदिवासियों के आजीविका सहायता सहित अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और विकास से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए राज्य सरकारों को दिया गया.

ट्राइफेड के माध्यम से लघु वन उत्पादों को किया जा रहा प्रोत्साहन

मंत्रालय की ओर से संचालित ट्राइफेड को राज्यों के साथ लघु वन उत्पादों के प्रोत्साहन को लेकर कार्य किए गए. जिसमें आदिवासियों को होने वाली समस्याओं का पता लगाने, राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करने, राज्यों में उपलब्ध लघु उत्पादों की मात्रा, उसको खरीदने की योजना, भंडारण की रणनीति, वैल्यू एडिशन और लघु वन उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था के लिये कहा गया.

आदिवासियों के बीच टीकाकरण के बारे में जागरूकता का होगा काम

ट्राइफेड ने यूनिसेफ के साथ एक वेबिनार ऑर्गनाइज किया, जिसमें वन धन विकास केंद्र के सदस्यों को कोविड 19 और उससे जुड़े स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूक किया गया. कोविड 19 के दौरान राज्य सरकारों ने हाट बाजारों को बंद किया. आशा कार्यकर्ताओं ने आदिवासी क्षेत्रों में स्वच्छता, जागरूकता और अन्य स्वास्थ्य मुद्दे के साथ सामाजिक दूरी बनाये रखने, मास्क पहनने और हाथ धोने आदि की जागरूकता फैलाई. मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के आदिवासी कल्याण विभाग को पत्र लिखा है. जिसमें आदिवासी समुदायों के बीच कोरोना टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने व वैक्सीन देने हेतु जागरूक करने का अनुरोध किया.

रायपुर: केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने लोकसभा में लिखित में जवाब दिया है कि कोविड-19 में जनजातीय समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि जनजातीय मंत्रालय के अनुरोध पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुरूप आदिवासियों को संग्रह, कटाई और जंगलों में नन टिंबर प्रोड्यूस की प्रोसेसिंग के दौरान लॉकडाउन के प्रावधानों में छूट दी गई थी.

रेणुका सिंह ने बताया कि केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने 15 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने संबंधित राज्य नोडल एजेंसियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस की खरीद के लिये जागरूक करने संबंधी पत्र लिखा था. इसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड छत्तीसगढ़, ओडिशा, नागालैंड सहित कुल 15 राज्य शामिल हैं.

कोरोनाकाल में 157.51 करोड़ रुपए की लघु वनपोज की खरीद

रेणुका सिंह ने कहा की कोरोना काल में लघु वनोपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को संशोधित किया गया है. लघु वनोपज की सूची में 37 नई वस्तुओं को जोड़कर कुल लघु वनोपज की संख्या 87 कर दी गई. वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य सरकारों की ओर से 157.51 करोड़ रुपए का लघु वनपोज की खरीद की गई. जिससे आदिवासियों को तत्काल आजीविका प्रदान करने में सहायता मिली.

आदिवासी छात्रों को 1986.31 करोड़ रुपए डायरेक्ट बेनिफिट

मंत्रालय ने 1986.31 करोड़ रुपए 35.2 लाख आदिवासी छात्रों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 2020-21 में वितरित किया. ताकि छात्रों का कोरोना काल के दौरान शिक्षा जारी रह सके.

सांसद संतोष पांडेय ने लोकसभा में उठाया बठेना कांड का मामला

आदिवासियों को अनुदान के रुप में 1539.93 करोड़ रुपए की मदद

मंत्रालय ने विशेष केंद्रीय सहायता, विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों का विकास, लघु वन उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अनुदान दिया. अनुदान के रुप में 1539.93 करोड़ रुपए आदिवासियों के आजीविका सहायता सहित अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और विकास से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए राज्य सरकारों को दिया गया.

ट्राइफेड के माध्यम से लघु वन उत्पादों को किया जा रहा प्रोत्साहन

मंत्रालय की ओर से संचालित ट्राइफेड को राज्यों के साथ लघु वन उत्पादों के प्रोत्साहन को लेकर कार्य किए गए. जिसमें आदिवासियों को होने वाली समस्याओं का पता लगाने, राज्यों के साथ समन्वय स्थापित करने, राज्यों में उपलब्ध लघु उत्पादों की मात्रा, उसको खरीदने की योजना, भंडारण की रणनीति, वैल्यू एडिशन और लघु वन उत्पादों की बिक्री की व्यवस्था के लिये कहा गया.

आदिवासियों के बीच टीकाकरण के बारे में जागरूकता का होगा काम

ट्राइफेड ने यूनिसेफ के साथ एक वेबिनार ऑर्गनाइज किया, जिसमें वन धन विकास केंद्र के सदस्यों को कोविड 19 और उससे जुड़े स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में जागरूक किया गया. कोविड 19 के दौरान राज्य सरकारों ने हाट बाजारों को बंद किया. आशा कार्यकर्ताओं ने आदिवासी क्षेत्रों में स्वच्छता, जागरूकता और अन्य स्वास्थ्य मुद्दे के साथ सामाजिक दूरी बनाये रखने, मास्क पहनने और हाथ धोने आदि की जागरूकता फैलाई. मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के आदिवासी कल्याण विभाग को पत्र लिखा है. जिसमें आदिवासी समुदायों के बीच कोरोना टीकाकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने व वैक्सीन देने हेतु जागरूक करने का अनुरोध किया.

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